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अलग-अलग खेमा

यूक्रेन के साथ रूस की तनातनी ने पूरी दुनिया को तीसरे विश्व युद्ध के मुहाने पर ला खड़ा किया है। इसमें एक तरफ अमेरिका सहित पश्चिम दुनिया के देश हैं, तो दूसरी ओर रूस व चीन जैसे सामरिक ताकत वाले देश।...

Naman Dixit हिन्दुस्तान, Tue, 22 Feb 2022 11:41 PM
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अलग-अलग खेमा

यूक्रेन के साथ रूस की तनातनी ने पूरी दुनिया को तीसरे विश्व युद्ध के मुहाने पर ला खड़ा किया है। इसमें एक तरफ अमेरिका सहित पश्चिम दुनिया के देश हैं, तो दूसरी ओर रूस व चीन जैसे सामरिक ताकत वाले देश। चूंकि नाटो देशों की दादागिरी के चलते रूस को उत्तरी कोरिया जैसे देशों का समर्थन मिल सकता है, इसलिए यदि युद्ध हुआ, तो परमाणु युद्ध की आशंका से इनकार नहीं होगा। इससे निश्चय ही पृथ्वी का बहुत बड़ा हिस्सा मानवरहित व कभी न बसने वाले उजाड़ क्षेत्र में तब्दील हो जाएगा। ऐसे में, समय की यही आवश्यकता है कि तमाम समझदार देश रूस और यूक्रेन के तनाव को जल्द से जल्द खत्म करने का प्रयास करें। मनुष्य जाति के उत्थान के लिए हमें युद्ध संगठन के बजाय शांति संगठन बनाने चाहिए, अन्यथा पृथ्वी पर मानव जाति को घातक नुकसान हो सकता है।
सतप्रकाश सनोठिया, रोहिणी

बढ़ते साइबर अपराध
डिजिटल जमाने में सुविधाएं बढ़ी हैं, तो खतरे भी बढ़ गए हैं। हमें डिजिटलाइजेशन से कई सुविधाएं हासिल हुई हैं, मगर साइबर अपराध का बढ़ता दायरा हमारे लिए सिरदर्द भी साबित हो रहा है। हाल ही में तेलंगाना और अन्य राज्यों की पुलिस ने साइबर हब बन रहे कई ठिकानों पर छापेमारी की। साइबार अपराधी कई नामी एप का, जो मूलत: पैसों के लेन-देन के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं, नकली स्वरूप तैयार कर लेते हैं और लोगों से ठगी कर लेते हैं। ऐसे में, हमें पहले से कहीं ज्यादा सावधान और सतर्क रहने की जरूरत है। ऑनलाइन सेवाओं में सावधानी और सतर्कता की जरूरत अब कहीं ज्यादा है।
श्वेता, गया

महिलाओं की सुरक्षा
बाहरी दिल्ली के एक इलाके में मानसिक रूप से विक्षिप्त किशोरी के साथ सामूहिक दुष्कर्म और हत्या का मामला सामने आया है। यह सभ्य समाज के लिए दुखद है कि आए दिन यहां महिलाओं के साथ ज्यादती की खबरें सुनने को मिलती हैं। कार्यस्थल पर उत्पीड़न, घरेलू हिंसा, बलात्कार जैसी घटनाएं मानो रोजाना की बात हो गई हैं। यह स्थिति तब है, जब समाज नारी को नारायणी कहता है। ऐसे में, कुंठित मानसिकता को बदलने की जरूरत है। तभी महिलाओं को सम्मान मिल पाएगा। कहा गया है, ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता’, अर्थात जहां नारियों का सम्मान होता है, उस स्थान, परिवार और समाज पर देवतागण प्रसन्न रहते हैं और उसके सभी कार्य संपन्न होते हैं। न सिर्फ वेद-पुराण, बल्कि हमारा संविधान भी महिलाओं के सम्मान और उनकी बराबरी की बात करता है। सरकार अपने स्तर पर प्रयास जरूर कर रही है, लेकिन फिलहाल महिलाओं के हित में बनाए गए ज्यादातर कानून कागज पर ही दिखते हैं। सरकार के साथ-साथ नागरिक समाज का भी दायित्व है कि वह नारी जाति का पूरा सम्मान करे।
स्वाति मिश्रा, प्रयागराज

आंदोलन या प्रयोग
पिछले कुछ वर्षों से देखा जा रहा है कि जब भी देश में कोई आंदोलन होता है, तो उस आंदोलन को बड़ा रूप देने की भरपूर कोशिश की जाती है। सीएए, कृषि कानून के विरोध में किए गए आंदोलन इसके उदाहरण हैं। हिजाब के समर्थन में हो रहा आंदोलन भी इसी की कड़ी है। सोचने वाली बात यह है कि ये सभी आंदोलन किसी के हित के लिए नहीं हो रहे, बल्कि एक निश्चित योजना के तहत हो रहे हैं। इनमें निश्चित तौर पर विदेशी लोगों की भी संलिप्तता है। इससे प्रतीत होता है कि बाहरी ताकतें हमारे देश को नुकसान पहुंचाने के लिए काम कर रही हैं। भारत सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए और अगर राष्ट्रविरोधी ताकतों की संलिप्तता इनमें नजर आती है, तो उन पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। 
ललित शंकर, गाजियाबाद
 

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