रक्षाबंधन: कटिहार के रामपुर गांव में बहनें भाई के साथ अपनी बहनों और सहेलियों को भी बांधती है राखी
आज देश भर में भाई-बहन के पवित्र प्रेम का त्योहार रक्षाबंधन हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। इस अवसर पर बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांध कर उनके सुखद जीवन की कामना करती हैं और भाईयों से अपनी...
आज देश भर में भाई-बहन के पवित्र प्रेम का त्योहार रक्षाबंधन हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। इस अवसर पर बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांध कर उनके सुखद जीवन की कामना करती हैं और भाईयों से अपनी सुरक्षा का वचन लेती हैं। लेकिन कटिहार के कोढ़ा प्रखंड में राखी का त्योहार कुछ अलग ढंग से मनाया जाता है। प्रखंड के रामपुर गांव में बहनें रक्षाबंधन का त्योहार परंपरा से अलग हट कर मनाती हैं। दरअसल इस गांव में बेटियां अपने भाई के साथ साथ बहनों और सहेलियों को भी राखी बांधती हैं और एक दूसरे की सलामती और उन्नति का संकल्प लेती हैं। गांव की एक बेटी की पहल पर पिछले दस सालों से यह परंपरा निभाई जा रही है।
बाल विवाह, दहेज प्रथा, ह्युमैन ट्रैफिकिंग और लैंगिक असमानता है इस परंपरा का रहस्य
रामपुर में एक सामाजिक कार्यकर्ता है शिल्पी। दस साल पहले शिल्पी ने महिला पर अत्याचार विषय पर काम शुरु किया। बेटियों को बेटों के बराबर का दर्जा दिलाने और उन्हें बाल विवाह, दहेज प्रताड़ना, खरीद फरोख्त जैसी कूप्रथाओं से बचाने के लिए इसकी शुरुआत की गयी है। शिल्पी कहती है कि शुरु में लड़कियां ही इसके लिए तैयार नही हो रही थीं। लेकिन उसने अपना अभियान जारी रखा और लगातार लड़कियों की काउन्सेलिंग करती रही। कई साल के सफर के बाद उसका एक कारवां तैयार हो गया। इलाके में जहां भी बाल विवाह या दहेज प्रताड़ना के मामले आते हैं वहां शिल्पी और उनका ग्रुप हस्तक्षेप करने के लिए तैयार रहता है। रक्षाबंधन के दिन लड़कियां एक दूसरे को राखी बांध कर अपने इरादों को और मजबूत बनाती हैं। इसका एक संदेश यह भी है कि जिन बहनों के भाई नही हैं उनके सुख दुख के लिए बहनें हमेशा तैयार हैं। माता पिता को भी यह संदेश दिया जाता है कि बेटे और बेटियों के बीच कोई अंतर नही समझें।