Hindi Newsओपिनियन मेल बॉक्सHindustan Mail Box Column 25 February 2022

संयुक्त राष्ट्र जागे

देश दुनिया में कहीं शांति नहीं है। अब चिंता के बादल पूरे विश्व पर मंडरा रहे हैं। रूस ने यूक्रेन पर हमला जो कर दिया है। विश्व के चारों कोनों में उथल-पुथल मची है, लेकिन धैर्य, शांति और सौहार्द की कोई...

Neelesh Singh हिन्दुस्तान, Thu, 24 Feb 2022 09:29 PM
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संयुक्त राष्ट्र जागे

देश दुनिया में कहीं शांति नहीं है। अब चिंता के बादल पूरे विश्व पर मंडरा रहे हैं। रूस ने यूक्रेन पर हमला जो कर दिया है। विश्व के चारों कोनों में उथल-पुथल मची है, लेकिन धैर्य, शांति और सौहार्द की कोई चर्चा नहीं। विश्व में युद्ध जैसे हालात टालने के लिए संयुक्त राष्ट्र की स्थापना की गई थी। मगर यह संस्था अपनी भूमिका के साथ न्याय नहीं कर पा रही है। ऐसा इसलिए भी है, क्योंकि महाशक्तियां अपने गुमान में किसी की सुनती नहीं हैं। छोटे-छोटे देश आज घुन की तरह पिस रहे हैं। चीन अपनी मनमानी कर रहा है, तो रूस और अमेरिका अपनी अलग तूती बजा रहे हैं। इसलिए, संयुक्त राष्ट्र को अब जागना ही होगा। जिस तरह की अस्थिरता फैल रही है, उसको रोकने व शांति-सौहार्द बनाए रखने में उसे अपनी भूमिका जिम्मेदारी के साथ निभानी होगी।
हेमा हरि उपाध्याय, उज्जैन

रूस का बढ़ेगा कद
तमाम पश्चिमी प्रतिबंधों को धता बताते हुए रूस जिस तरह से यूक्रेन की सीमा में दाखिल हुआ है, वह निर्णायक मोड़ हो सकता है। रूस में अब भी सोवियत संघ के बिखराव की कसक है। इधर, अमेरिका की भी अंतरराष्ट्रीय दारोगा वाली स्थिति कमजोर हुई है, जिसके चलते उस पर से यूरोप सहित तमाम देशों का भरोसा डगमगाया है। एक लिहाज से अमेरिका के लिए यह शीत युद्ध के बाद की सबसे कठिन घड़ी है। ध्यान देने वाली बात यह है कि अगर पुतिन को यूक्रेन में सफलता मिलती है, तो इससे रूस पश्चिमी देशों के सामने मजबूत बनकर उभरेगा ही, साथ ही वह अपने क्षेत्रीय देशों पर भी दबाव बढ़ाएगा। सबसे बड़ी बात, पुतिन की स्वयं की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय हैसियत मजबूत होगी। ऐसे में, अभी यही लग रहा है कि इस युद्ध से रूस और उसके नेता व्लादिमीर पुतिन का ही भला होने वाला है।
अतुल कुमार सोनू, प्रयागराज

विनाशकारी युद्ध
अमेरिका सहित विश्व के अनेक देशों के दबाव और समझाने के बावजूद रूस अपने मन का करने में सफल हुआ। युद्ध किसी भी देश के लिए विनाशकारी है। युद्ध से तबाही का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। संभव है, अब रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए जाएं। मगर इससे पुतिन की सेहत पर शायद ही असर पड़ेगा। अमेरिका की अब वैसी धाक नहीं रही है और मॉस्को के पास दुनिया की बेहतरीन व उन्नत फौज है। भारत ने उचित ही दखलंदाजी नहीं की है। जब रूस अमेरिका की बात नहीं मान रहा, तब भारत की भला क्या सुनेगा? अमेरिका और रूस की तनातनी में यूक्रेन का मददगार बनकर उभरने वाले अनेक देशों में आपसी खींचतान संभव है। बहरहाल, दुनिया भर में इस युद्ध से हड़कंप मच गया है, जिससे विश्व मेें मंदी पसरने और खाद्य सामग्रियों की कीमतों के बढ़ने का अंदेशा है।
कांतिलाल मांडोत, सूरत

कर्मचारियों के हित में
कई मोर्चों पर आलोचनाओं से घिरी कांग्रेस की अब देश भर में प्रशंसा हो रही है। राजस्थान की उसकी गहलोत सरकार द्वारा लिए गए एक फैसले से राज्य के लाखों कर्मचारियों के चेहरे खिल उठे हैं। कांग्रेस की सूबाई सरकार ने पुरानी पेंशन व्यवस्था को पुन: बहाल कर पूरे देश में एक नजीर पेश की है। इस निर्णय से अन्य राज्य सरकारों पर भी जबरदस्त दबाव पड़ेगा। हम सभी जानते हैं कि सरकारी सेवाओं से जुड़े कर्मचारी भविष्य के प्रति सुरक्षित महसूस नहीं कर पाते। अब यह चिंता खत्म हो जाने से वे अपने सेवाकाल में सुशासन में कहीं बेहतर योगदान दे सकेंगे। सनद रहे, पूरे देश में केंद्रीय कर्मचारी सहित प्रदेश के कर्मियों को जनवरी 2004 से पेंशन योजना का लाभ मिलना बंद है। इसे शुरू कराने के लिए विभिन्न हिस्सों में आंदोलन भी हुए हैं। ऐसे में, राजस्थान सरकार की यह घोषणा कर्मचारियों के हित में दूरगामी असर डालेगी।
युगल किशोर राही, छपरा
 

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