सुरंग से शक्ति
- कश्मीर के गांदरबल जिले में 6.5 किलोमीटर लंबी जेड मोड़ सुरंग का उद्घाटन सुखद है। प्रधानमंत्री नरेेंद्र मोदी ने सोमवार को अगर स्वयं इस सुरंग का उद्घाटन किया है, तो इसकी उपयोगिता को सहज ही समझा जा सकता है…
कश्मीर के गांदरबल जिले में 6.5 किलोमीटर लंबी जेड मोड़ सुरंग का उद्घाटन सुखद है। प्रधानमंत्री नरेेंद्र मोदी ने सोमवार को अगर स्वयं इस सुरंग का उद्घाटन किया है, तो इसकी उपयोगिता को सहज ही समझा जा सकता है। इस सुरंग का रणनीतिक, आर्थिक और सामाजिक महत्व बहुत ज्यादा है। रणनीतिक महत्व इसलिए है कि इससे जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा को बल मिलेगा। आर्थिक महत्व इसलिए कि सुरंग से इस केंद्रशासित प्रदेश की अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा। यहां आने के लिए उद्यमी आकर्षित होंगे। रोजगार में वृद्धि होगी। सामाजिक महत्व इसलिए है कि वहां लोगों को परस्पर दूरी का जो गहरा एहसास होता था, वह कम होगा। पहाड़ों पर सफर करना आसान नहीं होता और साल के तीन-चार महीने संपर्क टूटा रहता है, अत: यह सुरंग बहुत काम की साबित होगी। उद्घाटन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ जम्मू-कश्मीर के उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी मौजूद थे, जिससे पता चलता है कि स्थानीय सरकार और केंद्र सरकार के बीच कैसे तालमेल के साथ मूलभूत ढांचा का विकास आगे बढ़ रहा है।
इस दो-लेन की सुरंग ने गांदरबल जिले में गगनगीर और सोनमर्ग को जोड़ दिया है। इससे विशेष रूप से सोनमर्ग की अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा। रोजगार के नए अवसर खुलेंगे। कुछ दशक पहले तक कश्मीर में ऐसी किसी सुरंग की कल्पना भी असंभव थी, लेकिन अब देश इतना सक्षम है कि वह सिर्फ एक सुरंग पर 2,700 करोड़ रुपये से अधिक खर्च कर सकता है। दरअसल, देश को मजबूती से जोड़ने वाली सड़कों का निर्माण अनिवार्य हो गया है। समुद्रतल से 8,650 फीट से अधिक की ऊंचाई पर स्थित यह सुरंग किसी भी मौसम में बाधित नहीं होगी। इसे न भूस्खलन का खतरा होगा और न हिमस्खलन का। जब वंचित इलाकों को बेहतर सड़कों से जोड़ा जाता है, तब लोग भी देश से ज्यादा जुड़ने के लिए प्रेरित होते हैं। वर्षों तक यह इलाका आतंकवाद की वजह से पीड़ित रहा है। यह धारणा रही है कि यहां आतंकवादी कोई भी विकास कार्य नहीं होने देंगे, हालांकि, भारतीय राज्य की मजबूती ने दहशत पर लगाम लगाने का काम कर दिया है।
इस विशेष परियोजना की देखरेख करने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड की तारीफ होनी चाहिए। सरकारी संस्थाओं की तारीफ के साथ ही निजी क्षेत्र की उन कंपनियों की भी प्रशंसा करनी चाहिए, जो ऐसी दुर्गम परियोजनाओं के सपने को साकार करने में जुटी हैं। उन मजदूरों की भी तारीफ होनी चाहिए, जो जान जोखिम में डालकर कार्यों को अंजाम दे रहे हैं। कश्मीर में एक और विशेष सुरंग परियोजना के पूरी होने का इंतजार है। जोजिला सुरंग का निर्माण साल 2028 तक पूरा हो जाएगा, जिससे श्रीनगर और लद्दाख के बीच 49 किलोमीटर से घटकर 43 किलोमीटर हो जाएगी। इतना ही नहीं, पुरानी सड़कों पर महज 30 किलोमीटर की गति से वाहन दौड़ते हैं, पर सुरंग के अंदर गाड़ियों की गति 70 किलोमीटर प्रति घंटा तक पहुंच जाएगी। यह जानना उत्साह जगाता है कि जम्मू-कश्मीर में करीब 1.25 लाख करोड़ रुपये की लागत से सड़क परियोजनाओं पर काम हो रहा है। इतना ही नहीं, रोप-वे और केबल कार चलाने के करीब 22 प्रस्ताव हैं, जिन्हें 25,000-30,000 करोड़ रुपये की लागत से पूरा किया जाना है। जम्मू-कश्मीर के पर्यटन में चार गुना बढ़ोतरी का अनुमान है, जिससे जम्मू-कश्मीर आत्मनिर्भर और समृद्ध होगा। जाहिर है, कश्मीर बुनियादी मजबूती के साथ अमन-चैन की ओर बढ़ रहा है।
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