कथा से प्राप्त ज्ञान को अपने जीवन में उतारें: संत
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छातापुर, एक प्रतिनिधि। संतमत योगाश्रम के पास आयोजित सात दिवसीय संतमत सत्संग सह श्रीमद् भागवत महापुराण कथा समापन के दिन शुक्रवार को जन सैलाब उमड़ पड़ा। स्वामी गुरूनंदन जी महाराज ने कहा कि जो जीव भक्ति रूपी रस्सी से अपने मन को भगवान के चरणों में बांध देता है ईश्वर अपने लोक को छोड़कर उस भक्त के हृदय में प्रकट हो जाते हैं। ऐसी कोई जगह नहीं ऐसा कोई हृदय नहीं जहां ईश्वर का वास नहीं हो। कहा कि कर्म का फल भगवान को भी भोगना पड़ा है तो फिर इंसान क्या चीज है। शरीर किसी का भी हो जिसका जन्म होता है वह छुटता जरूर है। भगवान का भी शरीर छूट गया और वे बैकुंठ चले गए। जिस समय भगवान अपने लोक गये उसी समय धरती पर कलयुग आ गया। चारों तरफ अधर्म का बोलबाला हो गया। कथा संपन्न होने के बाद मंगल और समदन गीत का गायन हुआ। इस दौरान स्वामी जी ने सात दिवसीय कथा से प्राप्त ज्ञान को अपने जीवन व चरित्र में उतारने की अपील की। इस दौरान मंच से हुई उद्घोषणा के मुताबिक 11,12 एवं 13 मार्च को सुपौल के बगही में तीन दिवसीय संतमत सत्संग सह प्रवचन कार्यक्रम में भाग लेने का अनुरोध किया गया। मौके पर अशोक भगत, सुशील कर्ण, नागेश्वर मंगरदैता विन्देश्वरी भगत, मुकेश कुमार, अरविंद भगत, रमेश भगत, रमेश साह, राजो साह आदि थे।
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