लेटलतीफी: बिहार के विश्वविद्यालयों में समय से नहीं शुरू हो पाएगा सत्र
राज्य के विश्वविद्यालयों का सत्र पटरी पर लाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। राजभवन बार-बार विश्वविद्यालय को निर्देश दे रहा है। विश्वविद्यालय भी प्रयास कर रहे हैं। इसके बावजूद पटना...
राज्य के विश्वविद्यालयों का सत्र पटरी पर लाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। राजभवन बार-बार विश्वविद्यालय को निर्देश दे रहा है। विश्वविद्यालय भी प्रयास कर रहे हैं। इसके बावजूद पटना विश्वविद्यालय को छोड़कर राज्य के अन्य पारंपरिक विश्वविद्यालयों का सत्र 2018-19 में देर से शुरू होना तय है।
इस बार स्नातक में नामांकन के लिए ऑनलाइन आवेदन मांगा गया है और ये आवेदन एकीकृत रूप से लिए जा रहे हैं। इसकी जिम्मेदारी बिहार विद्यालय परीक्षा समिति को दी गई है, लेकिन समिति समय से ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया शुरू नहीं कर पाई। पहले तय हुआ था कि 11 जून से आवेदन शुरू हो जाएगा। ऐसे में उम्मीद थी कि जुलाई प्रथम सप्ताह में राज्य के कॉलेजों में क्लास शुरू जाएगी,, लेकिन यह 19 जून से शुरू हो पाया। 28 जून तक आवेदन करना है। ऐसे में एक जुलाई से सत्र आरंभ होने के आसार नहीं हैं। यदि इंटरमीडिएट के रिजल्ट की वजह से आवेदन की तारीख बढ़ जाती है तो विश्वविद्यालय का सत्र शुरू होने में और देरी होगी।
मेरिटलिस्ट की तारीख तय नहीं
समिति ने तीन मेरिट लिस्ट निकालने की बात तो कही है, लेकिन कौन-सी मेरिट लिस्ट कब निकलेगी, यह निश्चित नहीं है। अनुमान है कि पहली मेरिट लिस्ट 30 जून के बाद ही निकल पाएगी। ऐसे में तीसरी मेरिट लिस्ट जारी होने तक जून मध्य पार कर जाएगा।
विश्वविद्यालय पहले से नाखुश
बिहार विद्यालय परीक्षा समिति को आवेदन लेने के लिए अधिकृत करने से विश्वविद्यालय के अधिकारी नाखुश हैं। वे इस कदम को विश्वविद्यालय की स्वायत्तता में दखलअंदाजी मान रहे हैं। पटना विश्वविद्यालय के एक सीनियर प्रोफेसर का कहना है कि यदि एकीकृत आवेदन ही लेना था तो किसी विश्वविद्यालय को ही इसकी जिम्मेदारी दे दी जाती। इससे समय से सारी प्रक्रियाएं पूरी हो जातीं।