पवन सिंह फैक्टर बने या बनाए गए; काराकाट हारने पर उपेंद्र कुशवाहा का छलका दर्द, किस ओर इशारा?
काराकाट लोकसभा सीट पर हार के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने पहली बार मीडिया से बातचीत में कहा कि भोजपुरी स्टार पवन सिंह उनकी हार में फैक्टर बने या बनाए गए, यह सबको पता है।
बिहार की काराकाट लोकसभा सीट पर बतौर एनडीए प्रत्याशी चुनाव हारने के बाद राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा का दर्द छलक उठा। कुशवाहा ने चुनाव रिजल्ट के दो दिन बाद पहली बार गुरुवार को मीडिया से बातचीत में अपनी हार पर प्रतिक्रिया दी। जब उनसे पूछा गया कि क्या वह भीतरघात के शिकार हुए, तो उन्होंने कहा कि हम क्या बन गए, या नहीं बन गए, यह सब लोगों को मालूम है। बीजेपी के बागी एवं निर्दलीय पवन सिंह के फैक्टर बनने पर कुशवाहा बोले कि वे फैक्टर बने या बनाए गए, इस बारे में उन्हें कुछ नहीं कहना है। सारी चीज सब लोगों को मालूम है।
काराकाट लोकसभा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले में उपेंद्र कुशवाहा को करारी हार का सामना करना पड़ा। बतौर एनडीए प्रत्याशी चुनाव लड़े कुशवाहा मुकाबले में तीसरे नंबर पर रहे, उन्हें 2.53 लाख वोट ही मिले। वहीं, काराकाट से चुनाव जीतने वाले सीपीआई माले के प्रत्याशी राजाराम सिंह को 3.80 लाख वोट मिले। दूसरे नंबर पर निर्दलीय प्रत्याशी पवन सिंह रहे, जिन्हें 2.74 लाख वोट मिले।
उपेंद्र कुशवाहा ने गुरुवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि उनकी काराकाट में हार कैसे हुई यह सब जानते हैं। आजकल सोशल मीडिया का जमाना है, हाई टेक्नोलॉजी का युग है, इस बारे में किसी को कुछ बताने की जरूरत नहीं है। पवन सिंह को फैक्टर बनाए जाने के बारे में भी उन्हें कुछ नहीं कहना है। कुशवाहा का यह बयान सियासी गलियारे में चर्चा का विषय बन गया है, उनका इशारा किस ओर है इस बारे में तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।
बता दें कि भोजपुरी स्टार पवन सिंह को बीजेपी ने पश्चिम बंगाल की आसनसोल लोकसभा से टिकट दिया था। मगर उन्होंने वहां से चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया और बागी होकर काराकाट से निर्दलीय पर्चा भर दिया। पवन सिंह के मैदान में आ जाने से काराकाट में मुकाबला त्रिकोणीय हो गया। एनडीए प्रत्याशी उपेंद्र कुशवाहा को यहां वोटों में बिखराव का डर सता रहा था, जिसका नतीजों पर असर भी पड़ा। हालांकि, वोटिंग से पहले बीजेपी ने पवन सिंह को पार्टी निकाल दिया और कुशवाहा के लिए काराकाट में पीएम मोदी, अमित शाह और राजनाथ सिंह ने प्रचार भी किया। चुनाव रिजल्ट में पवन सिंह की वजह से कुशवाहा तीसरे नंबर पर खिसक गए और करारी हार मिली। वहीं, इसका फायदा महागठबंधन को मिला और माले ने काराकाट में कब्जा जमा दिया।