पटना में इतना प्रदूषण कि बीमार हो गए पीएमसीएच के कई डॉक्टर, नर्स समेत 50 लोग बने शिकार
पटना की जहरीली हवा का असर अब आम लोगों के अलावा डॉक्टर्स पर भी पड़ रहा है। PMCH का 50 से ज्यादा लोगों का स्टाफ अस्थमा, फेफड़ों के संक्रमण से पीड़ित है। जिसमें कई डॉक्टर शामिल हैं।
राजधानी पटना में खराब हवा धीरे-धीरे शहर के लोगों की सेहत बिगाड़ रही है। प्रदूषण इतना बढ़ गया है कि अब आम लोगों को तो छोड़िए PMCH के कई डॉक्टर भी क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD),ब्रोन्कियल अस्थमा और फेफड़ों के संक्रमण जैसी बीमारी से पीड़ित हैं। शहर में वायु प्रदूषण बढ़ने के कारण डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ और मेडिकोज सहित पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल से जुड़े कम से कम 50 लोग बीमार पड़ गए हैं।
पीएमसीएच के डॉक्टर ने बताया कि अशोक राजपथ और अस्पताल परिसर के भीतर चल रहे निर्माण कार्यों ने हवा की गुणवत्ता खराब कर दी है। सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी जहरीली गैसें बढ़ रही हैं। जो ब्रोन्कियल संकुचन का कारण बनते हैं। जिससे सांस फूलने लगती है। पीएमसीएच में श्वसन ओपीडी में रोजाना पहुंचने वाले लगभग 100 रोगियों में से 50% फुटपाथ विक्रेता या फिर व्यस्त सड़कों के किनारे दुकानें चलाने वाले होते हैं।
इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आईजीआईएमएस) में रोजाना पहुंचने वाले लगभग 120 मरीजों में से 40% सीओपीडी से पीड़ित पाए जाते हैं। एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अरशद इजाज़ी ने कहा शहर की हवा में सुधार के लिए वाहनों का कम इस्तेमाल और साइकिल चलाने को बढ़ावा देने की जरूरत है। साथ ही पर्दे और बेडशीट की नियमित धुलाई और कारों के अंदर के हिस्सों की सफाई जैसे इनडोर सुरक्षा उपाय भी स्थिति को सुधारने में काफी मददगार साबित होंगे।
पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. प्रशांत कुमार सिंह ने कहा कि दिवाली के बाद शहर की हवा खराब हो गई है। उन्होंने कहा, ऐसे मरीजों की संख्या दो से तीन गुना बढ़ गई है। एक निजी अस्पताल से जुड़े पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. वैभव शंकर ने कहा, वायु प्रदूषण बढ़ने से बुजुर्ग रोगियों में सीओपीडी और ब्रोन्कियल अस्थमा की स्थिति को बढ़ा दिया है। हालांकि बुजुर्ग लोगों को इसका खतरा अधिक होता है। स्कूली बच्चों समेत लोगों में भी सांस लेने में परेशानी पैदा कर सकता है। ऑटोरिक्शा और स्कूल बसों सहित सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने वाले लोग पूरी तरह से प्रदूषित हवा के संपर्क में हैं। बच्चों को स्कूल जाते समय या घर वापस आते समय मास्क पहनना चाहिए।
वायु प्रदूषण दुनियाभर में चिंता का विषय है। यह पार्टिकुलेट मैटर, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, ओजोन, कार्बन मोनोऑक्साइड और वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों जैसे प्रदूषकों के कारण होने वाली विभिन्न श्वसन बीमारियों से जुड़ा हुआ है। ये प्रदूषक फेफड़ों में जलन, सूजन और ऊतक क्षति पैदा करके श्वसन प्रणाली को नुकसान पहुंचा सकते हैं। आपको बता दें बीते हफ्ते भर से पटना का वायु प्रदूषण सूचकांक 400 के पार है। पटना के कई इलाकों की हवा बेहद जहरीली हो चुकी है।