जेल में छापा पड़ा तो कैदी ने निगल लिया था चाइनीज मोबाइल, बिना चीर-फाड़ किए डॉक्टरों ने निकाला
मोबाइल निगलने वाले कैदी को गोपालगंज सदर अस्पताल ले जाया गया। वहां से उसे पटना रेफर कर दिया गया। डॉक्टरों ने बिना चीर-फाड़ के भोजन की नली में फंसे मोबाइल को निकाल लिया।
गोपालगंज जेल में छापा पड़ा तो पकड़े जाने के डर से कैदी ने मोबाइल ही निगल लिया। लेकिन यह चलाकी भी उसे बचा नहीं पाई, क्योंकि अधिकारियों ने ऐसा करते देख लिया। उल्टे दो दिनों तक अस्पताल में दर्द से वह छटपटाता रहा। मोबाइल निगलने वाले कैदी कैसर अली (27) को तत्काल गोपालगंज सदर अस्पताल ले जाया गया। वहां से उसे पटना रेफर कर दिया गया। एक दिन निगरानी में रखने के बाद मंगलवार को आईजीआईएमएस में चिकित्सकों ने काफी जद्दोजहद के बाद बगैर चीर-फाड़ के भोजन की नली में फंसा मोबाइल सफलतापूवर्क निकाल लिया।
आईजीआईएमएस के अधीक्षक डॉ. मनीष मंडल ने बताया कि कैदी को गोपालगंज से सोमवार को पीएमसीएच रेफर किया गया था। पीएमसीएच में इंडोस्कोपी की सुविधा नहीं होने से मंगलवार को उसे आईजीआईएमएस लाया गया। यहां उसकी जांच गेस्ट्रोइंट्रोलॉजी विभाग के डॉ. आशीष झा ने की। डॉ. झा और उनकी टीम द्वारा बुधवार को इंडोस्कोपी विधि से मुंह के रास्ते से कैदी के पेट से मोबाइल निकाल लिया गया। बताया कि 20 साल में यह अपने तरह का पहला केस है। मोबाइल कैदी के भोजन की नली में फंस गया था। उसे पानी पीने में भी तकलीफ होने लगी थी। इस कारण वह दर्द से तड़प रहा था।
3.5 इंच लंबा व 2 इंच चौड़ा है मोबाइल
डॉक्टरों ने बताया कि कैदी ने जो मोबाइल निगला था वह चाइनिज है। यह 3.5 इंच लंबा और 2 इंच चौड़ा है। मोबाइल यदि देर तक कैदी की भोजन की नली में फंसा रह जाता तो उसकी स्थिति और गंभीर हो सकती थी। हालांकि मोबाइल निकाले जाने के बाद वह बेहतर महसूस कर रहा है। उसका स्वास्थ्य भी ठीक है। इंडोस्कोपी विधि से कैदी के पेट से मोबाइल निकालने के लिए संस्थान के निदेशक डॉ. बिन्दे कुमार, अधीक्षक डॉ. मनीष मंडल ने डॉ. आशीष झा और उनकी टीम को बधाई दी है।