हिन्दुस्तान स्पेशल: समस्तीपुर का वो धाम, जहां सावन में सूख जाता है कुआं, जानें क्या है मान्यता?
समस्तीपुर में एक धाम ऐसा भी है जहां सावन में कुएं सूख जाते हैं। कहा जाता है कि विद्यापतिधाम मंदिर में जलाभिषेक करने के लिए श्रद्धालु कुएं से पानी लेते हैं। हालात ऐसे हो जाते हैं कि कुआं सूख जाता है।
समस्तीपुर जिले के विद्यापतिधाम मंदिर की महिमा चारों ओर फैली हुई है। कहा जाता है कि मां गंगा से मिलने निकले कवि विद्यापति जब चलते-चलते थक गये तो इसी जगह गंगा उनसे मिलने आ पहुंची थीं। यही कारण है यहां सावन के अलावा अन्य दिनों में भी श्रद्धालुओं की काफी भीड़ होती है। सावन में सोमवारी के दिन यहां जलाभिषेक करनेवाले श्रद्धालुओं की संख्या डेढ़ लाख तक पहुंच जाती है। बड़ी संख्या में ऐसे श्रद्धालु यहां आते हैं, जो जलाभिषेक के लिए मंदिर परिसर स्थित कुएं से जल लेते हैं। और अंतत: स्थिति यह बनती है कि कुएं ही सूख जाते हैं। फिर श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए मोटर चलाकर कुएं में जल भरा जाता है।
नेपाल तक से आते हैं श्रद्धालु
विद्यापतिधाम मंदिर में पूजा करने सावन में उत्तर बिहार के विभिन्न जिलों और नेपाल तक से श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। यहां बड़ी संख्या में लोग कांवर लेकर भी आते हैं। स्थानीय व आसपास के जिलों के लोग मंदिर में आने से पहले समीप के चमथा, छमटिया और कटहा स्थित गंगा घाटों पर स्नान के बाद जलाभिषेक के लिए गंगाजल लेते हैं। लेकिन बड़ी संख्या वैसे श्रद्धालुओं की भी है जो घर से सीधे मंदिर पहुंचते हैं। ऐसे श्रद्धालुओं में कुछ तो मंदिर के पंडों से जल लेते हैं जबकि बड़ी संख्या में लोग मंदिर के प्रवेश द्वार पर स्थित कुएं से जलाभिषेक के लिए जल लेते हैं।
सोमवारी को आते हैं डेढ़ लाख लोग
मंदिर के व्यवस्थपक नवल गिरि और विद्यापति परिषद के अध्यक्ष गणेश गिगरि कवि ने बताया कि आम दिनों में आने वाले श्रद्धालु भी कुएं से जल लेकर बाबा की पूजा अर्चना करते हैं, लेकिन सावन में इस कदर भीड़ उमड़ती है कि श्रद्धालुओं द्वारा लगातार जल निकाले जाने से कुआं सूख जाता है। उन्होंने बताया कि कुएं का पानी खत्म होने पर मोटर चलाकर जल भरना होता है। उन्होंने बताया कि मंदिर की ओर से कुएं में जल भरने के लिए मोटर की व्यवस्था की गयी है। उन्होंने बताया कि मंदिर में खासकर सावन महीने में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है। सावन में हर रविवार व सोमवार को ऐसे सें डेढ़ लाख लोगों की भीड़ उमड़ती है।
विद्यापति से मिलने यहां आ पहुंची थीं गंगा
मंदिर के व्यवस्थापक ने बताया कि इस स्थल पर ही भगवान शंकर व गंगा के परमभक्त आदि कवि विद्यापति का निर्वाण हुआ था। अपने अंतिम समय में वो गंगा के लिए चले। पैदल चलते-चलते थक जाने पर यहां बैठ गये। उसके बाद पास में मौजूद चरवाहे से पूछा कि यहां से गंगा कितनी दूर है। जिस पर चरवाहे ने ढाई से तीन कोस की दूरी बतायी। इसके बाद विद्यापति यह कहते हुए वहीं रुक गये कि वे उतनी दूर से मां गंगा के लिए आ सकते हैं तो मां गंगा यहां तक नहीं आ सकती है? कहा जाता है कि उसके बाद गंगा की धारा वहां पहुंची और विद्यापति को अपने साथ ले गयी।
भगवान शिव के साथ विद्यापति की पूजा
विद्यापतिघाम मंदिर में भगवान शिव के साथ उनके परम भक्त आदि कवि विद्यापति की भी लोग पूजा करते हैं। मुख्य मंदिर में एक बड़ा और एक छोटा पत्थर है। बड़े पत्थर को शिवलिंग और छोटे पत्थर को विद्यापति बताया जाता है।