रोजेदारों ने रात भर जग कर की अल्लाह की इबादत
मुसलमानों ने रमजान के 27 वीं रोजे की रात शब-ए-कदर पर अकीदतमंदों ने पूरी रात जगकर अल्लाह की इबादत की। प्रखंड क्षेत्र के इस्लामपुर, जरौली, हरियाही,...
निर्मली | संवाद सूत्र
मुसलमानों ने रमजान के 27 वीं रोजे की रात शब-ए-कदर पर अकीदतमंदों ने पूरी रात जगकर अल्लाह की इबादत की। प्रखंड क्षेत्र के इस्लामपुर, जरौली, हरियाही, बेला, दीघिया आदि गांव में लोगों ने सादगी के साथ रात भर घरों में जग कर अल्लाह की इबादत की।
बताया जा रहा है कि शब-ए-कदर को लैलतुल कदर भी कहा जाता है। इसका मतलब होता है कदर करने वाली रात। यह रात सबसे बेहतर और सबसे अफजल है। मोहम्मद स. की उम्मत पर अल्लाह की तरफ से दिया गया यह एक अजीम तोहफा है। इस रात में इबादत का शवाब हजार महीने की इबादत से बेहतर है। एक लैलतुल कदर में इबादत करने का शवाब 83 साल और 4 महीने तक लगातार इबादत करने के बराबर है। पवित्र कुरान भी रमजान महीने के लैलतुल कदर में नाजिल हुई थी। लैलतुल कदर रमजान के अंतिम अशरा यानि दस दिनों के विषम रातों 21 वीं, 23 वीं, 25 वीं, 27 वीं और 29 वीं इन पांच विषम रातों में से कोई एक हो सकती है। इस रात को तमाम रातों का सरदार कहा जाता है। इस रात में अल्लाह की इबादत और दुआएं करने से पिछले तमाम गुनाहों की मगफिरत होती है। मौलाना मो. सफीक साहब कहते है लैलतुल कदर की रात अल्लाह अपने बंदों को बहुत करीब से पुकारता है और कहता है कि कोई मुझसे अपने गुनाहों की माफी मांगने वाला है कोई अपने को जहन्नुम से आजाद कराने वाला।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।