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ध्रुवीकरण की राजनीति

हमेशा की तरह चुनाव के समय ध्रुवीकरण चरम पर है। जिस तरह कभी शिव सैनिक महाराष्ट्र में उत्तर प्रदेश और बिहार के कामगारों को अपने यहां से भगाने के लिए दुर्व्यवहार करते थे, आज पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत...

Neelesh Singh हिन्दुस्तान, Thu, 17 Feb 2022 09:47 PM
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ध्रुवीकरण की राजनीति

हमेशा की तरह चुनाव के समय ध्रुवीकरण चरम पर है। जिस तरह कभी शिव सैनिक महाराष्ट्र में उत्तर प्रदेश और बिहार के कामगारों को अपने यहां से भगाने के लिए दुर्व्यवहार करते थे, आज पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी ने भी बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्लीवालों को लेकर उसी तरह का बयान दिया है। यह संकीर्ण राजनीति के सिवा कुछ नहीं है। यह संविधान की भावना के विपरीत और राष्ट्रीय एकता के लिए घातक है। आज जब नौकरी, व्यापार, शिक्षा आदि के लिए लोग देश के एक से दूसरे हिस्सों में जा रहे हैं, तब क्षेत्रवाद की आड़ में चुनाव के समय ध्रुवीकरण की राजनीति करने की कोशिश ठीक नहीं। इसी प्रकार, हिजाब की आड़ में कर्नाटक से शुरू हुआ विवाद हिंदू-मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण की साजिश ही है। यह राष्ट्रीय एकता के लिए अत्यंत घातक प्रवृत्ति है।
सत्य प्रकाश, लखीमपुर खीरी

बप्पी दा का जाना
स्वर कोकिला लता मंगेशकर के निधन से अभी तक देशवासी उबर भी नहीं पाए थे कि बप्पी लाहिड़ी का निधन हो गया। यह किसी सदमे से कम नहीं है। बप्पी दा सदैव एक महान संगीतकार और गायक के रूप में याद किए जाएंगे। उनका निधन संगीत एवं फिल्म जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उन्होंने हर तरह के गीतों के लिए संगीत दिया। सोने के गहनों से लदे बप्पी दा के संगीत में अगर डिस्को की चमक-दमक नजर आती थी, तो उनके कुछ गाने सादगी और गंभीरता से परिपूर्ण भी थे। संगीत के प्रति मेहनत और समर्पण की बदौलत ही बप्पी दा सफल हुए। आज के युवा संगीतकारों के लिए उनके गीत व संगीत सदैव मार्गदर्शन का काम करेंगे।
हिमांशु शेखर, गया

जोखिम वाली सेल्फी
गुरुग्राम की घटना बताती है कि आज का युवा किस तरह मोबाइल का गुलाम बनता जा रहा है। वह परिवार में रहते हुए भी परिजनों के संग नहीं रहता। सोशल मीडिया और सोशल साइट्स ने उसके माता-पिता, भाई-बहन, सबकी जगह ले ली है। सोशल मीडिया पर आश्चर्यचकित करने वाले वीडियो-फोटो अपलोड करना, और फिर उन पर मिलने वाले लाइक्स की बढ़ती संख्या को देखते हुए खुद को सलेब्रिटी समझना, उनको वास्तविकता से दूर, एक काल्पनिक जीवन का एहसास दे रहा है। मनोवैज्ञानिकों का यह मत बिल्कुल सही है कि स्मार्टफोन आने से हर हाथ में कैमरा आ गया है। जब व्यक्ति सामान्य फोटो खींच-खींचकर ऊबने लगता है, तो कुछ अलग फोटो-वीडियो अपलोड करने की चाहत पालने लगता है। नतीजतन, वह खतरनाक ढंग से सेल्फियां लेने लगता है। इसको रोकने के लिए सरकार को सख्त कानून बनाने होंगे। जोखिम भरे स्थानों पर विशेष बलों की नियुक्ति और जोखिम भरी सेल्फी लेने व पोस्ट करने पर कानूनी कार्रवाई का प्रावधान होना ही चाहिए। उन सोशल साइट्स पर प्रतिबंध लगना चाहिए, जो खतरनाक सेल्फी, फोटो और वीडियो को प्रोत्साहित करती हैं।
राजेंद्र कुमार शर्मा, हरियाणा

जंग टालना जरूरी
रूस और यूक्रेन का संकट गंभीर हो गया है। तनाव इतना है कि युद्ध की आशंका जताई जाने लगी है। ऐसी स्थिति में वहां से भारतीयों को वापस लाना जरूरी है। भारतीय दूतावास ने एडवाइजरी जारी करते हुए कहा भी है कि जिन भारतीयों व छात्रों का यूक्रेन में रहना जरूरी न हो, वे स्वदेश लौट जाएं। यद्यपि हमने पहले भी एयरलिफ्ट करके अपने लोगों को वापस मंगाए हैं, पर हमें उन कारणों की भी पड़ताल करनी चाहिए कि आखिर क्यों इतनी संख्या में भारतीय छात्र विदेश जाते हैं? बहरहाल, अच्छा यही होगा कि रूस व यूक्रेन आपसी तनाव को कम करें और युद्ध टालने की कोशिश करें। यह युद्ध कई देशों का संकट बढ़ा सकता है।
बी एल शर्मा, उज्जैन
 

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