Hindi Newsओपिनियन ब्लॉगHindustan editorial column 09 January 2025

ट्रंप का नया नक्शा

  • अमेरिका के पूर्व और भावी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने देश संयुक्त राज्य अमेरिका का एक ऐसा मनमानी मानचित्र जारी किया है, जिसमें कनाडा भी शामिल है। संसार को पहले भी अपने चमत्कारी कदमों और बयानों से अचंभित करने वाले ट्रंप की इस कवायद को अफसोस के साथ देखा…

Hindustan लाइव हिन्दुस्तानSat, 11 Jan 2025 05:52 PM
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अमेरिका के पूर्व और भावी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने देश संयुक्त राज्य अमेरिका का एक ऐसा मनमानी मानचित्र जारी किया है, जिसमें कनाडा भी शामिल है। संसार को पहले भी अपने चमत्कारी कदमों और बयानों से अचंभित करने वाले ट्रंप की इस कवायद को अफसोस के साथ देखा जाए या नजरंदाज कर दिया जाए? खुशी के साथ देखा जाए या दुख जताया जाए? विकृत मानचित्र ही नहीं, बल्कि उसके साथ जो दो शब्द लिखे हैं -‘ओह कनाडा’, उससे भी विश्व राजनय में कोई अच्छी व्यंजना नहीं हुई है। उन्हें पता ही होगा कि यह मानचित्र बहुतों को नागवार गुजरेगा, इसलिए ‘ओह कनाडा’ कहने में अफसोस का ही भाव निहित है। वैसे, इसमें कनाडा की बेचारगी भी निहित है। जो देश किसी महाशक्ति के पिछलग्गू बनकर चलते हैं या जरूरत से ज्यादा निर्भर रहते हैं, उन्हें ऐसी राजनीति के लिए तैयार रहना चाहिए। यह आक्रामक राजनीति या राजनय का दौर है, जो चीन से रूस तक और इजरायल से अमेरिका तक खूब चल रहा है। बीत गया वह दौर, जब एक देश दूसरे की गोद में बैठ जाया करता था और उसके बावजूद उसकी संप्रभुता बनी रहती थी। अब यह नए दौर का आगाज है, जिसमें बहुत विचित्र संभावनाएं और आशंकाएं अपेक्षित हैं।

जाहिर है, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को यह कतई अच्छा नहीं लगा है, पर उन्हें तभी सावधान हो जाना चाहिए था, जब डोनाल्ड ट्रंप ने आमने-सामने की भेंट में ही कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बन जाने का प्रस्ताव दिया था। शायद तभी अगर ट्रूडो ने कड़ा व दोटूक जवाब दिया होता, तो आज यह नौबत न आती। अब बचाव या जवाब देने उतरी ट्रूडो की लिबरल पार्टी ने नया नक्शा जारी करके बताया है कि कौन सा क्षेत्र अमेरिका में है और कौन अमेरिका का हिस्सा नहीं है। अब कनाडा को अपने बचाव के लिए अलग ही रणनीति के साथ कूटनीति के मैदान में उतरना होगा। संभव है, उसे चीन या रूस का भी सहारा लेना पड़े। हालांकि, यह आसान नहीं होगा। ट्रूडो तो पद से हटने वाले हैं, लेकिन वहां जो भी सत्ता संभालेगा, उसे विश्व स्तर पर अपने लिए समर्थन की व्यवस्था करनी पड़ेगी। फिर भी, उसके लिए बेहतर यही होगा कि वह ट्रंप से ही बात करे। ट्रंप ने साफ कर दिया है कि वह आर्थिक बल का इस्तेमाल करके कनाडा का अधिग्रहण करेंगे। उन्होंने तो कनाडा को साफ इशारा कर दिया है कि वह उस कृत्रिम रूप से खींची गई सीमा रेखा से छुटकारा पाए और देखे कि वृहद देश कैसा दिखता है। अमेरिका की शक्ति बढ़ाने को लालायित ट्रंप की चाह केवल कनाडा तक सीमित नहीं है, वह पनामा नहर और ग्रीनलैंड पर भी कब्जा चाहते हैं एवं इसके लिए वह सैन्य बल का प्रयोग भी कर सकते हैं।

अब यह बहुत स्पष्ट बात है कि डोनाल्ड ट्रंप ने एक वृहद अमेरिका का स्वप्न देख रखा है, ठीक वैसे ही जैसे चीन देखता आ रहा है। हालांकि, अपने साम्राज्य के विस्तार में चीन कुछ आगे है। भारत के लिए चिंता की बात तो है, पर हमारे उन पड़ोसियों की चिंता ज्यादा बढ़नी चाहिए, जो एक उभरती महाशक्ति की गोद में जाने के लिए भारत को भी नाराज करने में गुरेज नहीं कर रहे हैं। भारत यह कूटनीतिक आग्रह जरूर कर सकता है कि दुनिया में ज्यादा से ज्यादा देशों की संप्रभुता पर कोई आंच नहीं आए। बहरहाल, टं्रप ने अगर अपने सपने पूरे करने के लिए कदम तेजी से बढ़ाए, तो दुनिया में जगह-जगह उसका असर देखने के लिए तैयार रहना चाहिए।

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