तीसरे महायुद्ध की कोई आशंका नहीं
जो लोग इस जंग को विश्व युद्ध की शुरुआत समझ रहे हैं, उनको बता दूं कि संयुक्त राष्ट्र ने इजरायल पर ईरान द्वारा दागी गई मिसाइलों पर कोई खास प्रतिक्रिया नहीं दी है। नाराज इजरायल ने संयुक्त राष्ट्र...
जो लोग इस जंग को विश्व युद्ध की शुरुआत समझ रहे हैं, उनको बता दूं कि संयुक्त राष्ट्र ने इजरायल पर ईरान द्वारा दागी गई मिसाइलों पर कोई खास प्रतिक्रिया नहीं दी है। नाराज इजरायल ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव को अपने यहां प्रतिबंधित कर दिया है। यानी, संयुक्त राष्ट्र मौन रूप से ईरान का समर्थन कर रहा है! ऐसी परिस्थिति में विश्व युद्ध की कोई आशंका नहीं होनी चाहिए। हां, इजरायल समर्थक देशों द्वारा मध्यस्थता का प्रयास किया जा सकता है! ईरान को पश्चिमी देश, खासतौर पर अमेरिका हल्के में नहीं ले सकता, क्योंकि पश्चिम एशिया में इस समय अमेरिका के लगभग एक लाख सैनिक अलग-अलग देशों में तैनात हैं और अगर कोई अनहोनी होती है, तो उसके सैनिकों व अड्डों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है!
अली जमीर रिजवी, टिप्पणीकार
सभी नुकसान से वाकिफ
ईरान और इजरायल के बीच अभी जो तनाव बढ़ा है, उसमें कई बुद्धिजीवी तीसरे विश्व युद्ध के बीज ढूंढ़ रहे हैं। मगर यह फिलहाल असंभव है, क्योंकि लगभग सभी देश यह जानते हैं कि विश्व युद्ध मानव जाति के विनाश का कारण बन सकता है। युद्ध चाहे किसी भी युग में क्यों न हो, हमेशा बर्बादी ही लाता है। हकीकत यही है कि जब कभी कुछ सत्ताधारियों ने अपने अहं के कारण युद्ध छेड़ा है, तो उसमें बेकुसूर और निहत्थे लोगों को ही सबसे अधिक नुकसान उठाना पड़ा। फिर, दुनिया के किसी भी कोने में युद्ध हो, उसका बुरा प्रभाव पूरे विश्व पर पड़ेगा, क्योंकि सभी देश एक-दूसरे पर किसी न किसी रूप में थोड़े-बहुत निर्भर हैं। ईरान और इजरायल के बीच जारी तनातनी का दायरा यदि बढ़ता है, तो विश्व को आर्थिक नुकसान भी होगा, क्योंकि एक तरफ तेल की वैश्विक आपूर्ति प्रभावित होगी, तो दूसरी तरफ कारोबारियों का माल अटक सकता है। यही नहीं, अब जिस तरह से मिसाइलों से हमले किए जाते हैं, इनका पर्यावरण पर भी बुरा असर पड़ना तय है। ऐसे में, सभी जिम्मेदार नेताओं को इजरायल-ईरान के आपसी तनाव को कम करने की दिशा में सक्रिय हो जाना चाहिए। अभी कोई ऐसा काम नहीं होना चाहिए, जिससे जलती आग में घी पड़ जाए। विश्व युद्ध कितना भयावह होता है, वह कोई जापान से पूछ ले। बेशक इस देश ने आज अच्छी-खासी तरक्की कर ली है, लेकिन इसके सीने पर लगे महायुद्ध के घाव अब भी टीस देते रहते हैं, जबकि वह तो दूसरा विश्व युद्ध था। आज कई देशों के पास मानव संहारक हथियार हैं, इसलिए तीसरा महायुद्ध कहीं अधिक विध्वंसक होगा।
राजेश कुमार चौहान, टिप्पणीकार
इसे महायुद्ध की पटकथा ही कहेंगे
ईरान के बहुप्रतिक्षित हमले के बाद संभवत: तीसरे विश्व युद्ध का आगाज हो चुका है। अभी तक टुकड़े-टुकड़े में जंग जारी थी, लेकिन अब ईरान आर-पार की मुद्रा में सामने आ गया है। इजरायल पर मिसाइल दागने के बाद उसने कहा भी कि वह हमास व हिजबुल्लाह नेताओं की मौत का बदला ले रहा है और अगर अब इजरायल ने कोई प्रतिक्रिया दी, तो तनाव और बढ़ेगा। शनिवार का उसका बयान भी आक्रामक था। वास्तव में, यह लड़ाई यहूदी राष्ट्र के अस्तित्व और शिया मुस्लिम बहुल देश ईरान व उसके छद्म गुटों के बीच वर्चस्व की जंग है। इजरायल के साथ अमेरिका और उसके मित्र देश हैं, तो हमास के साथ इस्लामिक दुनिया के देश। वैसे, इस यहूदी और शिया की लड़ाई में हम हिंदू बहुल देश का क्या काम, लेकिन यह चिंता तो बनी ही हुई है कि अगर इस युद्ध का विस्तार हुआ, तो हमारा रुख क्या होगा? सवाल महाशक्तियों पर भी है। विशेषकर रूस करीब-करीब तीन साल से यूक्रेन से उलझा हुआ है, जबकि अमेरिका परोक्ष रूप से कीव की मदद कर रहा है। ऐसे में, यूरोपीय राष्ट्र, अमेरिका और पश्चिम एशियाई देश, सभी युद्ध में उलझे हुए दिख रहे हैं। तो, जब इतनी बड़ा क्षेत्र जंग में शामिल है, तो इसे विश्व युद्ध की पटकथा नहीं कहेंगे, तो और क्या कहेंगे?
पवन सिंह, टिप्पणीकार
संयम बरतें नेतन्याहू
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू इन दिनों कुछ ज्यादा आक्रामकता दिखा रहे हैं, इसलिए वह कई मोर्चों पर युद्ध लड़ रहे हैं। मगर उनको भारत से सीख लेनी चाहिए और अहिंसा का रास्ता अपनाना चाहिए। इसमें अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उनका कद तो बढ़ेगा ही, इजरायल के लोगों को भी राहत मिलेगी। इससे तीसरे विश्व युद्ध के सज चुके मंच पर भी परदा गिर सकेगा। जो लोग इस मुगालते में हैं कि अहिंसा से क्या हो सकता है, तो उनको भारत का इतिहास पढ़ना चाहिए कि कैसे सिर्फ धोती पहनने वाला एक नंगा फकीर अपनी लाठी से अंग्रेजों की बंदूकें खामोश कर गया और उनको देश छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया। इसलिए अब तय नेतन्याहू को करना है कि वह इतिहास के पन्नों में किस रूप में जगह पाना चाहते हैं- एक ऐसे नेता के रूप में, जो तीसरे विश्व युद्ध का कारक बना, या ऐसे नेता के रूप में, जिसने महायुद्ध को होने से रोक दिया? उम्मीद है, इजरायल के प्रधानमंत्री पर अंतरराष्ट्रीय दबाव तेज किया जाएगा और अलग-अलग मोर्चे पर चल रहे उसके युद्ध को खत्म करने में सफलता हासिल की जाएगी। मानवता का यही तकाजा है।
आशुतोष, टिप्पणीकार
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