Hindi Newsओपिनियन ब्लॉगHindustan editorial column 15 January 2025

दिल्ली की सियासत

  • सूर्यदेव की चाल और उनके दक्षिणायन से उत्तरायण होने की गणना करना खगोल विज्ञानियों, ज्योतिषियों के लिए शायद आसान हो, मगर इस देश के राजनेताओं की गति-मति का आकलन किसी के बस की बात नहीं…

Hindustan लाइव हिन्दुस्तानTue, 14 Jan 2025 10:40 PM
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दिल्ली की सियासत

सूर्यदेव की चाल और उनके दक्षिणायन से उत्तरायण होने की गणना करना खगोल विज्ञानियों, ज्योतिषियों के लिए शायद आसान हो, मगर इस देश के राजनेताओं की गति-मति का आकलन किसी के बस की बात नहीं। दिल्ली विधानसभा चुनावों में पार्टियों और नेताओं की कलाबाजियां इसकी ताजा मिसाल हैं। उम्मीदवारों के नामांकन की तारीख खत्म होने में अभी तीन दिन शेष बचे हैं, मगर राजधानी का सियासी पारा जैसे अभी से अपने चरम पर पहुंच गया है। कल तक ‘इंडिया’ ब्लॉक के मंच से समवेत स्वर में भारतीय जनता पार्टी पर हमलावर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के नेता आज एक-दूसरे के खिलाफ जहर बुझे तीर साध रहे हैं। सोमवार की शाम राजधानी के सीलमपुर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल की राजनीति की तुलना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सियासी शैली से की, तो उसके चंद मिनटों के भीतर आप संयोजक ने सोशल मीडिया ‘एक्स’ के जरिये राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए लिखा, ‘उन्होंने मुझे गालियां दीं।... उनकी लड़ाई कांग्रेस बचाने की है, मेरी लड़ाई देश बचाने की है।’

यह दिल्ली प्रदेश का चुनाव है, देश का नहीं, मगर राजनीति जब नीति का दामन छोड़कर सिर्फ सत्ता की चेरी बनती है, तब वह ऐसे ही भटकती है। दुर्योग से आज देश का कोई ऐसा बड़ा राजनीतिक दल नहीं है, जिसने सत्ता के लिए अपने सिद्धांतों से समझौते न किए हों। मगर इन गठबंधनों और समझौतों की व्यावहारिकता के बीच अब ऐसी घटनाएं धड़ल्ले से घटने लगी हैं, जिनसे राजनीतिक लड़ाई अदालतों में पहुंच जा रही और फिर राजनीतिक पार्टियों के बीच कटुता का भाव स्थायी बन जा रहा। आम आदमी पार्टी के सोशल मीडिया हैंडल से प्रधानमंत्री और गृह मंत्री की तस्वीर का उपयोग करते हुए भाजपा पर जिस तरह के तंज कसे गए हैं, उसके खिलाफ बाकायदा नॉर्थ एवेन्यू पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज कराई गई है और पुलिस इसकी तफ्तीश में जुट गई है।

सार्वजनिक जीवन में आरोपों-प्रत्यारोपों और आलोचनाओं से किसी को गुरेज नहीं होना चाहिए, बल्कि यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया के अनिवार्य पहलू हैं, मगर ऐसा करते हुए भी पार्टियों और राजनेताओं से यह अपेक्षा की जाती है कि उनकी आलोचना निजी अवमानना के दायरे में न प्रवेश करने पाए और न ही उससे किसी आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन हो। विडंबना यह है कि विगत कुछ वर्षों में चुनाव आयोग की सुस्ती के कारण राजनीतिक दलों व नेताओं का हौसला बढ़ता गया। दिल्ली विधानसभा चुनाव में आचार संहिता तोडे़ जाने के अब तक 155 से अधिक मामले इस बात की तस्दीक करते हैं कि हमारी राजनीतिक पार्टियों को मर्यादा का पाठ पढ़ाए जाने की कितनी अधिक जरूरत है। दरअसल, इन सियासी तू-तू, मैं-मैं में सबसे ज्यादा नुकसान मतदाताओं का होता है। एक ऐसा नगर राज्य, जिसे दुनिया के सबसे प्रदूषित राजधानियों में गिना जाता हो, जिसके कारण कई-कई बार इसके नौनिहालों का स्कूल जाना बंद हो जाए, जिसके कई इलाकों में गर्मियों में पीने के पानी के लिए लोग जान लेने-देने पर आमादा हो जाएं, वहां का चुनावी विमर्श आज क्या है? किसी की तस्वीर का इस्तेमाल, किसी के कंबल और रुपये वितरण? चुनाव आयोग को दिल्ली को एक आदर्श चुनाव साबित करने के लिए आईन के दायरे में सख्त से सख्त कदम उठाने की जरूरत है।

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