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चचरी से जान जोखिम में डालकर आवागमन करने को विवश हैं लोग

छातापुर के लालगंज पंचायत में गैड़ा नदी पर पुल का निर्माण अब तक नहीं हुआ है। ग्रामीण चचरी पुल का उपयोग कर जान जोखिम में डालकर यात्रा कर रहे हैं। स्वास्थ्य, स्कूल, और बाजार जाने के लिए यही एकमात्र रास्ता...

Newswrap हिन्दुस्तान, सुपौलMon, 25 Nov 2024 01:42 AM
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छातापुर, एक प्रतिनिधि। लालगंज पंचायत के गैड़ा नदी पर अब तक पुल का निर्माण नहीं किया गया है। इसके कारण लोग आज भी चचरी पुल के सहारे जान जोखिम में डालकर आवागमन करते हैं। इसके बावजूद समस्या के समाधान के लिए जनप्रतिनिधि और अधिकारी उदासीन बने हैं। इसको लेकर ग्रामीणों में आक्रोश है। लोगों ने बताया कि इस क्षेत्र के बीमार मरीज को भी चचरी पुल से ही जैसे-तैसे इलाज के लिए अस्पताल ले जाना पड़ता है। परियाही गांव के मध्य में नदी पड़ने के कारण दोनों तरफ के लोगों को इस पार से उस पार आना-जाना पड़ता है, क्योंकि हाट भी नदी के इस पार ही है, जबकि स्कूल उस पार है। लोगों ने बताया कि गांव वालों को हर दिन चचरी पुल के सहारे आवश्यक सामान लेकर नदी पार करने में दिक्कत होती है, जबकि बच्चों को भी चचरी के सहारे ही हर दिन स्कूल जाना-आना पड़ता है। लोगों ने बताया कि बच्चों को नदी के उस पार स्कूल, जनवितरण प्रणाली की दुकान, मदरसा रहने के कारण चचरी पुल के सहारे ही जाना पड़ता है, जबकि छोटे बच्चों को भी इसी चचरी पुल से स्कूल भेजने में हमेशा भय बना रहता है। बताया कि परियाही हाट में मुस्लिम टोला जाने के लिए भी लोगों को चचरी पुल ही सहारा बना हुआ है। बताया कि समस्या समाधान के लिए सांसद, विधायक सहित प्रशासनिक अधिकारियों का दरवाजा कई बार खटखटाया गया, लेकिन समाधान की दिशा में अब तक कोई पहल नहीं हो सकी है। लोगों ने कहा कि ठंड और बारिश के समय इस चचरी पुल से आवागमन करने में काफी परेशानी होती है। खासकर शादी विवाह को लेकर इस पंचायत के लोगों को भारी दिक्कत होती है। लोगों ने बताया कि सामने से दिखने वाला छातापुर और प्रतापगंज बाजार जाने के लिए लोगों को दूसरे रास्ते से घूम कर छह किलो मीटर के बदले 12 से 14 किमी की दूरी तय करनी पड़ती है। इससे लोगों को परेशानी होती है।

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