पटना में मिला है दक्षिणी अफ्रीकी वेरिएंट ओमीक्रोन बीए.2, सात गुना ज्यादा है संक्रामक
पटना में मिले दक्षिण अफ्रीकी ओमीक्रोन वेरिएंट का जेनेटिक पैटर्न बीए 2 है। वहीं, मुंबई और महाराष्ट्र में बीए1 पैटर्न है। दोनों वेरिएंट संक्रामक हैं और तेजी से लोगों को अपनी चपेट में ले रहे हैं। दक्षिण...
पटना में मिले दक्षिण अफ्रीकी ओमीक्रोन वेरिएंट का जेनेटिक पैटर्न बीए 2 है। वहीं, मुंबई और महाराष्ट्र में बीए1 पैटर्न है। दोनों वेरिएंट संक्रामक हैं और तेजी से लोगों को अपनी चपेट में ले रहे हैं। दक्षिण अफ्रीका में इसके प्रसार के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन के वैज्ञानिकों व विशेषज्ञों ने इसे डेल्टा वेरिएंट से सात गुना ज्यादा संक्रामक बताया है। हालांकि राहत की बात यह भी है कि विशेषज्ञों के मुताबिक डेल्टा के मुकाबले यह कम घातक है।
आईजीआईएमएस माइक्रोबायोलॉजी विभाग की अध्यक्ष और राज्य में जीनोम सिक्वेंसिंग जांच टीम का नेतृत्व करनेवाली डॉ. नम्रता ने बताया कि ओमीक्रोन नि:संदेह अबतक डेल्टा के मुकाबले बेहद कम घातक है। डेल्टा से जितनी मौतें हो रही थीं, पूरे विश्व में ओमीक्रोन से वैसी मौत नहीं देखी गई हैं, लेकिन संक्रमण क्षमता सात से 10 गुना ज्यादा है।
बिहार और भारत में घनी आबादी के कारण इसका संक्रमण बहुत तेजी से फैल रहा है। जिस तेजी से यह संक्रमण फैल रहा है वह एक दिन में संक्रमितों की संख्या मिलने का पिछला सारा रिकॉर्ड तोड़ सकता है। बचाव के लिए कोरोना मानकों को अपने व्यवहार में शामिल करना ही सबसे अच्छा उपाय है। पीएमसीएच के वरीय श्वसन रोग विशेषज्ञ डॉ. बीके चौधरी ने बताया कि दूसरी लहर के दौरान डेल्टा से संक्रमित होकर अस्पताल पहुंचने वालों में मृत्युदर आठ से 10 प्रतिशत तक हो गई थी। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस लहर के आकलन के बाद अबतक अस्पताल पहुंचने वालों में मृत्यु दर एक प्रतिशत के लगभग है।
वहीं, भारत में अभी इसका प्रसार हाल ही में होने से अबतक घातक स्वरूप सामने नहीं आया है। अबतक मिले संक्रमितों में इसका हल्का लक्षण ही देखने को मिल रहा है। यह संक्रमण फेफड़े की बजाय ज्यादातर मामले में सांस नली से सीधे पेट में जाते दिख रहा है। इसलिए इस बार सांस के गंभीर पीड़ित बहुत कम दिख रहे हैं।