Hindi Newsओपिनियन साइबर संसारHindustan cyber world column 08 January 2025

एचएमपीवी को लेकर कोविड जैसी चिंता

  • दुनिया भर में जिस तरह से ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) के मामले बढ़ रहे हैं, उससे एक बार फिर कोरोना जैसा भय पसरने लगा है। कोरोना वायरस का जन्म चीन से हुआ था और एचएमपीवी भी इस साल चीन से ही फैल रहा है…

Hindustan लाइव हिन्दुस्तानTue, 7 Jan 2025 11:11 PM
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दुनिया भर में जिस तरह से ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) के मामले बढ़ रहे हैं, उससे एक बार फिर कोरोना जैसा भय पसरने लगा है। कोरोना वायरस का जन्म चीन से हुआ था और एचएमपीवी भी इस साल चीन से ही फैल रहा है। यह सही है कि एचएमपीवी कोई नया वायरस नहीं है और भारत में भी इसके मामले पाए जाते रहे हैं, लेकिन जिस रफ्तार से इस बार यह फैल रहा है, उससे चिंता स्वाभाविक है। यह शोचनीय स्थिति इसलिए भी है, क्योंकि इस साल यह वायरस अस्पतालों पर बोझ बढ़ा रहा है, जिसका अपना नुकसान है। भूलना नहीं चाहिए कि कोरोना से भी अस्पतालों पर बेहिसाब बोझ बढ़ने लगा था, जिसके कारण स्थिति काफी बिगड़ गई थी।

कोरोना से मौजूदा माहौल को इसलिए जोड़ा जा सकता है, क्योंकि एचएमपीवी में भी कोविड-19 की तरह खांसी-जुकाम वाले लक्षण पाए गए हैं और यह वायरस उसी तेजी से लोगों को संक्रमित कर रहा है, जितनी तेजी से पांच साल पहले कोरोना ने लोगों को बीमार किया था। चीन की बात छोड़ दीजिए, अपने देश में ही सोमवार को देश के अलग-अलग हिस्सों में पांच मामले सामने आ गए। साफ है, संक्रमण का प्रसार हो चुका है और अगर पर्याप्त जांच होती है, तो कई अन्य मामले सामने आ सकते हैं। लोग इसलिए भी डर रहे हैं, क्योंकि कोरोना का सितम भारत सहित पूरी दुनिया देख चुकी है। धीरे-धीरे हर गांव-हर शहर को कोरोना ने अपने कब्जे में ले लिया था। यही कारण है कि इस बार भी सभी को विशेष सावधानी बरतने की बात कही जा रही है।

फिलहाल चीन ने इस वायरस को फ्लू की तरह माना है और दावा किया है कि सर्दियों के मौसम में इसके मामले आते ही हैं। याद कीजिए, कोरोना को लेकर भी चीन ने पहले सही जानकारी नहीं दी थी। कहा था कि कोविड-19 नया वायरस जरूर है, लेकिन चिंता की कोई बात नहीं। मगर बाद में पूरी दुनिया की दुर्गति हो गई। फिर, इस बार भी उसी तरह के बचाव के उपाय बताए जा रहे हैं, जो कोरोना के समय बताए गए थे। जैसे- छींकते समय मुंह को ढकना, भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचना, सर्दी-बुखार जैसे लक्षण आने पर घर में रहना, खूब पानी पीना और पोषक भोजन का सेवन करना। ऐसे में, कामना तो बस यही है कि इस वायरस से मृत्यु दर कोरोना जैसी न हो। अभी तो ऐसी स्थिति नहीं लग रही है, लेकिन हमें सावधान जरूर रहना चाहिए। क्या पता कब इसका कहर टूटने लग जाए! इसलिए लापरवाही से बचाव में ही भलाई है।

ऋतेश, टिप्पणीकार

कोरोना से इसकी तुलना उचित नहीं

ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) से डरने नहीं, बल्कि सावधान रहने की जरूरत है। यह कोई नया वायरस नहीं है। नीदरलैंड में 2001 में ही इसका पता लग गया था, जिसके बाद इस पर वैज्ञानिकों ने शोध भी शुरू कर दिया। समशीतोष्ण जलवायु वाले देशों में इसके मामले आते ही रहे हैं। भारत में ही यह कहा जाता है कि अलग-अलग इलाकों में मौसम के अनुसार एक से 19 फीसदी तक इसके मामले आते रहे हैं। ऐसे में यह कहना कि चीन से कोरोना जैसे एक और वायरस का प्रसार हुआ है, पूरी तरह गलत होगा। वास्तव में, यह सामान्य न्यूमोनिया जैसी बीमारी है। इसमें सर्दी-जुकाम जैसी समस्या होती है और सांस की नली प्रभावित होती है। विशेषकर छोटे बच्चे और उम्रदराज लोगों को यह वायरस ज्यादा प्रभावित करता है। सांस की पुरानी बीमारियों से पीड़ित मरीजों को भी इससे परेशानी हो सकती है। शेष सभी आयु-वर्ग के लोगों को यह वायरस मामूली रूप से परेशान कर सकता है। यही कारण है कि इसमें अस्पताल में भर्ती होने का आंकड़ा कम है। चीन में ही लोग अपने बच्चों को डॉक्टरों के पास जरूर ले जा रहे हैं, लेकिन स्थिति गंभीर नहीं है और इलाज के बाद मरीज ठीक हो रहे हैं। इसके उलट, कोरोना में मृत्यु के मामले देखे जा रहे थे और टीका के न होने का नुकसान भी लोगों को हुआ था।

बहरहाल, कुछ सावधानी बरतकर हम इस वायरस से बच सकते हैं। जैसे, साफ-सफाई की आदतों को अपनी जीवनशैली में उतारकर। हमें साबुन और पानी से बार-बार अपने हाथ धोने चाहिए। सर्दी-जुकाम होने पर घर पर ही रहना चाहिए और भीड़-भाड़ में जाने से बचना चाहिए। छींक आने पर नंगे हाथों से मुंह ढकने के बजाय रूमाल का इस्तेमाल करना चाहिए अथवा अपने बांह को मुंह पर ले जाना चाहिए। खान-पान संयमित रखना चाहिए। इसके अलावा कुछ प्रयास सरकारों की तरफ से होने चाहिए, जैसे कि जिन राज्यों में इसके मरीज मिल रहे हों, वहां विशेष निगरानी व्यवस्था अपनाई जाए। जांच-पड़ताल में तेजी लाई जाए, क्योंकि पूर्व में इस वायरस के प्रति उतनी संजीदगी नहीं दिखाई गई है और जांच की सुविधा होने के बावजूद संक्रमितों का आरटीपीसीआर टेस्ट नहीं किया गया। इस बार ऐसा नहीं होना चाहिए। मरीजों का खास ख्याल रखकर और स्वास्थ्य तंत्र द्वारा निगरानी बढ़ाकर हम इस वायरस के प्रसार को काफी हद तक थाम सकते हैं। उम्मीद यही है कि इसके लिए जिस दृढ़ इच्छाशक्ति की जरूरत है, वह हमारे तंत्र दिखाएंगे। कोरोना महामारी से यही सबक हमने सीखा है।

स्वाति, टिप्पणीकार

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