Hindi Newsबिहार न्यूज़RJD sniffs a chance in BJP stronghold Buxar Lok Sabha close to PM Narendra Modi Varanasi

वाराणसी से सटे बक्सर में बीजेपी का गढ़ छीनने का मौका तलाश रही आरजेडी

Buxar Lok Sabha Election: बक्सर लोकसभा सीट पर आखिरी चरण में 1 जून को मतदान है। बीजेपी के मिथिलेश तिवारी, आरजेडी के सुधाकर सिंह और निर्दलीय आनंद मिश्रा त्रिकोणीय मुकाबले में दिख रहे हैं।

हिन्दुस्तान टाइम्स अरुण कुमार, पटनाTue, 28 May 2024 06:08 PM
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकसभा सीट वाराणसी से महज 125 किलोमीटर दूर बिहार की बक्सर लोकसभा सीट से लड़ रहे बीजेपी उम्मीदवार मिथिलेश तिवारी को पीएम के क्षेत्र के पड़ोस में लड़ने से ताकत मिल रही है। 1996 से एक चुनाव छोड़कर भाजपा का इस सीट पर कब्जा रहा है। पहले चार चुनाव लगातार लालमुनि चौबे जीते और 2009 में आरजेडी के जगदानंद सिंह ने भाजपा की जीत का चक्र तोड़ा। 2014 में भाजपा के अश्विनी चौबे ने फिर सीट जीती और वो लगातार दूसरी बार सांसद और केंद्र में मंत्री तक बने। बक्सर में इस बार का चुनाव त्रिकोणीय मुकाबला में बदलता दिख रहा है।

बक्सर के लोगों से बात करते ही उनका दर्द छलक पड़ता है जो बक्सर की तुलना वाराणसी से करने लगते हैं। रिटायर्ड शिक्षक रामानंद मिश्रा कहते हैं- "इलाज तक के लिए लोगों को बनारस जाना पड़ता है। लोग यहां से जीत जाते हैं लेकिन कुछ करते नहीं हैं जिसका बक्सर हकदार है।" बनारस में पढ़ने वाले सुमन कुमार तो इसे विकास का रेगिस्तान कहते हैं। सुमन ने एसडीओ आवास के सामने नाथ बाबा घाट पर गंगा में गिर रहे ब्रिटिश काल के नाले को दिखाते हुए कहा- "बक्सर को बनारस का सहयोगी शहर होना चाहिए था लेकिन नमामि गंगे प्रोजेक्ट का हाल सब कुछ बताता है।"

1996 से अब तक सिर्फ एक बार जगदानंद सिंह के हाथों बक्सर हारने वाली भाजपा के मिथिलेश तिवारी के सामने जगदानंद के बेटे और नीतीश सरकार में कृषि मंत्री रहे चर्चित आरजेडी विधायक सुधाकर सिंह लड़ रहे हैं। सुधाकर सिंह पहली बार बक्सर की रामगढ़ सीट से विधायक जीते हैं। किसानों और स्थानीय मुद्दों पर वो खुलकर बोलते हैं। नीतीश कुमार के कृषि रोडमैप के खिलाफ बोलने की वजह से ही सुधाकर सिंह को महागठबंधन सरकार में पद छोड़ना पड़ा था। इलाके में सड़क, हवाई और जल मार्ग से प्रचार कर रहे सिंह जूनियर कहते हैं- "बक्सर ने लंबे समय से बीजेपी का साथ दिया है, लेकिन बीजेपी ने बक्सर को क्या दिया है। रामगढ़ के लोग बता सकते हैं कि मैंने पहली बार विधायक के रूप में क्या किया है। मैं बक्सर के लिए और ताकत से काम करूंगा।"

बक्सर के रहने वाले और पूर्व आईपीएस अफसर आनंद मिश्रा ने मुकाबले को तिकोना बना दिया है। स्थानीय लोगों के बीच लोकप्रिय इस पूर्व नौकरशाह ने भाजपा से टिकट मिलने की उम्मीद लगा रखी थी लेकिन नहीं मिलने पर निर्दलीय ही लड़ गए।

