अंतरिक्ष से निगरानी
भारत जब चारों ओर से प्रतिकूल स्थितियों से घिरता दिख रहा है, तब देश की सुरक्षा या निगरानी के लिए किया जाने वाला कोई भी इंतजाम स्वागत योग्य है। देश की सुरक्षा के मोर्चे पर यह किसी खुशखबरी से कम...
भारत जब चारों ओर से प्रतिकूल स्थितियों से घिरता दिख रहा है, तब देश की सुरक्षा या निगरानी के लिए किया जाने वाला कोई भी इंतजाम स्वागत योग्य है। देश की सुरक्षा के मोर्चे पर यह किसी खुशखबरी से कम नहीं है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा संबंधी कैबिनेट समिति (सीसीएस) ने अंतरिक्ष आधारित निगरानी (एसबीएस) मिशन के तीसरे चरण को मंजूरी दे दी है। जल, थल और नभ की पूरी निगरानी के लिए किया जा रहा यह कार्य देश को गर्व की अनुभूति करा रहा है। ध्यान रहे कि इस परियोजना को रक्षा मंत्रालय में एकीकृत मुख्यालय के तहत रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय द्वारा नियंत्रित किया जा रहा है। ऐसे सुरक्षा कार्यक्रमों को गोपनीय रखना चाहिए, पर यह हर्ष और कौतूहल का भी विषय है, इसलिए इसकी एक सीमा में रहते हुए चर्चा स्वाभाविक है। भारत एक उदार लोकतांत्रिक देश है और देश से जुड़ी बुनियादी सूचनाओं से देशवासियों को लैस करने में कोई बुराई नहीं है। आकाश में उपग्रहों का जाल बिछाकर किस तरह से देश की सुरक्षा और सूचना जरूरतों को पूरा किया जाएगा, इसके बारे में देशवासी जरूर जानना चाहेंगे।
शुरुआती सूचनाओं के अनुसार, भारत सरकार निजी क्षेत्र को साथ लेकर देश के निगरानी तंत्र को मजबूत कर रही है। यह समय के अनुरूप उठाया गया कदम है। कम से कम 52 उपग्रह अंतरिक्ष में छोड़े जाएंगे, जिन पर 26,968 करोड़ रुपये तक खर्च होंगे। इसरो 21 उपग्रहों का निर्माण करेगा और 31 उपग्रह निजी कंपनियों द्वारा तैयार किए जाएंगे। यह सूचना भी आज बहुत उपयोगी हो गई है कि अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के समय साल 2001 में अंतरिक्ष आधारित निगरानी तंत्र की शुरुआत चार उपग्रहों के साथ हुई थी। उसके बाद दूसरे चरण में साल 2013 में मनमोहन सिंह की सरकार के समय छह उपग्रह छोड़ने का फैसला हुआ था, उसके बाद अब जाकर तीसरे चरण का फैसला हुआ है। इसमें एक राय यह भी है कि अंतरिक्ष से निगरानी का काम अपेक्षाकृत कम गति से हो रहा है। देश की निगरानी व संचार जरूरतों को देखते हुए इसमें और तेजी आनी चाहिए। यह समझने की बात है कि प्रतिवर्ष औसतन पांच उपग्रह निगरानी के उद्देश्य से अंतरिक्ष में प्रक्षेपित होंगे। दस साल में कुल 52 उपग्रह अंतरिक्ष की निचली कक्षा में तैनात हो जाएंगे।
कोई शक नहीं कि भारत को थल, जल और नभ, तीनों ही मोर्चों पर खुद को मजबूत करना चाहिए। आज भारत के साथ दुनिया के ताकतवर देश खड़े हैं, फिर भी भारत को स्वयं अपने स्तर पर पुख्ता इंतजाम रखने चाहिए। भारत चुनौतियों से घिरा हुआ है और दुनिया की सबसे विशाल आबादी है, भारतीय जीवन अनमोल है, अत: हमें सबकी रक्षा के लिए अपने निगरानी तंत्र को मजबूत करना ही होगा। इसमें भी कोई दोराय नहीं कि हमारा निगरानी तंत्र अगर मजबूत होगा, तो हमारे पड़ोसी देशों को भी फायदा होगा। आपात स्थिति या आपदाओं के समय हम दुनिया के अन्य देशों की मदद करने में ज्यादा सक्षम होंगे। निगरानी तंत्र केवल युद्ध या अपनी रक्षा के लिए ही नहीं, बल्कि तेज, सतत और सुनिश्चित विकास के लिए भी जरूरी है। पूरी सतर्कता के साथ इस अभियान को आगे बढ़ाना चाहिए। निजी उपग्रहों को जरूर जगह मिलनी चाहिए, लेकिन सभी पर रक्षा मंत्रालय या भारत सरकार का नियंत्रण सुनिश्चित होना चाहिए, ताकि भारतीय सुरक्षा में किसी सेंध की कोई गुंजाइश न रहे।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।