Hindi Newsबिहार न्यूज़Vaishali is a holy pilgrimage place for Buddhism and Jainism followers Ashoka pillar Vishwa Shanti Stupa Buddha stupa

बौद्ध और जैन धर्म के अनुयायियों की पवित्र तीर्थस्थली है वैशाली, इन जगहों को देखने देश-विदेश से आते हैं पर्यटक

बिहार का वैशाली जिला हिंदू, बौद्ध और जैन धर्म के अनुयायियों के लिए विशेष महत्व रखता है। वैशाली जिले में ही भगवान महावीर का जन्म हुआ था। इसी जगह पर महात्मा बुद्ध ने अपना अंतिम उपदेश भी दिया था।

Atul Gupta लाइव हिंदुस्तान, वैशालीThu, 17 Nov 2022 06:02 PM
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बिहार का वैशाली जिला हिंदू, बौद्ध और जैन धर्म के अनुयायियों के लिए विशेष महत्व रखता है। यह वह शहर है जहां भगवान महावीर का जन्म हुआ था। माना जाता है कि दुनिया के पहले गणराज्य के रूप में वैशाली का नाम महाभारत काल के राजा विशाल के नाम पर रखा गया था। यह वह शहर भी है जहां बुद्ध ने अपना अंतिम उपदेश दिया था। वैशाली जिला में आम और केले के पेड़ बहुतायत में है। इसके अलावा यहां धान की भी बड़े स्तर पर खेती की जाती है।

भगवान बुद्ध ने अपने जीवन का महत्वपूर्ण समय यहां बिताया और वे समय-समय पर वैशाली आते-जाते थे। इसके अलावा उनका अंतिम उपदेश वैशाली में ही आयोजित किया गया था। इसी वजह से ये शहर बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए महत्वपूर्ण स्थान है। इस घटना को चिह्नित करने के लिए अशोक ने यहां एक स्तंभ भी खड़ा किया था। अशोक ने कलिंग युद्ध के बाद बौद्ध धर्म ग्रहण स्वीकार कर लिया था। वैशाली जैन धर्म के अनुयायियों के लिए भी पवित्र शहर है क्योंकि यहां भगवान महावीर का जन्म हुआ था। वैशाली जिले में मौजूद ये जगह देखने लायक है।

अशोक स्तंभ

कलिंग नरसंहार के बाद अशोक बौद्ध धर्म के एक अनुयायी बन गए और उन्होंने वैशाली में अपना एक प्रसिद्ध अशोक स्तंभ बनवाया,जो यहां हुए भगवान बुद्ध के अंतिम उपदेश को याद करने के लिए था। उत्तर की ओर मुख किए हुए स्तंभ के शीर्ष पर भगवान बुद्ध की अंतिम यात्रा को दर्शाया गया है। इसपर एक सिंह की जीवन जैसी आकृति है। ध्रुव के बगल में एक ईंट का स्तूप और एक तालाब है जिसे रामकुंड के नाम से जाना जाता है जो बौद्धों के लिए एक पवित्र स्थान है।  यहां एक छोटा तालाब भी है जिसे रामकुंड के नाम से जाना जाता है।

विश्व शांति स्तूप

125 फीट लंबा शांति शिवालय बौद्ध विहार समाज द्वारा जापान सरकार के सहयोग से बनाया गया था। यह वास्तव में विशाल, सफेद, सुंदर स्तूप है जो तालाब से घिरा हुआ है जहां आप खाली समय बिता सकते हैं। विश्व शांति स्तूप के ठीक बगल में अभिषेक पुष्कर्णी है। उत्तरी तट पर एक संग्रहालय है जिसमें खुदाई के दौरान मिली कलाकृतियों को चार दीर्घाओं में विभाजित किया गया है।

बुद्ध का स्तूप

यहां बुद्ध का स्तूप है जिसे दो हिस्सो में बांटा गया है। स्तूप 1 और स्तूप 2 जिनका नामकरण खोज के आधार पर किया गया है। उन दोनों में भगवान बुद्ध की राख (जो आठ भागों में विभाजित थी) को पत्थर के ताबूतों में संरक्षित किया गया है। बौद्ध धर्म को लोगं में बुद्ध स्तूप को लेकर अनुयायियों में अभी भी बहुत श्रद्धा है।

विशाल किला

वैशाली का नाम रामायण काल ​​से राजा विशाल के नाम पर पड़ा है। विशाल किला संसद भवन का खंडहर है। माना जाता है कि राजनीतिक मामलों पर चर्चा करने के लिए लगभग सात हजार प्रतिनिधि यहां एकत्रित होते थे।

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