पीएम नरेंद्र मोदी किस जाति के..., जातीय गणना रिपोर्ट पर सवाल उठा रही BJP को JDU ने घेरा
नीरज ने कहा कि नरेंद्र मोदी का जिस जाति में जन्म हुआ है वह मोढ़ घांची है। इसकी चर्चा साल 1931 की जनगणना में भी नहीं है। सामाजिक-आर्थिक रूप से यह जाति पढ़ी-लिखी और संपन्न थी। यह जाति तब अगड़ी थी।
बिहार में जातीय गणना रिपोर्ट पर जारी सियासत और तेज हो गई है। बीजेपी समेत कई पार्टियों के नेता आंकड़ों पर सवाल उठा रहे। उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएलजेडी सड़कों पर उतर गई है। जीतन राम मांझी भी कई जातियों की आबादी घटाकर दिखाने का आरोप लगा रहे हैं। इस बीच जेडीयू ने पीएम नरेंद्र मोदी से देश भर में जातीय गणना कराने की मांग करते हुए उनकी जाति पर सवाल उठा दिया है। दरअसल रिपोर्ट और आंकड़ों को बार बार मुद्दा बनाने वाली बीजेपी को जदयू ने घेरने की कोशिश की है।
जदयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जाति को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने भाजपा से सच्चाई उजागर करने की मांग की है। नीरज कुमार ने कहा है कि गुजरात में मोदी कोई जाति नहीं है, बल्कि उपनाम है। 27 अप्रैल को यूपी के कन्नौज में पीएम ने खुद को अति पिछड़ा कहा था। पीएम की जाति को कब अति पिछड़ा में शामिल किया गया? कब अधिसूचना जारी हुई?
इसे भी पढ़ें- ललन सिंह ने पूछा प्रधानमंत्री से सवाल- किस स्टेशन पर चाय बेचते थे, उसका नाम बताएं नरेंद्र मोदी
नीरज ने कहा कि नरेंद्र मोदी का जिस जाति में जन्म हुआ है वह मोढ़ घांची है। इसकी चर्चा साल 1931 की जनगणना में भी नहीं है। सामाजिक-आर्थिक रूप से यह जाति पढ़ी-लिखी और संपन्न थी। यह जाति अगड़ी थी। इस जाति के लोगों ने ब्रिटिश सरकार से खुद को मोढ़ बनिया में शामिल करने की मांग की थी।
वर्ष 2002 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने मोढ़ घांची को ओबीसी में शामिल किया। जब वर्ष 1931 की जनगणना में मोढ़ घांची में शिक्षा का स्तर 40 फीसदी था तो ऐसे में किस आधार पर घांची समुदाय ओबीसी में शामिल हो गया? प्रधानमंत्री जान बूझकर देश में जातिगत सर्वे नहीं कराना चाहते हैं। क्योंकि इससे उनकी जाति के नाम पर किए गए राजनीतिक घालमेल का पता चल जाएगा। देश के सामने उनका सच भी आ जाएगा।