मगध और शाहाबाद से आरजेडी की वापसी, माले को मिली नई जमीन; ऐसे धराशायी हुए एनडीए के गढ़
बिहार के मगध और शाहाबाद क्षेत्र में लोकसभा चुनाव में मिली जीत से महागठबंधन को नई ऊर्जा मिली है। आरजेडी और सीपीआई माले की जुगलबंदी 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में ही शुरू हो गई थी।
लोकसभा चुनाव 2024 में भले ही आरजेडी और कांग्रेस का महागठबंधन बिहार में एक चौथाई सीटों पर ही कब्जा जमाने में कामयाब हुआ। लेकिन मगध और शाहाबाद क्षेत्र ने महागठबंधन को नई ऊर्जा दी है। लालू एवं तेजस्वी यादव के राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) की संसद में वापसी कराई है तो वामदल सीपीआई माले को नई जमीन मिली है। इंडिया गठबंधन को बिहार में मिली 9 में से सात सीटें इन्हीं इलाके की हैं। एमवाई (मुस्लिम-यादव) समीकरण और माले के कैडर वोटरों की जुगलबंदी से महागठबंधन के लड़ाकों ने एनडीए के धुरंधरों को पस्त कर दिया।
केंद्रीय मंत्री आरके सिंह, राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा, पूर्व केंद्रीय मंत्री रामकृपाल यादव को हार का सामना करना पड़ा। इससे स्पष्ट हो गया है कि 2025 बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए के लिए यहां के समीकरण को साधने की चुनौती होगी। शाहाबाद की चार और मगध (पटना जोड़कर) की सात सीटें मिलाकर इस क्षेत्र में कुल 11 सीटें हैं। इसमें पटना साहिब, नालंदा, गया और नवादा पर कब्जा करने में एनडीए सफल रहा है। शाहाबाद की चारों और मगध की अन्य तीन सीटें इंडिया गठबंधन ने एनडीए से छीन ली हैं। आरजेडी चार, भाकपा माले दो और कांग्रेस एक सीट जीतने में कामयाब रही। कांग्रेस को दो अन्य सीटें सीमांचल में मिली हैं।
आरजेडी ने पहली बार औरंगाबाद और पाटलिपुत्र पर कब्जा किया है। औरंगाबाद पर कब्जा के लिए आरजेडी ने पिछले चुनाव में भी कुशवाहा कार्ड खेला था, इस बार वह प्रयोग सफल रहा। 2009 चुनाव से अस्तित्व में आने के बाद से पाटलिपुत्र सीट पर एनडीए का कब्जा रहा। यहां से लालू यादव को भी हार मिल चुकी है। इस बार लालू की बेटी मीसा भारती ने एनडीए के इस किले को ध्वस्त कर दिया। इसी तरह बक्सर में आरजेडी प्रत्याशी सुधाकर सिंह ने भाजपा से यह सीट छीन ली। जहानाबाद में पिछले चुनाव में मामूली अंतर से हारे सुरेंद्र यादव ने इस बार इस सीट पर जीत दर्ज की।
सीपीआई माले को काराकाट और आरा सीट पर नई जमीन मिली है। काराकाट पर माले के राजाराम सिंह कुशवाहा पिछले तीन चुनाव से किस्मत आजमा रहे थे। इस बार महागठबंधन का साथ पाकर राजाराम ने यहां रालोमो सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा और निर्दलीय पवन सिंह को हराया। आरा पर 35 साल बाद माले के सुदामा प्रसाद ने कब्जा किया है। कांग्रेस के मनोज कुमार ने सासाराम में भाजपा के विजय रथ को रोक दिया। इस इलाके में 2024 चुनाव में इंडिया गठबंधन के पास खोने के लिए कुछ नहीं था। क्षेत्रवार समीकरण को साधकर और भाजपा के वोटबैंक में सेंधमारी कर ‘इंडिया’ ने एनडीए के कई किलों को ध्वस्त कर दिया।
2020 विधानसभा चुनाव से शुरू हुई जुगलबंदी
साल 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में भी मगध और शाहाबाद क्षेत्र में माले-आरजेडी-कांग्रेस की जुगलबंदी देखने को मिली थी। उस समय भी इन दोनों इलाकों में महागठबंधन ने शानदार प्रदर्शन किया था। आरजेडी ने 29 और माले-कांग्रेस ने 7-7 विधानसभा सीटें जीती थीं। इसलिए आने वाले विधानसभा चुनाव में पुराना प्रदर्शन दोहराने के लिए एनडीए को नई रणनीति के साथ मैदान में उतरना होगा।