बिहार की वंडर वुमेन; मंगोल रैली के लिए नाप दिए 33 देश, पहली भारतीय टीम में दो बिहारी महिलाएं
बिहार की दो महिलाओं अनुभा और मनीषा ने वो कर दिया है। जिसके बारे में हर कोई सोच भी नहीं सकता है। मंगोल रैली के लिए दोनों ने 2 महीने में 33 देशों के दुर्गम इलाकों की यात्रा की। और 31000 किमी का सफर किया
बिहार की दो महिलाओं ने वो कर दिखाया है। जिसके बारे में महिलाएं सोच भी नहीं सकती है। बिहार की अनुभा वर्मा और मनीषा मिश्रा देश की उस पहली महिला टीम का हिस्सा बन गई हैं। जो मंगोल रैली में शामिल हुई। मंगोल रैली को दुनिया की सबसे साहसिक रैली माना जाता है। मंगोल रैली के लिए अनुभा वर्मा और मनीषा मिश्रा ने अपनी एक और साथी पूजा शर्मा जो कि ब्रिटेन की निवासी है। उसके साथ 2 महीने में 33 देशों में 31000 किमी की दुर्गम यात्रा पूरी की है। जिसके साथ ही मंगोल रैली - पोल्स ऑफ इनकन्विनिएंस, 2023 में भाग लेने वाली भारत की पहली महिला टीम बन गई हैं।
इस सफर के दौरान उन्होने यूरोप और एशिया के दुर्गम इलाकों, आठ समुद्रों और महासागरों को पार किया। अपने इस दावे को पुख्ता करने के लिए उनके पास यात्रा की डैशकैम रिकॉर्डिंग, होटल ,चालान, पेट्रोल बिल, गूगल टाइमलाइन के अलावा 1199 सीसी कार की फ्लूल क्षमता से 100 गुना ज्यादा तेल भरवाने के बिल भी हैं।
एडवेंचरिंग यात्रा के सहयोगी अनुभा वर्मा और मनीषा मिश्रा, दोनों पटना की नोट्रे डेम अकादमी की स्कूली दोस्त हैं। अपनी इस साहसिक यात्रा के अंतिम चरण में मुंबई से नई दिल्ली तक के लिए गाड़ी चलाकर निकलीं हैं। और आज दिल्ली पहुंचने की उम्मीद है। इस दौरान उन्होने ट्रैवल ट्रैकर ऐप पोलरस्टेप्स पर अपनी यात्रा साझा की। ब्रिटेन की नागरिक पूजा शर्मा, जो अब गुड़गांव में एक नॉन प्रॉफिट संगठन चलाती हैं, उनके साथ मिलकर अनुभा और मनीषा ने यूरोप और एशिया में यात्रा की।
जिसमें यूनाइटेड किंगडम - इंग्लैंड और स्कॉटलैंड - नीदरलैंड, जर्मनी, डेनमार्क, चेकिया, ऑस्ट्रिया सहित 33 देशों को कवर किया। स्लोवेनिया, क्रोएशिया, बोस्निया और हर्जेगोविना, मोंटेनेग्रो, अल्बानिया, कोसोवो, उत्तरी मैसेडोनिया,बुल्गारिया, ग्रीस, तुर्की, जॉर्जिया, रोमानिया, हंगरी, स्लोवाकिया, पोलैंड, इटली, स्विट्जरलैंड, मोनाको, फ्रांस, स्पेन, पुर्तगाल, अंडोरा, बेल्जियम, लक्ज़मबर्ग, नॉर्वे, फ़िनलैंड और स्वीडन शामिल हैं।
अनुभा ने बताया कि हमने उत्तरी सागर और बोस्फोरस स्ट्रैट को पार किया, एड्रियाटिक सागर में तैरे, काले सागर पर डूबते सूरज को देखा, उत्तरी अटलांटिक महासागर से समुद्री सीपियां बटोरीं, बाल्टिक सागर, मरमारा सागर, भूमध्य सागर और खाड़ी की सुंदरता देखी। अनुभा दो छोटे बच्चों अग्निया (16 साल) और आर्यव (13 साल) की मां है। उनके पति सत्यप्रिया वर्मा ग्लोबल पब्लिक रिलेशन कंसल्टेंसी फर्म में आर्कटाइप हैं।
अनुभा ने बताया कि हमारी यात्रा का पहला चरण मई में था। जब हम अपनी कार को शिपिंग यार्ड पर छोड़ने के लिए दिल्ली से मुंबई गए थे। दूसरा चरण 8 जुलाई से 8 अगस्त के बीच मंगोल रैली में हमारी भागीदारी थी। जो लंदन में शुरू हुई थी। तीसरा चरण हमारा अपना अभियान था, जिसमें 30 देशों में 30,000 किलोमीटर की दूरी तय की गई। आज, हम अंतिम चरण में हैं, जब हम अपनी रैली कार को मुंबई से दिल्ली वापस ले जा रहे हैं।
साहसिक यात्रा करने का विचार कैसे आया, इस सवाल पर अनुभा ने बताया कि, पूजा जो बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर प्रोग्राम के लिए मनीषा की ही संस्था आईसीएफएआई में गई थी। पहली बार 2012 में मंगोल रैली के बारे में सुना था। कोविड-19 के दौरान, पूजा ने इसके बारे में मेरी स्कूली दोस्त मनीषा को बताया, जिसने मुझे इसमें शामिल कर लिया। दिसंबर 2021 में हमने 2023 मंगोल रैली के लिए अपना रजिस्ट्रेशन कराया। हम 2022 सीजन के लिए पंजीकरण करना चाहते थे, लेकिन सभी स्लॉट भरे हुए थे।
एक मजेदार किस्से का जिक्र करते हुए ,अनुभा ने बताय कि हम कुछ मसालेदार भोजन के लिए तरस रहे थे और तुर्की के ओरडू में एक रेस्तरां में हम लोग खाना खाने के लिए रुके थे। इसी दौरान रेस्तरां मालिक हम लोगों के लिए मिर्च का पौधा तोड़ लाए। जिसके बाद हम लोगों ने मिर्च का स्वाद लिया। कुछ जगहों पर हमें पेट्रोल पंपों पर पार्किंग करनी पड़ी। और रात भर सोना पड़ा क्योंकि हम समय पर अपने अगले गंतव्य तक नहीं पहुंच सके थे। उन्होने बताया कि कोसोवो में एक पोल तक पहुंचने के लिए हमने जो ऑफ-रोडिंग की वो 29 अगस्त से 7 सितंबर तक एम्स्टर्डम से ट्रोम्सो और फिर कैलिस तक हमारा पूरा मार्ग सबसे चुनौतीपूर्ण था।
क्योंकि पूजा जो हमारी रैली की साथी थी, उसे 30 अगस्त के बाद लंदन वापस आना था। हालांकि हमने 30 देशों को कवर किया था, हमने केवल 23,000 किमी की दूरी तय की थी। मनीषा और मैंने आखिरी काम खुद करने और 30,000 किलोमीटर के अपने लक्ष्य तक पहुंचने का फैसला किया। टाटा 1एमजी की उपाध्यक्ष मनीषा ने बताया कि ये रैली किसी अवास्तविक से कम नहीं है। एक ऐसा अनुभव था जिसे मैं कभी नहीं भूलूंगी। इस यात्रा का सबसे आकर्षक पहलू ये था कि एक भी टायर पंक्चर नहीं हुआ था। जिस पर तीनों से साइन किए थे।