Hindi Newsओपिनियन ब्लॉगHindustan editorial column 16 Jan 2025

मेटा की माफी

मेटा इंडिया कंपनी को अपने सीईओ मार्क जुकरबर्ग के एक बयान के लिए माफी मांगनी पड़ी है, तो यह जरूरी भी था और स्वागतयोग्य भी है। पिछले सप्ताह फेसबुक के मालिक के नाते ख्यात मार्क जुकरबर्ग ने यह कह दिया था कि कोविड-19 के चलते भारत सहित ज्यादातर देशों में…

Hindustan लाइव हिन्दुस्तानWed, 15 Jan 2025 11:09 PM
share Share
Follow Us on

मेटा इंडिया कंपनी को अपने सीईओ मार्क जुकरबर्ग के एक बयान के लिए माफी मांगनी पड़ी है, तो यह जरूरी भी था और स्वागतयोग्य भी है। पिछले सप्ताह फेसबुक के मालिक के नाते ख्यात मार्क जुकरबर्ग ने यह कह दिया था कि कोविड-19 के चलते भारत सहित ज्यादातर देशों में सरकारों को हार का मुंह देखना पड़ा। इस बयान की भारत में तीखी आलोचना हो रही थी कि जुकरबर्ग ने गलत बयानी की है। भारत में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सत्तारूढ़ गठबंधन को जीत मिली है और वह तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने में कामयाब हुए हैं। भारत की आपत्ति के बाद जुकरबर्ग ने स्वयं तो नहीं, पर उनकी कंपनी मेटा ने माफी मांगते हुए इसे ‘अनजाने में हुई गलती’ कहा है। क्या यह मान लिया जाए कि यह गलती अनजाने में हुई है? क्या विशाल सोशल मीडिया मंच फेसबुक को संभालने वाली इतनी बड़ी कंपनी के मालिक को यह शोभा देता है कि वह भारत जैसे देश के चुनाव परिणाम से परिचित न हों? अगर यह गलती जुकरबर्ग से अनायास या अनजाने में हुई है, तो भी यह गंभीर बात है। यह बात तो साफ है कि वह भारत को लेकर सजग नहीं हैं।

मेटा इंडिया भी जुकरबर्ग की ही कंपनी है, जिसके एक आला अधिकारी ने कहा है कि अमेरिकी बहुराष्ट्रीय प्रौद्योगिकी समूह मेटा के लिए भारत एक अविश्वसनीय रूप से महत्वपूर्ण देश बना हुआ है। अगर मेटा के लिए भारत खास है, तो इसके मालिक को भारत का नाम बहुत संभलकर लेना चाहिए। वैसे भी भारत सरकार अमेरिका, यूरोपीय देशों या चीन की तरह आक्रामक नहीं है। आक्रामक देशों में तो सरकारें फेसबुक या मेटा की गलतियों पर चारों ओर से टूट पड़ती हैं। कई बार ऐसी गलतियों के चलते कंपनियों को भारी जुर्माना भी चुकाना पड़ता है। उन देशों की कड़ाई का ही नतीजा है कि सोशल मीडिया कंपनियां इन देशों में बहुत सजग रहती हैं, जबकि भारत के मामले में उनकी नीति बदल जाती है। भारत की उदारता का ये कंपनियां अधिकतम दुरुपयोग करना चाहती हैं। जुकरबर्ग से जुड़े ताजा मामले को एक सबक के रूप में लेना चाहिए। साथ ही, बहुराष्ट्रीय कंपनियों के मालिकों और अधिकारियों को साफ शब्दों में सचेत कर देना चाहिए कि वे भारत के महत्व को समझें व पर्याप्त सजग रहें। भारतीयों को पता है कि साल 2019 में अमेरिका में फेडरल ट्रेड कमीशन ने उपयोगकर्ता की गोपनीयता का उल्लंघन करने के लिए फेसबुक पर पांच अरब डॉलर का जुर्माना लगाया था। कोई दोराय नहीं कि ऐसी कंपनियों पर कड़ी नजर रखना समय की मांग है।

एक खास बात यह है कि फेसबुक के मालिक को स्वयं ही गलत दावे करते या गलत बयानी करते देखा गया है। इसका दूसरों पर क्या असर होगा? फेसबुक या अन्य सोशल मंचों पर बहुत सारी फेक या फर्जी सूचनाएं तैरती रहती हैं और भारत में तो शायद कुछ ज्यादा ही मनगढ़ंत या झूठी सूचनाओं का प्रचार-संचार होता है। सूचनाओं की सच्चाई के प्रति जिम्मेदारी का भाव सभी में होना चाहिए। एक आम नागरिक को भी सजग रहना चाहिए कि उसके मार्फत कोई गलत सूचना संचारित-प्रसारित न हो और जुकरबर्ग जैसे मालिकों को भी यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके अधीन चल रहे सोशल मीडिया मंचों पर किसी झूठ का सिक्का न चले। सूचनाओं की सच्चाई के प्रति सभी को गंभीर होना चाहिए और झूठ फैलाने वाले लोगों से हर स्तर पर बचने की जरूरत है।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें