परमेश्वर बनना है, पंच नहीं; बिहार की ग्राम कचहरियों में पंच के खाली पदों के चुनाव में 414 सीट पर जीरो नामांकन
राज्य चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, विभिन्न त्रिस्तरीय स्थानीय निकायों में कुल 1670 पदों में से, ग्राम कचहरियों में पंच सदस्यों के 1239 पद रिक्त हैं, जिनके खिलाफ केवल 843 नामांकन वैध पाए गए।
बिहार में पंचायत उपचुनाव को लेकर 28 दिसंबर को मतदान होगा। मतदान के बाद 30 दिसंबर को वोटों की गिनती होगी और चुनाव परिणाम जारी कर दिया जाएगा। पंचायत उपचुनाव के तहत जिला परिषद सदस्य के 4, ग्राम पंचायतों के मुखिया के 21, ग्राम कचहरी सरपंच के 36, पंचायत समिति सदस्य के 20, ग्राम पंचायत सदस्य के 353 एवं ग्राम कचहरी पंच के 1241 पदों को मिलाकर कुल 1675 रिक्त सीटों पर मतदाता अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करेंगे। इस बीच एक चौंकाने वाला खुलासा सामने आया है। दरअसल, ग्राम कचहरी पंच के 1241 खाली पदों के लिए 414 सीटों पर किसी भी उम्मीवार ने नामांकन नहीं किया है।
राज्य निर्वाचन आयोग से मिली जानकारी के अनुसार 38 जिलों के 61 वार्डो में ग्राम पंचायत एवं ग्राम कचहरी के विभिन्न रिक्त पदों के लिए होने वाले उपचुनाव में 945 उम्मीदवार निर्विरोध निर्वाचित किए गए है। इनमें सर्वाधिक 758 प्रत्याशी ग्राम कचहरी पंच के शामिल है। इनके अतिरिक्त ग्राम पंचायत सदस्य के 175, सरपंच के 4, पंचायत समिति सदस्य के 7 एवं जिला परिषद सदस्य के 1 प्रत्याशी निर्विरोध निर्वाचित हुए है। वहीं, पंचायत उपचुनाव को लेकर 736 उम्मीदवार चुनाव मैदान में डटे हुए है। इनमें पंचायत सदस्य के 355, पंच के 67, मुखिया के 112, सरपंच के 122, पंचायत समिति सदस्य के 54 और जिला परिषद सदस्य के 26 उम्मीदवार चुनाव मैदान में है।
पंचायती राज विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा है कि पंचों की रिक्तियों की अधिक संख्या उन पदों के कारण है, जिनमें कार्यकारी या वित्तीय शक्तियां कम हैं। पंच का पद, जो छोटे दीवानी और आपराधिक मामलों को निपटाने में ग्राम कचहरी का हिस्सा होता है, ज्यादातर न्यायिक प्रकृति का होता है और कई निर्वाचित प्रतिनिधियों को मुखिया की तरह यह अधिक आकर्षक नहीं लगता है। यह एक प्रमुख कारण है कि निर्वाचित प्रतिनिधियों के इस्तीफा देने से रिक्तियां हो जाती हैं। इसी कारण से लोग पद के लिए दावेदारी के लिए कम नामांकन भी देते हैं।
ग्राम कचरियां सभी 8000 से अधिक ग्राम पंचायतों में मौजूद हैं और ग्राम पंचायत के प्रत्येक वार्ड से 12-15 तक पंच सदस्य होते हैं। ग्राम कचहरिया के पास आईपीसी की लगभग 40 धाराओं, मवेशी अतिचार अधिनियम की दो धाराओं के साथ-साथ नागरिक विवादों के तहत मामलों को निपटाने की शक्तियां हैं।
संयोग से, आगामी पंचायत उपचुनावों में अन्य पदों की रिक्तियों में, नामांकन की संख्या रिक्त पदों से कहीं अधिक है। विभिन्न ग्राम पंचायतों में मुखिया के 20 रिक्त पदों के लिए, कुल 112 उम्मीदवार मैदान में हैं, जबकि सरपंच के 34 पदों के लिए, 122 उम्मीदवार मैदान में हैं। ग्राम पंचायत सदस्य के 353 रिक्त पदों के लिए कुल 355 उम्मीदवार मैदान में हैं। पंचायत समिति सदस्य के 20 रिक्त पदों के लिए भी 54 उम्मीदवार मैदान में हैं, जबकि जिला बोर्ड सदस्य के 4 रिक्त पदों के लिए 26 उम्मीदवार मैदान में हैं।
सूत्रों ने कहा है कि कुछ साल पहले तक ग्राम पंचायत सदस्यों के पद पर बड़ी संख्या में रिक्तियां होती थीं, लेकिन अब यह प्रवृत्ति उलट गई है। क्योंकि हाल के वर्षों में राज्य सरकार द्वारा पदों को दी गई वित्तीय और प्रशासनिक शक्तियों के कारण यह पद काफी आकर्षक हो गया है। सदस्य वार्ड प्रबंधन समितियों का हिस्सा है, जो वार्डों में सड़क, जल निकासी और सफाई और अन्य कार्यों से संबंधित विकास कार्यों की निगरानी करते हैं।
इस बीच, ग्राम कचहरियों में पंच सदस्यों की उच्च रिक्तियों के कारण के बारे में पूछे जाने पर, पंचायती राज विभाग के निदेशक आनंद शर्मा ने कहा कि सरकार ग्राम कचहरियों को मजबूत करने के लिए कदम उठा रही है। ग्राम कचरियों को मजबूत कर रहे हैं और पंच प्रतिनिधियों को उनके कार्यों और शक्तियों के बारे में अधिक जागरूक बनाने के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। अधिकारियों ने कहा कि राज्य चुनाव आयोग ने बूथों पर सुरक्षा कर्मियों की पर्याप्त तैनाती के साथ स्वतंत्र और निष्पक्ष पंचायत उपचुनाव कराने के लिए पहले ही दिशानिर्देश जारी कर दिए हैं।