Hindi Newsओपिनियन मेल बॉक्सHindustan Mail Box Column 08 March 2022

एग्जिट पोल पर सवाल

शुरू-शुरू में एग्जिट पोल की साख बहुत अच्छी थी। बहुत कम सर्वे करने वाली एजेंसियां थीं और वे पूरी ईमानदारी से काम करती थीं। ऐसे में, उनकी भविष्यवाणियां शत-प्रतिशत सटीक न भी हों, मगर बिल्कुल उलट नहीं...

Neelesh Singh हिन्दुस्तान, Mon, 7 March 2022 10:37 PM
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एग्जिट पोल पर सवाल

शुरू-शुरू में एग्जिट पोल की साख बहुत अच्छी थी। बहुत कम सर्वे करने वाली एजेंसियां थीं और वे पूरी ईमानदारी से काम करती थीं। ऐसे में, उनकी भविष्यवाणियां शत-प्रतिशत सटीक न भी हों, मगर बिल्कुल उलट नहीं होती थीं, लेकिन अब तो यह एक फलता-फूलता धंधा है और काफी सारे सही-फर्जी सर्वे होने लगे हैं, जिनका इस्तेमाल विभिन्न राजनीतिक पार्टियां अपने पक्ष में जनमत के निर्माण के लिए करती हैं। इसलिए उनकी भविष्यवाणियां भी बहुत गलत होने लगी हैं। दुख की बात तो यह है कि सर्वे करने वाली एजेंसियों को इस बात का कोई अफसोस नहीं होता और उनकी दुकान चलती रहती है। इसलिए असली नतीजों का इंतजार करना ही मुनासिब होगा।
राकेश शर्मा, शकरपुर, दिल्ली-92


महिला दिवस की सार्थकता
आज महिला दिवस के मौके पर जगह-जगह ्त्रिरयों के सम्मान व अधिकार की बातें की जाएंगी, उनके लिए अनेक समारोह आयोजित किए जाएंगे, लेकिन कटु सच्चाई यही है कि देश के अलग-अलग हिस्सों में महिलाएं घरेलू हिंसा और अपने कार्य स्थल पर मानसिक-शारीरिक प्रताड़ना का शिकार बनती रहती हैं। हर साल महिला दिवस पर महिलाओं के मान-सम्मान की बातें होती हैं, परंतु उसी दिन का अखबार उठाकर देख लीजिए, ्त्रिरयों के उत्पीड़न, उनके साथ बर्बर हिंसा की कई खबरें मिल जाएंगी। इसलिए महिला दिवस पर की जाने वाली बातें असली जीवन में भी कार्यान्वित हों, तभी इस दिवस की सार्थकता साबित होगी, अन्यथा नहीं। 
शैलबाला कुमारी, विकास नगर

हर दिन हो सम्मान
पूरी दुनिया में 8 मार्च को ‘अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। मगर मुझे यह बात समझ में नहीं आती कि साल के 365 दिनों में से सिर्फ एक दिन महिलाओं के नाम क्यों? एक महिला मां, बहन, पत्नी, बेटी, प्रेयसी के रूप में हर पल अपना सर्वश्रेष्ठ न्योछावर करने को तत्पर रहती है। ऐसे में, उसका सम्मान हर दिन होना चाहिए। 
नितेश मंडवारिया, नीमच, मप्र

शशिकला की सक्रियता
तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता के निधन के बाद शशिकला को अन्नाद्रमुक से निष्कासित कर दिया गया था। शशिकला ने जयललिता की विरासत पर कब्जा करने की कोशिश  की थी, पर भ्रष्टाचार के एक मामले में उन्हें जेल की सजा हुई। जेल से निकलने के बाद तमिलनाडु की राजनीति में अब फिर से अपना दबदबा कायम करने के लिए उनके सक्रिय होने की खबर है। राज्य में अन्नाद्रमुक की पकड़ कमजोर पड़ी है और पार्टी को सत्ता में वापस लाने के लिए शशिकला ने राजनीति में दिलचस्पी लेनी शुरू कर दी है। 
कांतिलाल मांडोत, सूरत

पुरानी पेंशन व्यवस्था
देश के कुछ राज्यों ने कर्मचारी-हितों को देखते हुए हाल ही में पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू करने का फैसला किया है। इसमें राजस्थान, महाराष्ट्र, झारखंड शामिल हैं, कई अन्य राज्य सरकारें इसे लागू करने का विचार कर रही हैं। इसलिए बिहार सरकार को भी राज्य के कर्मचारियों का भविष्य सुरक्षित करने के लिए पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू करनी चाहिए। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस मांग पर मंथन करें कि कर्मचारियों के लिए पेंशन कितनी बड़ी जरूरत है? राजस्थान सरकार ने तो यहां तक कहा है कि पेंशन न होने के कारण घुसखोरी बढ़ी है। यह बात बहुत हद तक सही है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की शराबबंदी योजना से जिस तरह समाज को फायदा हो रहा है, उसी तरह पेंशनबंदी को खत्म करने से भी समाज खुशहाल होगा। इसलिए बिहार सरकार सभी नियमित, संविदा कर्मियों सहित नियोजित शिक्षकों को पेंशन देने पर विचार करे।
मृदुल चन्द्र
 सोनपुर, सारण  

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