एनटीए को अरब सागर या बंगाल की खाड़ी में फेंक दो, नीट पर आरजेडी के मनोज झा का संसद में भाषण
आरजेडी सांसद मनोज झा ने राज्यसभा में नीट पेपर लीक और कोचिंग संस्थानों के मुद्दे पर बोलते हुए कहा कि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) को अरब सागर या बंगाल की खाड़ी में फेंक देना चाहिए।
राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने शुक्रवार को नीट पेपर लीक मामले पर संसद में केंद्र सरकार को जमकर घेरा। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) को अरब सागर या बंगाल की खाड़ी में फेंक दिया जाए। झा ने शिक्षा व्यवस्था में कोचिंग सेंटरों के बढ़ते जाल पर भी गहरी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि कोचिंग और स्कूल फीस का स्ट्रक्चर गरीबों के अनुकूल नहीं है।
राज्यसभा में बोलते हुए आरजेडी सांसद मनोज झा ने शुक्रवार को कहा कि विविधता में एकता ही भारत की शक्ति है। शिक्षा के मुद्दे पर पहले राज्यों को नीतिगत निर्णय लेने का अधिकार था। मगर 46वां संविधान संशोधन होने के बाद धीरे-धीरे यह मुद्दा राज्यों के हाथ से निकलता गया। भारत में भोजन, कपड़ा, भाषा, क्षेत्र से लेकर हर चीज में विविधता है। ऐसे में विविधताओं का सम्मान होना चाहिए। राज्यों को अपने अनुसार शिक्षा पर नीतियां बनाने का अधिकार मिलना चाहिए।
झा ने आगे कहा कि पहले अंडर ग्रेजुएट कोर्स में एडमिशन के लिए थोड़ी बहुत दिक्कत होती थी। केंद्र सरकार ने उसके बदले सीयूईटी (कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट) की व्यवस्था कर दी। यह कोचिंग सेंटरों का पितामह हो गया। इसने कोचिंग व्यवस्था को जन्म दे दिया। पहले दिल्ली यूनिवर्सिटी के पॉलिटिकल साइंस या किसी कोर्स में एडमिशन के लिए कोचिंग नहीं लेनी पड़ती थी। मगर सीयूईटी के आने के बाद छात्र-छात्राओं को कोचिंग करनी पड़ रही है। यह बहुत चिंताजनक है।
मनोज झा ने कोचिंग संस्थानों और स्कूलों के फीस स्ट्रक्चर पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह आम लोगों के हिसाब से नहीं है। उन्होंने बिहार में जातिगत एवं आर्थिक सर्वे की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि राज्य में 35 फीसदी परिवारों की मासिक आमदनी 6000 रुपये या उससे कम है। ऐसे में शिक्षण संस्थानों का फीस स्ट्रक्चर उनके कहां काम आता है।
नीट पेपर लीक पर बोलते हुए आरजेडी सांसद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भले ही परीक्षा दोबारा कराने से इनकार कर दिया। मगर अदालत ने अपने फैसले में बहुत बातें कहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पटना और हजारीबाग से लेकर गोधरा तक के बारे में जिक्र करते हुए कई बिंदु बताए। पूरी परीक्षा एक स्तर पर कॉम्प्रोमाइज हुई थी। स्टेट बोर्ड की अपनी प्राथमिकताएं होती हैं, उसका सम्मान इस तरह की परीक्षाएं नहीं किया करती हैं। उन्होंने अपने भाषण के अंत में कहा कि नीट जैसी परीक्षा आयोजित कराने वाली एजेंसी एनटीए को अरब सागर या बंगाल की खाड़ी में फेंक देना चाहिए।