Hindi Newsओपिनियन मेल बॉक्सHindustan Mail Box Column 24 February 2022

मानवीय मदद

अफगानिस्तान को भारत ने मानवीय सहायता के रूप में 50 ट्रकों में 2,500 मिट्रिक टन गेहूं की पहली खेप भेजी है। कुल 50 हजार मिट्रिक टन गेहूं भेजने की योजना है। गौरतलब है कि भारत ने कोरोना काल में भी...

Neelesh Singh हिन्दुस्तान, Wed, 23 Feb 2022 09:42 PM
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मानवीय मदद

अफगानिस्तान को भारत ने मानवीय सहायता के रूप में 50 ट्रकों में 2,500 मिट्रिक टन गेहूं की पहली खेप भेजी है। कुल 50 हजार मिट्रिक टन गेहूं भेजने की योजना है। गौरतलब है कि भारत ने कोरोना काल में भी ‘सर्वे भवंतु सुखिन:’ का भाव लेकर करीब 70 देशों को लगभग 600 लाख वैक्सीन की डोज दी थी। हमारा यह रुख बताता है कि हम विश्व शांति और मानवता के कितने पक्षधर हैं। अगर दुनिया के तमाम देश इसी तरह की जनहितैषी सोच रखने लगें, तो निश्चय ही यह पृथ्वी मानव जाति के लिए कहीं बेहतर जगह बन जाएगी।
रोहित मुखिया, खोड़ा

खामोशी के खतरे
रूस-यूक्रेन विवाद का सबसे दुर्भाग्यपूर्ण पक्ष यह है कि रूस उन दो क्षेत्रों को मान्यता दे चुका है, जहां रूसी भाषा और संस्कृति को मानने वाले लोग बहुतायत में हैं। बाकायदा उन क्षेत्रों में रहने वाली रूस समर्थक आबादी विभिन्न संगठनों के मातहत मौजूदा यूक्रेन सरकार से बगावत पर उतारू है। नतीजतन, यूक्रेन सरकार की इन क्षेत्रों पर पकड़ ढीली पड़ी है। सवाल यह है कि विश्व के अनेक देशों के सीमावर्ती इलाकों में पड़ोसी देश से साम्यता रखती आबादी निवास करती है। उनकी समस्याओं का एकमात्र समाधान अलगाव कैसे हो सकता है? आखिर हमारी विश्व बिरादरी इस तरह की समस्याओं का निवारण बिना संबंधित देश की संप्रभुता से छेड़छाड़ किए क्यों नहीं कर पा रही है? संयुक्त राष्ट्र का गठन इसीलिए हुआ था। मगर यह संगठन लचर नजर आ रहा है। दूसरी अहम बात है कि नाटो देश शीतयुद्धकालीन अवस्था में रत हैं। उनको इससे बाहर निकलना होगा। यह समझना होगा कि तीसरा विश्व युद्ध हुआ, तो परमाणु हथियारों का इस्तेमाल हो सकता है, जिसके परिणाम बेहद खतरनाक होंगे।
मुकेश कुमार मनन, पटना

भ्रष्टाचार की आग
हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले में एक पटाखा फैक्टरी में लगी आग से वहां काम करने वाले कई मजदूर जिंदा जल गए। इस तरह की घटना अपने देश में नई नहीं है। पहले भी दूसरे राज्यों में ऐसे हादसे हुए हैं। ऐसी घटनाएं निश्चय तौर पर राज्य सरकार, स्थानीय प्रशासन और अधिकारियों की लापरवाही की वजह से होती हैं। जाहिर है, जिस देश में भ्रष्टाचार चरम पर हो, जहां सरकारी तंत्र भ्रष्टाचार की दलदल में बुरी तरह धंसा हो, वहां भविष्य में भी ऐसी लापरवाही से होने वाले हादसों पर शायद ही लगाम लगे। स्थिति यह है कि रिश्वत के लेन-देन से अवैध और असुरक्षित निर्माण खूब होते हैं। हर बार ऐसी घटना के बाद तमाम तरह के वादे किए जाते हैं और मुआवजे का मरहम लगाया जाता है। यह अब काफी नहीं है। ऐसे हादसों के लिए जो जिम्मेदार हैं, उनको कठघरे में खड़ा करना चाहिए। जब तक कुसूरवारों को सख्त सजा नहीं मिलेगी, ऐसी घटनाओं पर रोक नहीं लग सकती। मजदूरों को सुरक्षा मिलनी ही चाहिए, क्योंकि उनके बिना उद्योग आगे नहीं बढ़ सकता।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर

क्यों हो यह आरक्षण
हरियाणा में निजी क्षेत्र में नौकरी के लिए स्थानीय प्रत्याशियों को 75 फीसदी आरक्षण देना अनुचित है। भारतीय संविधान हर नागरिक को कहीं भी आने-जाने व रोजगार की आजादी देता है। फिर, निजी क्षेत्र में गुणवत्ता पर ध्यान दिया जाता है और सिर्फ योग्यता को प्राथमिकता मिलती है। ऐसे में, यदि सभी राज्य इसी तरह के कानून अपने यहां बनाने लगेंगे, तो देश का संघीय ढांचा ही चरमरा जाएगा। हरियाणा सरकार को चाहिए कि यदि उसको अपने युवाओं को रोजगार देना है, तो राज्य में ज्यादा से ज्यादा उद्योग लगाए। उसे ऐसी सरल नीतियां बनानी चाहिए, ताकि उद्योगपति अपने उद्योग स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित हों। इस तरह की नीति सभी के हित में होगी।
चंद्र प्रकाश शर्मा, दिल्ली
 

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