शर्मनाक कृत्य
युद्ध हमेशा हानिकारक साबित हुए हैं। मुट्ठी भर सत्ताधीशों ने अहंकार में आकर जब भी युद्ध छेड़ा, तब उसमें बेकुसूर और निहत्थे लोग ही मारे गए। पिछले एक सप्ताह से यूक्रेन में जो कुछ हो रहा है, उसमें छोटे...
युद्ध हमेशा हानिकारक साबित हुए हैं। मुट्ठी भर सत्ताधीशों ने अहंकार में आकर जब भी युद्ध छेड़ा, तब उसमें बेकुसूर और निहत्थे लोग ही मारे गए। पिछले एक सप्ताह से यूक्रेन में जो कुछ हो रहा है, उसमें छोटे बच्चे और बुजुर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे होंगे। इस युद्ध को समाप्त करने के लिए दुनिया के कुछ देश प्रयास भी कर रहे हैं, वार्ता भी की गई है, लेकिन बात नहीं बन सकी है। अब तो इस युद्ध में एक भारतीय छात्र की भी जान चली गई है। वह रूसी फौज के आक्रमण का शिकार हो गए। हमारी सरकार निश्चय ही यूक्रेन में फंसे सभी भारतीयों की सुरक्षित वापसी के लिए गंभीरता से प्रयास कर रही है, लेकिन रूस अपने कृत्य से बाज नहीं आ रहा, जिसकी कीमत हमारे एक छात्र ने चुकाई है। भारत सरकार को अन्य देशों के साथ मिलकर इस मसले को उठाना चाहिए। यूक्रेन में फंसे आम लोगों को वहां से हर हाल में सुरक्षित बाहर निकाला जाना चाहिए।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर
गहराता ईंधन संकट
रूस और यूक्रेन भयानक युद्ध की आग में जल रहे हैं। इसका असर विश्व के अन्य कई देशों पर भी पड़ सकता है। ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी ऐसी ही एक आशंका है, जो आम आदमी की जेब पर तगड़ा असर डाल सकती है। इस युद्ध के शुरू होते ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत बढ़कर करीब 110 डॉलर प्रति बैरल हो गई है। बाजार पर पैनी नजर रखने वाले विशेषज्ञ इसमें और तेजी का अनुमान लगा रहे हैं। इसलिए, यह आशंका गलत नहीं है कि डीजल-पेट्रोल की घरेलू कीमतों पर इसका असर पड़ेगा। अभी देश के पांच प्रमुख राज्यों (उत्तर प्रदेश, पंजाब, मणिपुर, गोवा और उत्तराखंड) में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं, जिसके मद्देनजर तेल की कीमतें स्थिर रखी गई हो सकती हैं। मगर कयास यही है कि उत्तर प्रदेश के आखिरी चरण के चुनाव के बाद जनता की जेब काटी जा सकती है और उन पर महंगाई का बोझ लादा जा सकता है। साफ है, भारत से कहीं दूर हो रहा यह युद्ध हर भारतीय को प्रभावित करेगा।
गौरव दीक्षित, नोएडा, उ.प्र.
खुद पर गर्व
अभी विश्व में जो हालात हैं, उसे देखकर यही लगता है कि हम अपने देश में जितने सुरक्षित हैं और हमें अपने देश में जितनी स्वतंत्रता मिली हुई है, उतनी दुनिया में संभवत: कहीं नहीं है। हम यहां अपनी अभिव्यक्ति व्यक्त करने के लिए स्वतंत्र हैं, किसी भी भाषा में बोल सकते हैं, लिख सकते हैं, पढ़ सकते हैं, यहां तक कि सरकार की शैली पर लोकतांत्रिक तरीके से सवाल उठा सकते हैं। इतनी आजादी आखिर कहां किसी अन्य देश में है? इसका एहसास हमें तब ज्यादा होता है, जब हम विदेश जाते हैं। भारत की संप्रभुता, एकता और सांस्कृतिक अखंडता की बात ही निराली है। युद्ध के माहौल में भारत के ये गुण कहीं ज्यादा गर्व करने लायक हैं।
शैलबाला कुमारी, नई दिल्ली
महंगा हुआ दूध
वैसे तो अपने यहां समय-समय पर महंगाई बढ़ती रही है। पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस में मूल्यवृद्धि तो हमेशा सुर्खियों में रहती है, लेकिन अब दूध के दाम में जिस तरह से बढ़ोतरी की गई है, उसका आम लोगों पर असर पड़ना तय है। अब तो ऐसा लगने लगा है कि महंगाई पर सरकार किसी तरह का कोई नियंत्रण नहीं रख पा रही। दूध की बढ़ी कीमत विशेषकर गरीबों को बहुत परेशान करेगी, क्योंकि हर बच्चे की पहली आवश्यकता दूध होती है, और मां के दूध के बाद बच्चा बाजार का ही दूध पीता है। फिर, दूध से कई अन्य खाद्य पदार्थ भी बनाए जाते हैं। साफ है, दूध में हुई मूल्यवृद्धि का असर कई दूसरे खाद्य उत्पादों पर भी पड़ेगा। इससे निश्चय ही आम लोगों का बजट बिगडे़गा। सरकारों को इस तरफ ध्यान देना चाहिए।
विजय कुमार धानिया, नई दिल्ली
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