Hindi Newsओपिनियन संपादकीयhindustan editorial column 03 October 2024

महायुद्ध का खतरा

ईरान द्वारा इजरायल को सीधे निशाना बनाने से महायुद्ध जैसे हालात बनना पूरी दुनिया के लिए चिंताजनक और दुखद है। तनाव चरम पर है, क्योंकि इजरायल किसी भी वक्त ईरान पर जवाबी वार कर सकता है...

Pankaj Tomar हिन्दुस्तान, Wed, 2 Oct 2024 10:52 PM
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महायुद्ध का खतरा

ईरान द्वारा इजरायल को सीधे निशाना बनाने से महायुद्ध जैसे हालात बनना पूरी दुनिया के लिए चिंताजनक और दुखद है। तनाव चरम पर है, क्योंकि इजरायल किसी भी वक्त ईरान पर जवाबी वार कर सकता है। दरअसल, लगभग एक साल से ईरान प्रत्यक्ष रूप से संयम दिखा रहा था। हिज्बुल्लाह जैसे आतंकी संगठनों को हर तरह की मदद देकर खुद को सीधे युद्ध में उतरने से बचा रहा था, पर मंगलवार को एक साथ 180 मिसाइलें दागकर इजरायल को उसने साफ संकेत दे दिया है कि वह अब चुप नहीं बैठेगा। खासकर, नसरल्लाह की मौत के बाद ईरान पर जंग में कूदने का भारी दबाव था। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भी साफ कह दिया है कि ईरान को इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी। इजरायल के साथ समस्या यह है कि वह बदले की मानसिकता में फंसा हुआ है और किसी भी नसीहत पर कान नहीं दे रहा है। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव को भी वह रत्ती भर भाव देने को तैयार नहीं है। अमेरिका से मिल रहा समर्थन उसके लिए पर्याप्त है। ऐसे में, एक महायुद्ध दहलीज पर दस्तक देने लगा है। 
आज एक बड़ा सवाल है कि क्या इजरायल, ईरान जैसे देश महायुद्ध चाहते हैं? दरअसल, हर देश दुनिया में आम जनमानस को लेकर सजग है। संसार के ज्यादातर लोग महायुद्ध नहीं चाहते, इसलिए बड़ी आक्रामकता दिखाने के बावजूद देश अपना बचाव भी कर रहे हैं। ईरान की ही अगर बात सुनें, तो उसने यही कहा है कि उसका हमला पूरी तरह रक्षात्मक था और वह लेबनान में इजरायल द्वारा की गई हत्याओं व हमलों का जवाब देना चाहता था। ईरान यह मानता है कि उसने 180 मिसाइलें दागकर हिसाब बराबर किया है और उसकी ओर से हमला समाप्त है, जब तक कि इजरायल उसे फिर उकसाता नहीं है। जाहिर है, इजरायल ने फिर वार किया, तो यकीन मानिए, दुनिया महायुद्ध की ओर बढ़ चलेगी। यहां परमाणु जनित खतरे की आशंका की चर्चा न हो, तो बेहतर है। आज दुनिया ऐसी स्थिति में नहीं है कि महायुद्ध झेल सके। यह किसी भी प्रकार के हमलावरों की पीठ थपथपाने के बजाय शांति दूतों को आगे करने का समय है। संयुक्त राष्ट्र की सक्रियता जरूरी है, ताकि दुनिया युद्ध की वास्तविकता से परिचित हो सके। आज दोनों ओर ऐसे देश हैं, जो सूचनाओं को छिपा सकते हैं। वार करने वाला देश अलग आंकड़े देगा और वार झेलने वाला देश न्यूनतम क्षति दर्शाएगा। शायद, हम एक ऐसे दौर के गवाह बनेंगे, जब सही सूचनाओं पर पहरे होंगे। यह दुनिया के लिए ज्यादा खतरनाक स्थिति होगी। 
युद्ध पर कहीं तो लगाम लगे। गाजा से लेकर कीव तक युद्धों के चलते रोज सैकड़ों लोग मारे जा रहे हैं। इजरायल ने मंगलवार को भी लेबनान पर हमले जारी रखे, जिसमें 55 लोगों की मौत हो गई। किसी तरह से इजरायल को अमन बहाली के लिए तैयार करना होगा और दूसरी ओर, अरब मुल्कों को किसी भी तरह के आतंकी संगठन के बचाव से बाज आने के लिए पाबंद करना होगा। यह गौर करना जरूरी है कि मुट्ठी भर आतंकियों वाले हमास और हिजबुल्लाह की कारस्तानियों ने दुनिया को कहां पहुंचा दिया है। ईमानदारी से सोचना होगा, इजरायल का दुनिया में सकारात्मक योगदान भी है, पर उसकी आक्रामकता निर्ममता की हदें पार न करे, यह सुनिश्चित करना आज समय की सबसे बड़ी मांग है। महायुद्ध रोकने के लिए भारत के साथ चीन को भी जरूर आगे आना चाहिए, तो बात जल्दी सुनी जाएगी।  

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