मधुबनी के रहिका में हल चलाते समय मिलीं भगवान की मूर्तियां, मूर्ति स्थल पर श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़
बिहार के मधुबनी जिले के रहिका के बसौली में एक प्राचीन मूर्ति मिली है। एक ही शिलापट्ट पर भगवान के नौ स्वरुपों की आकृतियां बनी हैं। रहिका प्रखंड की बसौली पंचायत में खपरपुरा टोल में ये प्रतिमा मिली...
बिहार के मधुबनी जिले के रहिका के बसौली में एक प्राचीन मूर्ति मिली है। एक ही शिलापट्ट पर भगवान के नौ स्वरुपों की आकृतियां बनी हैं। रहिका प्रखंड की बसौली पंचायत में खपरपुरा टोल में ये प्रतिमा मिली है।
बताया जाता है कि इसका संबंध भगवान या फिर मां के विराट दर्शन से जुड़ा हुआ है। गांव के ही श्याम यादव खेत में हल चला रहे थे, इसी दौरान ये प्रतिमा मिली। गांव में जैसे ही ये बातें फैली, दर्शकों की भारी भीड़ जमा हो गयी। खेत के पास स्थित पोखर के पास लगे पीपल पेड़ के नीचे मूर्ति स्थापित कर पूजा अराधना शुरू कर दी गयी है। लोगों में इसे लेकर कौतुहल है। श्याम यादव ने बताया कि वे हल चला रहे थे। इस दौरान हल के किसी पत्थर से टकराने की आवाज आयी और हल रूक सा गया। बैल को हटाकर स्थल पर कुदाल से मिट्टी नीचे से हटायी तो मूर्ति मिली। यह जगह रहिका से सात किलोमीटर दूर है। समाजसेवी सह सशक्त स्थायी समिति सदस्य उमेश प्रसाद और टेक नाथ पाठक ने बताया कि मिथिला की भूमि में कई ऐतिहासिक सभ्यता व संस्कृति दफन है। जरूरत इसकी खुदाई और शोध की है।
आध्यात्मिक स्थल के रुप में रहा है प्रसिद्ध
प्राचीन इतिहासकार डा. यूएन तिवारी ने बताया कि यह क्षेत्र उन्नत व विकसित संस्कृति और सभ्यता का रहा है। आध्यात्मिक दृष्टिकोण से यह काफी समृद्धशाली रहा है। काले रंग यानि कृष्ण प्रस्तर की मूर्ति का संबंध पाल वंश से भी रहा है। हालांकि इस क्षेत्र में पाल वंश को लेकर विवाद है। इस क्षेत्र को कर्नाट और सेन वंश के काल से जोड़ा गया है। इसके कई प्रमाण भी मिलते रहे हैं। इस काल की कलाकृतियां यहां मिलती रही हैं। इस क्षेत्र में नौ मातृका, नौ नाथ और नौ रत्नेश्वर की कलाकृतियां सामने आती रही है। फिलहाल यह अनुसंधान का विषय है। प्रस्तर की वैज्ञानिक जांच के बाद ही इसके काल का निर्णय संभव हो सकेगा।