Hindi Newsओपिनियन मेल बॉक्सHindustan Mail Box Column 26 February 2022

शांति के लिए

रूस-यूक्रेन युद्ध भारत की चिंताएं बढ़ा रहा है। वहां हमारे कई नागरिक फंसे हुए हैं, जिनमें से ज्यादातर विद्यार्थी हैं। इन सबको यूक्रेन से सकुशल वापस लाना बहुत जरूरी है। हालांकि, भारत सरकार इन सबकी...

Neelesh Singh हिन्दुस्तान, Fri, 25 Feb 2022 09:39 PM
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शांति के लिए

रूस-यूक्रेन युद्ध भारत की चिंताएं बढ़ा रहा है। वहां हमारे कई नागरिक फंसे हुए हैं, जिनमें से ज्यादातर विद्यार्थी हैं। इन सबको यूक्रेन से सकुशल वापस लाना बहुत जरूरी है। हालांकि, भारत सरकार इन सबकी स्वदेश वापसी के लिए जी-जान से जुटी हुई है। परंतु, अच्छा होता कि पहले ही सभी की वापसी हो जाती। बहरहाल, रूस के हमले के दुष्प्रभाव भी आने शुरू हो गए हैं। जंग शुरू होते ही दुनिया भर के बाजारों में जबर्दस्त गिरावट देखी गई है। यह युद्ध एक भयानक मानवीय संकट की आहट भी दे रहा है। फिलहाल, युद्ध रोकने और मानवाधिकारों की रक्षा का सबसे बड़ा दायित्व संयुक्त राष्ट्र पर है। इसे दोनों देशों के बीच सुलह कराने की कोशिश करनी चाहिए। 
हितेंद्र डेढ़ा, चिल्ला गांव

एक साथ हों चुनाव
वर्तमान में अलग-अलग चुनाव होने से देश को भारी खर्च करना पड़ता है, जबकि एक साथ चुनाव कराने से राजनीतिक पार्टियों के भी धन बचेंगे। अलग-अलग समय पर होने वाले चुनाव सरकार की विकास-नीतियों को नकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं, जिसकी एक बड़ी वजह है आदर्श आचार संहिता। जबकि, एकीकृत चुनाव से दीर्घकालीन नीतियों का क्रियान्वयन आसान हो जाएगा। हालांकि, एक साथ चुनाव कराने में कुछ चुनौतियां भी हैं। पहली चुनौती तो यही है कि राजनीतिक पार्टियों में आपस में मत नहीं मिलते। इसी तरह, क्षेत्रीय दलों का मानना है कि मतदाताओं में प्राय: एक समय में एक ही दल को चुनने की प्रवृत्ति होती है, जिससे एकीकृत चुनाव में क्षेत्रीय दलों को नुकसान हो सकता है। फिर, एक साथ चुनाव कराने के लिए पर्याप्त संख्या में अधिकारियों और कर्मचारियों की भी आवश्यकता होगी। इस संदर्भ में चुनाव दो चरणों में आयोजित किए जाने संबंधी सुझाव उचित जान पड़ते हैं। पहले चरण में देश की आधी विधानसभाओं के लिए लोकसभा की मध्यावधि में और शेष का लोकसभा के साथ चुनाव होना चाहिए। इससे संसाधनों का अपव्यय भी नहीं होगा।
सूर्यभानु बांधे, रायपुर

भारत की दुविधा
भारत दोराहे पर खड़ा है। एक तरफ वह रूस को छोड़ने में हिचकिचा रहा है, तो दूसरी तरफ उसका सैद्धांतिक पक्ष यूक्रेन की संप्रभुता पर हुए आघात को नजरंदाज नहीं कर पा रहा है। उल्लेखनीय है कि भारत रूस से हथियार और भारी मात्रा में औद्योगिक धातु, प्राकृतिक गैस और कच्चे तेल का आयात करता है। वहीं, यूक्रेन से यह संबंध प्लास्टिक, सुरजमूखी तेल, कृषि तकनीकी पर आधारित है। इसके कारण भारत का किसी एक के साथ जाना भारी पड़ सकता है। यह घटनाक्रम एक सबक यह देता है कि ऊर्जा, हथियार, मूल आधारभूत वस्तुओं के लिए किसी एक देश पर अधिक निर्भरता कहीं से भी समझदारी भरा कदम नहीं है। आने वाले समय में ‘आत्मनिर्भरता’ ही इस चुनौती से निपटने में मददगार हो सकती है।
अतुल कुमार सोनू, प्रयागराज

यूक्रेन से निकले रूस
आज जब दुनिया महामारी के कारण आर्थिक मंदी के कठिन दौर से गुजर रही है, तब पूरे विश्व को युद्ध में धकेलने की तैयारी चल रही है। रूस का नाटो के विस्तार को अपने लिए खतरा मानते हुए यूक्रेन पर हमलावर होना कूटनीतिक प्रयासों को एक बड़ा झटका है। हो सकता है कि अपनी सुरक्षा को लेकर रूस की शंकाएं निर्मूल न हों, पर युद्ध किसी भी समस्या का हल नहीं। जिन मुद्दों का कूटनीतिक हल निकल सकता है, वहां पर युद्ध की जरूरत होती भी नहीं। इतना ही नहीं, महाशक्तियों पर बड़ी जिम्मेदारियां होती हैं, क्योंकि उनके हर कदम का प्रभाव वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। विश्व शांति के लिए रूस को युद्ध खत्म कर देना चाहिए।
राजेंद्र कुमार शर्मा, रेवाड़ी
 

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