उर्मिला ठाकुर और फैसल अली को एमएलसी कैंडिडेट बनाने के पीछे क्या है आरजेडी की रणनीति? जानिए
बेगूसराय जिले की रहने वाली उर्मिला ठाकुर पूर्व में आरजेडी की महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश अध्यक्ष रही हैं। वहीं शिवहर से आरजेडी के टिकट पर चुनाव लड़ चुके फैसल अली अल्पसंख्यक समाज से आते हैं।
बिहार विधान परिषद चुनाव को लेकर महागठबंधन की ओर से सभी उम्मीदवारों की घोषणा कर दी गई है। आरजेडी ने रविवार को चार उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की है। इसमें पूर्व सीएम राबड़ी देवी, आरजेडी के महासचिव अब्दुल बारी सिद्दीकी को भी विधान परिषद में जगह मिली है। इसके अलावा पार्टी की ओर से दो नए नामों की घोषणा की गई है, जिनमें उर्मिला ठाकुर और फैसल अली का नाम शामिल है। माना जा रहा है कि आरजेडी ने उर्मिला ठाकुर और फैसल अली के सहारे जातीय समीकरण को बैलेंस करने की कोशिश की है।
बेगूसराय जिले की रहने वाली उर्मिला ठाकुर पूर्व में आरजेडी की महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश अध्यक्ष रही हैं। इसके अलावा काफी दिनों से पार्टी में सक्रिय कार्यकर्ता के रूप में काम की हैं। उर्मिला ठाकुर नाई जाति की अति पिछड़ा समाज से आने वाली महिला हैं। बता दें कि राज्य सरकार की ओर से जारी जातीय गणना की रिपोर्ट में अति पिछड़ा की आबादी 36 प्रतिशत के करीब है। राजनीतिक जानकार बताते हैं कि ऐसे में उर्मिला ठाकुर को विधान परिषद बनाने की रणनीति आरजेडी के लिए कारगर साबित हो सकती है। साथ ही अति पिछड़ा वोट बैंक को अपनी ओर खींचने का भी प्रयास होगा।
वहीं शिवहर से आरजेडी के टिकट पर चुनाव लड़ चुके फैसल अली अल्पसंख्यक समाज से आते हैं। हालांकि चुनाव में फैसल अली को हार का सामना करना पड़ा था। माना जा रहा है कि आरजेडी ने फैसल अली को एमएलसी बनने का मौका देकर अपने MU (मुस्लिम यादव) समीकरण को बरकरार रखा है, क्योंकि दोनों उम्मीदवार अल्पसंख्यक समाज से आते हैं और जातिय गणना रिपोर्ट में 18% आबादी अल्पसंख्यक की है। ऐसे में अब्दुल बारी सिद्दीकी के अलावा फैसल अली को कैंडिडेट बनाने का निर्णय कारगर साबित हो सकता है।