बीजेपी उम्मीदवार मिथिलेश तिवारी के पक्ष में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करिश्मा के अलावा जमीन पर कुछ सही नहीं चल रहा है। मौजूदा सांसद अश्विनी चौबे लगातार गायब चल रहे हैं। पीएम मोदी 25 मई को बक्सर आए थे। पीएम मोदी ने अपनी रैली में कहा था- "ये चुनाव सिर्फ सांसद चुनने का नहीं है, बल्कि प्रधानमंत्री को चुनने का है। यह चुनाव मजबूत सरकार बनाने का है। 4 जून की शाम राजद समर्थक कहेंगे कि उनकी नाव कांग्रेस ने डुबो दी और कांग्रेस का शाही परिवार खरगे जी पर दोष मढ़कर छुट्टी पर निकल लेगा।"

विपक्ष बीजेपी कैंडिडेट मिथिलेश तिवारी को बाहरी बताकर घेर रहा है। तिवारी गोपालगंज के रहने वाले हैं। आनंद मिश्रा के निर्दलीय लड़ जाने से जातीय गणित भी बिगड़ गया है। बक्सर में ब्राह्मणों का दबदबा है और आनंद मिश्रा को लोग गंभीरता से ले रहे हैं। बीजेपी को लगता है कि पीएम मोदी की रैली के बाद सब कुछ ठीक हो जाएगा और लोग मोदी के लिए वोट करने का महत्व समझ जाएंगे।

जमीनी हालात को भांपते हुए भाजपा ने अपने गढ़ को बचाने के लिए बड़े-बड़े नेताओं को बक्सर में उतारा है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की रैली से सुधाकर सिंह के राजपूत वोट पर चोट करने की कोशिश की गई है। बक्सर लोकसभा के अंदर आने वाली छह विधानसभा सीटों में सारी सीटें विपक्षी गठबंधन के पास हैं। तीन सीट ब्रह्मपुर, रामगढ़ और दिनारा पर आरजेडी के विधायक जीते हैं। राजपुर और बक्सर में कांग्रेस जबकि डुमरांव में सीपीआई-माले का एमएलए है। विपक्ष के लिए ये नंबर इस सीट पर जीत की एक उम्मीद है। बक्सर के एक किसान रामानंद सिंह कहते हैं- "इस बार सुधाकर नहीं जीत पाया तो फिर कब जीतेगा।"

सुधाकर सिंह किसानों के मुद्दे पर लगातार बोलते और जमीन पर उतरते रहते हैं। उनके बुलाने पर किसानों के आंदोलन में राकेश टिकैत भी बक्सर आते रहे हैं। लेकिन उनकी राह भी आसान नहीं है। आरजेडी के पूर्व विधायक ददन पहलवान भी निर्दलीय उतर गए हैं जो अपनी जाति यादव का वोट काट सकते हैं। यादव और मुसलमान वोट आरजेडी के दो बड़े आधार हैं। बसपा के अनिल कुमार खुद तो नहीं जीत सकते लेकिन दूसरों की समीकरण बिगाड़ सकते हैं। दरअसल, बक्सर में दो दर्जन से ज्यादा कैंडिडेट हैं जो मुकाबले में चल रहे उम्मीदवारों का खेल बना सकते हैं या खराब कर सकते हैं।

दिनारा के सुरेंद्र कुमार कहते हैं- "लड़ाई अंत में बीजेपी और आरजेडी के बीच ही होगी। आनंद मिश्रा भाजपा के टिकट पर लड़ते तो आसान होता। बीजेपी का यहां मजबूत आधार है लेकिन सुधाकर मेहनती नजर आते हैं। देखते हैं कौन पार लगता है। वोटिंग का खेल यहां रातों-रात बदल सकता है।"

बक्सर लोकसभा सीट

कुल वोटर

19,16,081
प्रमुख उम्मीदवार

मिथिलेश तिवारी, भाजपा

सुधाकर सिंह, राजद

आनंद मिश्रा, निर्दलीय

ददन पहलवान, निर्दलीय

हालिया विजेता

2019- अश्विनी कुमार चौबे

2014- अश्विनी कुमार चौबे

विधानसभा क्षेत्र

बक्सर, ब्रह्मफुर, डुमरांव, रामगढ़, दिनारा और राजपुर (एससी)

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