VTR से निकला बाघ आबादी की ओर बढ़ा, बेतिया के कई इलाकों में दहशत, पीछे-पीछे खोज रहे 20 वनकर्मी
वाल्मीकि नगर टाइगर रिजर्व (वीटीआर) के जंगलों से लगभग एक सप्ताह से बाहर घूम रहे एक बाघ को वापस जंगल में भेजने के लिए 20 वनकर्मी लगातार पीछा कर रहे हैं। आशंका है कि वो चनपटिया या सिकटा की तरफ गया है।
वाल्मीकि नगर टाइगर रिजर्व के जंगलों से लगभग एक सप्ताह से बाहर घूम रहा एक बाघ अब बेतिया जिले के चनपटिया या सिकटा इलाके की तरफ बढ़ रहा है। वन विभाग ने 20 लोगों की टीम को बाघ को खोजकर वापस जंगल की तरफ ले जाने के मिशन पर लगाया है लेकिन वो बाघ ना पकड़ में आ रहा है और ना नजर। वन विभाग की टीम ने पंजे के निशान (पग मार्क) के आधार पर आशंका जताई है कि बाघ करताहा नदी के किनारे-किनारे चनपटिया या सिकटा ब्लॉक की तरफ जा सकता है। पिछले शुक्रवार को बाघ का शिकार बने एक नीलगाय के शव को मैनाटांड़ प्रखंड के पुरैनिया गांव में देखा गया था। तब से वन विभाग बाघ के पंजे के निशान से उसकी तलाश में जुटी है।
ताजा अपडेट ये है कि मैनाटांड़ प्रखंड के पुरैनिया और लिपनी गांव के बाद बाघ अब करताहा नदी होते हुए चनपटिया प्रखंड की ओर चला गया है। मंगुराहा वन रेंजर सुनील पाठक ने कहा कि बाघ के पग मार्ग को ट्रेस करते हुए साफ हुआ है कि बाघ करताहा नदी के किनारे-किनारे चनपटिया ब्लॉक की तरफ गया है। विभाग के लिए बाघ को ट्रेस करना मुश्किल हो गया है। नदी के किनारे पेड़-पौधे और झाड़ी के कारण वन टीम को परेशानी हो रही है। बाघ जंगल की ओर लौटने के बदले नदी होते रिहायशी इलाकों की तरफ जा रहा है जो चिंता का विषय है। बीस वनकर्मियों की टीम बाघ के पीछे लगाई गई है। बाघ की एक-एक गतिविधि पर नजर रखी जा रही है। वन विभाग का प्रयास है कि बाघ को सुरक्षित रेस्क्यू कर जंगल में पहुंचा दिया जाए।
विभाग को अभी तक यह भी नहीं पता चला है कि ये कौन सा बाघ है। पुरैनिया में मारे गए नीलगाय का 70% मांस खाकर बाघ लिपनी पहुंचा और उससे निकला है। आसपास गन्ने का खेत है इसलिए वन विभाग की टीम कुछ अनुमान नहीं लगा पा रही है। वनकर्मियों की टीम पग मार्क का पीछा कर रही है। बाघ के अब तक के ज्ञात लास्ट लोकेशन से चनपटिया और सिकटा दोनों नजदीक हैं और वो किसी भी तरफ जा सकता है। इस से पहले बाघ पुरैनिया में कौड़ेना नदी के तट पर गन्ने के खेत में तीन दिन तक रहा। मंगलवार शाम को बाघ कौड़ेना नदी होते पुरैनिया के बगल के गांव लिपनी पहुंच गया था। शाम में लिपनी गांव से दक्षिण एक मंदिर के पास घास काटने गई महिलाओं ने बाघ को देखा था। बाघ के इलाके में होने से लिपनी, सुखलही, पदमौल, पुरैनिया समेत कई गांव के लोगों में भय व्याप्त है।