मानव को धर्म की राह पर चलकर भक्ति भजन करना चाहिए
छातापुर पंचायत में स्वामी ओम कारानंद बाबा ने कहा कि मानव शरीर पाना एक बड़ा भाग्य है। भक्ति और भजन में जीवन को लगाना चाहिए। उन्होंने धर्म के मार्ग पर चलने और वाणी के संयम की आवश्यकता पर जोर दिया।...
छातापुर, एक प्रतिनिधि। मानव शरीर बड़े भाग्य से मिलता है। 84 लाख योनियों में भटकाव के बाद यह मानव शरीर मिलता है। इसे यंू ही सांसारिक मोह माया में फंसकर बर्बाद करने के बजाय भक्ति भजन में लगाने से ही जीवन सार्थक होता है। यह बातें छातापुर पंचायत में आयोजित सत्संग कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संतमत सत्संग मंदिर ज्ञान वाटिका मानगंज पूरब के स्वामी ओम कारानंद बाबा ने कही। उन्होंने कहा कि यह संसार धरा है, जिसमें जीने के लिए धर्म के मार्ग पर चलने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि मानव को अपने जीवन को जीने के लिए धर्म की राह पर चलते हुए भक्ति भजन में लीन रहना चाहिए। कहा कि संसार में मानव जन्म तो लेकर आते हैं, लेकिन सांसारिक भौतिकता के प्रकाशीय रौशनी में ओझल होकर वास्तविकता से दूर हो जाते हैं। मानव इस चीज को भूल जाता है कि मानव रूपी तन उन्हें क्यों प्राप्त हुआ। उन्होंने कहा कि जहा कंचन है वहां कामिनी का आना जिस प्रकार निश्चित है पुष्प पर तितली और भवरों का मंडराना निश्चित है ठीक उसी प्रकार सत्य मार्ग पर चलने वालों को मोक्ष प्राप्त होता निश्चित है। उन्होंने कहा कि मानव को हमेशा अपनी वाणी को संयम में रखने की जरूरत है। कुछ भी बोलने से पहले बोले गए वाणी का क्या प्रभाव पड़ेगा उसकी स्थिति को जरूर सोच लें। बताया कि द्रोपदी जब घोर संकट में थी उनका चीर हरण हो रहा था तब उन्होंने अपने पति पांचों पांडव को मदद के लिए बुलाया, लेकिन वे सभी उन्हें दांव पर लगाकर हार गए थे। जिस कारण पांचों पांडव मूकदर्शक बने हुए थे। तब द्रोपदी ने भगवान को याद किया तब साक्षात भगवान कृष्ण आकर उनकी इज्जत को बचाया। इसके साथ ही उन्होंने कई लधु कथा, प्रेरक प्रसंग के माध्यम से भी लोगों को सद्मार्ग पर चलने की बात कही। उन्होंने मानव को बड़ों का आदर करने, माता-पिता की सेवा करने तथा जन कल्यानार्थ कार्य में सक्रिय बने रहने की बात कही।
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