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बिहार-यूपी का कुर्मी कॉरिडोर बना पाएंगे नीतीश ? अखिलेश राजी नहीं तो कृष्णा-पल्लवी पटेल काफी नहीं

2024 के लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी दलों की एकजुटता की कोशिश में लगे बिहार के सीएम और जेडीयू नेता नीतीश कुमार से अपना दल कमेरावादी की अध्यक्ष कृष्णा पटेल की पटना में मुलाकात के बाद अटकलें बढ़ गई हैं।

Ritesh Verma लाइव हिन्दुस्तान, पटनाWed, 28 Sep 2022 06:57 PM
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जेडीयू नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ेंगे या नहीं लड़ेंगे, लड़ेंगे तो यूपी में फूलपुर या मिर्जापुर से लड़ेंगे या बिहार में नालंदा से, ये सब हवा में है या फिर नीतीश के मन में। ठोस काम जो हो रहा है वो ये कि नीतीश बिहार से लेकर यूपी तक कुर्मी वोट को जगा रहे हैं, उनकी पार्टी जेडीयू के नेता सरदार पटेल की याद दिला रहे हैं। अनुमान के मुताबिक बिहार में 7.5 परसेंट कुर्मी-धानुक वोट जबकि यूपी में 11 परसेंट कुर्मी वोट है। बिहार में नीतीश को कोइरी वोट भी मिलता है जो करीब 5 परसेंट है जिसके सबसे बड़े नेता उपेंद्र कुशवाहा फिलहाल जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष भी हैं।

यूपी में कुर्मी समेत अन्य पिछड़ों के वोट की राजनीति करने वाली अपना दल कमेरावादी की अध्यक्ष और सोनेलाल पटेल की पत्नी कृष्णा पटेल दो दिन पहले दिल्ली में नीतीश से मिलीं और कहा कि उनके पति का नीतीश से बहुत गहरा संबंध रहा है। जेडीयू ने भी कहा कि नीतीश और सोनेलाल के रिश्ते बहुत प्रगाढ़ रहे हैं। दोनों पार्टियों ने 2007 का यूपी विधानसभा चुनाव मिलकर लड़ा था। तो क्या सोनेलाल पटेल की पत्नी कृष्णा पटेल को साथ लेकर नीतीश बिहार से यूपी तक कुर्मी कॉरिडोर बनाने की कोशिश कर रहे हैं और अगर कर रहे हैं तो क्या बिना अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी (सपा) के समर्थन से सिर्फ कृष्णा पटेल या पल्लवी पटेल के भरोसे ऐसा कर पाना संभव होगा।

सोनेलाल पटेल ने 1995 में बसपा से निकलकर अपना दल बनाया। उनके निधन के बाद पत्नी कृष्णा पटेल अध्यक्ष और बेटी अनुप्रिया पटेल महासचिव बनीं। बाद में पार्टी चलाने को लेकर मां-बेटी में ही विवाद हो गया और अपना दल से दो दल बन गए। बेटी अनुप्रिया पटेल ने अपना दल सोनेलाल बना लिया तो मां कृष्णा पटेल ने अपना दल कमेरावादी।

अनुप्रिया पटेल बीजेपी के साथ एनडीए में हैं और मिर्जापुर लोकसभा सीट से जीतकर नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री भी हैं। उनके पति आशीष पटेल यूपी में योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री हैं। मां कृष्णा पटेल अखिलेश यादव की सपा के साथ हैं और उनकी दूसरी पेटी पल्लवी पटेल ने इस बार योगी के डिप्टी सीएम और यूपी में बीजेपी के सबसे बड़े ओबीसी चेहरे केशव प्रसाद मौर्या को विधानसभा चुनाव में हराया है। 

यूपी की राजनीति में इस समय नीतीश कुमार की जाति यानी कुर्मी का वोट मोटा-मोटी बीजेपी और एनडीए के पक्ष में जा रहा है जिसकी एक वजह अनुप्रिया पटेल से बीजेपी का गठबंधन भी है। नरेंद्र मोदी का खुद का प्रभाव जो है सो अलग। अनुप्रिया का प्रभाव मिर्जापुर और पूर्वांचल के जिलों में है। यूपी में फूलपुर, मिर्जापुर, इलाहाबाद, वाराणसी समेत लोकसभा की करीब 25 सीटों पर कुर्मी वोट दम भर है। कुछ सीटों पर कुर्मी के वोट निर्णायक भी साबित होते हैं। कुर्मी वोट वाले इलाकों में बरेली, पीलीभीत, हरदोई, जालौन, उरई, बांदा, बहराइच, फतेहपुर, चंदौली, प्रतापगढ़, रायबरेली, सुल्तानपुर, अमेठी, श्रावस्ती और गोंडा शामिल हैं।

अखिलेश यादव की सपा और कृष्णा पटेल की अपना दल कमेरावादी के गठबंधन का हाल यह है कि उनकी बेटी पल्लवी पटेल सिराथु से सपा के सिंबल पर लड़ीं और विधानसभा में एसपी की विधायक हैं। अखिलेश का गठबंधन को लेकर सहयोगी और छोटे दलों से जो रवैया है उसमें यूपी में निष्प्रभावी जेडीयू को वो कितना भाव देंगे, ये तो समय बताएगा। नीतीश और कृष्णा पटेल कुर्मी राजनीति को यूपी में उभारकर सीट निकाल पाएं इसके लिए उन्हें अखिलेश यादव के साथ और यादव-मुसलमान वोट की खास तौर पर जरूरत होगी।

मामला ऐसा है कि नीतीश और कृष्णा पटेल बहुत कुछ कर नहीं सकते। दोनों मिल सकते हैं। दोनों साथ आने की बात कर सकते हैं। लेकिन ये साथ चुनावी राजनीति में गोल में तभी बदलेगा जब उसमें अखिलेश यादव की किक लगेगी। गेंद अखिलेश यादव के पाले में है। वो अभी ना तो नीतीश की विपक्षी एकता पर अपने पत्ते खोलने को तैयार हैं, ना कांग्रेस को साथ लेकर 2024 लड़ने के मूड में।

नीतीश कांग्रेस को साथ लेकर विपक्ष की एकता चाहते हैं। ऐसे में अखिलेश यादव अगर बिहार की तर्ज पर यूपी में महागठबंधन जैसा कोई प्रयोग करने को तैयार होते हैं जिसमें कांग्रेस भी हो और बाकी बीजेपी विरोधी दल भी हों, तब तो नीतीश की दाल यूपी में गलेगी। और तभी बीजेपी या अनुप्रिया पटेल की काट हो सकेगी।नहीं तो कृष्णा पटेल को साथ लेकर भी बिहार से यूपी तक कुर्मी कॉरिडोर बनाने का नीतीश का सपना पूरा नहीं होगा।

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