Hindi Newsओपिनियन ब्लॉगHindustan editorial column 21 January 2025

ट्रंप से उम्मीदें

अमेरिका में एक नए युग का आगाज हो रहा है, जो बड़े बदलावों की ओर इशारा कर रहा है। डोनाल्ड ट्रंप का राष्ट्रपति के रूप में यह नया दौर कैसा होगा? राष्ट्रपति चुने जाने के बाद से ही वह कई संकेत ऐसे दे चुके हैं, जिनसे लगने लगा है कि दुनिया बदलने वाली है…

Hindustan लाइव हिन्दुस्तानMon, 20 Jan 2025 10:46 PM
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ट्रंप से उम्मीदें

अमेरिका में एक नए युग का आगाज हो रहा है, जो बड़े बदलावों की ओर इशारा कर रहा है। डोनाल्ड ट्रंप का राष्ट्रपति के रूप में यह नया दौर कैसा होगा? राष्ट्रपति चुने जाने के बाद से ही वह कई संकेत ऐसे दे चुके हैं, जिनसे लगने लगा है कि दुनिया बदलने वाली है। ये बदलाव इस बात पर केंद्रित रहेंगे कि अमेरिका को फिर एक बार महान बनना है। यह ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ का नारा डोनाल्ड ट्रंप की एक नई पहचान बन गया है और बहुत संभावना है कि इस बार ट्रंप अपने सपने को साकार करने के लिए दुस्साहस का भी परिचय देंे। पिछली बार जब वह चुनाव हारे थे, तब दुखद उपद्रव हुआ था। उन उपद्रवियों को अगर ट्रंप ने सत्ता में आते ही माफ कर दिया है, तो यह संकेत है कि आने वाले दिनों में ट्रंप का अपने समर्थकों के प्रति कितना उदार रुख रहने वाला है।

अपने समर्थकों पर उनकी कृपा जरूर बरसे, पर उनके विरोधियों के लिए भी अमेरिकी व्यवस्था में जगह रहनी चाहिए। ट्रंप ने अमेरिकी राजनीति के तेवर-कलेवर को तो बदला ही है और वह वहां लोकतंत्र को भी बदलने जा रहे हों, तो कोई आश्चर्य नहीं। उनकी टीम के अनेक दिग्गज परिवर्तन के आकांक्षी हैं। न जाने कितने परिवर्तन आगामी चार वर्ष में लागू होंगे। उम्मीद करनी चाहिए कि टं्रप की नई टीम अमेरिकी परंपराओं का यथासंभव निर्वाह करते हुए ही देश को फिर से महान बनाएगी। हालांकि, महान बनाने के अभियान पर कई सवाल भी हैं। क्या अमेरिकी निर्णायकों ने मान लिया है कि अमेरिका अब महान नहीं रहा? इस अभियान के नाम से तो शायद यही लगता है कि अमेरिकी विचारकों ने अपने देश के महान न रह पाने की वजहों का पता लगा लिया है। उनकी नजर उन अमेरिकी चालाकियों पर भी निस्संदेह पड़ी होगी, जिनकी वजह से अमेरिकियों की अक्सर आलोचना होती है। अफगानिस्तान आज भी जीवंत उदाहरण है, डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति रहते ही अफगानियों को अपने हाल पर छोड़कर अमेरिकी सेना लौट गई थी। अफगानिस्तान में जो लोग पहले अमेरिकी प्रशासन व सेना के साथ खड़े थे, उनके साथ जो हुआ, वह त्रासद है। ट्रंप से यह उम्मीद जरूर रहेगी, अगर वह किसी बड़े बदलाव को अपने हाथ में लें, तो मैदान न छोड़ें। ट्रंप की टीम को एहसास होना चाहिए कि आज अमेरिका मैदान छोड़ने की वजह से ही अपनी महानता से वंचित हुआ है।

अनेक विद्वान यह मानते हैं कि अमेरिका को शुरू से ही भारत के साथ खड़ा रहना चाहिए था। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और अमेरिका सबसे पुराना जीवित लोकतंत्र है, पर यह अफसोस की बात है कि दोनों के बीच तालमेल वैसा नहीं है, जैसा दुनिया को लोकतांत्रिक या खुशहाल बनाने के लिए होना चाहिए। अमेरिका चूंकि वामपंथी चीन के साथ खड़ा हुआ था, तो आज चीन उसकी बादशाहत को चुनौती देने की स्थिति में पहुंच गया है। आज ट्रंप भी चीन को नजरंदाज करने की स्थिति में नहीं हैं और कम से कम अभी तक ऐसा कोई संकेत भी नहीं है। आशंका है, ट्रंप का नया दौर कहीं मौखिक हमलों या कटु उद्गारों तक ही सीमित न रह जाए। बहरहाल, भारत उनसे कम से कम तीन बड़ी उम्मीदें रखेगा, पहली उम्मीद- आर्थिक एवं तकनीकी सहयोग, दूसरी उम्मीद- आतंकवाद के खिलाफ ईमानदार रवैया और तीसरी उम्मीद- भारत की गुटनिरपेक्षता का सम्मान! हालांकि, तमाम दुनिया यही उम्मीद करेगी कि ट्रंप दुनिया में चल रहे बड़े युद्धों और छद्म युद्धों को रोकेंगे, ताकि नई उबरती-उभरती दुनिया में अमेरिकी महानता को फिर से बहाल किया जा सके।

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