जीतन राम मांझी की जाति विशेष पर अभद्र टिप्पणी से सियासी उबाल
पूर्व मुख्यमंत्री और हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी की जाति विशेष पर अभद्र टिप्पणी से सूबे में सियासी उबाल आ गया है। उन्होंने शनिवार को एक कार्यक्रम में यह टिप्पणी की थी। इस कार्यक्रम का...
पूर्व मुख्यमंत्री और हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी की जाति विशेष पर अभद्र टिप्पणी से सूबे में सियासी उबाल आ गया है। उन्होंने शनिवार को एक कार्यक्रम में यह टिप्पणी की थी। इस कार्यक्रम का वीडियो वायरल होने के बाद विपक्षी दलों के अलावा एनडीए के प्रमुख दल भाजपा और जदयू ने भी मांझी की निंदा की। खुद को घिरता देख रविवार को मांझी ने अपने बयान पर माफी तो मांगी लेकिन इस दौरान भी कई बार उनकी जुबान फिसली।
जीतन राम मांझी ने शनिवार को जाति विशेष को लेकर अपशब्द का प्रयोग किया था। इसको लेकर रविवार को पत्रकारों से उन्होंने कहा कि जिस शब्द पर आपत्ति जाहिर की जा रही है, वह हमने अपने समाज के लोगों के लिये कहा था। ना कि किसी अन्य जाति के लोगों के लिए। लेकिन अगर, इसमें कहीं गलतफहमी हो गई है तो इसके लिए हम माफी चाहते हैं। उन्होंने बताया कि हमने अपने समाज से कहा था कि आस्था के नाम पर आज करोड़ों रुपये लुटाया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर गरीबों की भलाई के लिए जो काम होना चाहिए वह नहीं हो रहा है। जो अनुसूचित जाति के लोग हैं, पहले पूजा-पाठ पर उतना विश्वास नहीं करते थे। सिर्फ अपने देवी-देवाओं की पूजा करते थे। चाहे मां सबरी हो या दीना भद्री। पर, अब आपके यहां सत्यनारायण की पूजा कराने वाले भी आते हैं।
उन्होंने कहा कि आप लोगों को लाज-शर्म नहीं लगता है कि वे कहते हैं कि बाबू हम खाएंगे नहीं, नगद दे देना। फिर भी उन्हीं से पूजा कराते हैं। इस पर हमने अपने समाज को भी भला-बुरा कहा था। हमारा उद्देश्य यही था कि वे अपने देवता को छोड़ कर दूसरे की पूजा क्यों वे करते हैं? पूजा के नाम पर बर्बादी क्यों करते हैं? बाबा आंबेडकर ने कहा था कि वे हिंदू धर्म में में जन्मे हैं, जिसमें हमारा वश नहीं था। पर हम हिंदू धर्म में नहीं मरेंगे। इसके बाद उन्होंने बौद्ध धर्म अपनाया। पत्रकार के सवाल पर श्री मां झी ने कहा कि वे कभी पूजा नहीं करते हैं। हम के राष्ट्रीय प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा कि श्री मांझी के बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा है। सारे संप्रदाय और जाति के प्रति श्री मांझी की आस्था है।
मांझी जी की टिप्पणी बर्दाश्त से बाहर, सीएम हस्तक्षेप करें : मिथिलेश
पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के बयान पर भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष व पूर्व विधायक मिथिलेश तिवारी ने ट्वीट कर कहा कि श्री मांझी की अमर्यादित टिप्पणी बर्दाश्त से बाहर है। मांझी सार्वजनिक माफी मांगें। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी हस्तक्षेप करें अन्यथा बड़ा नुकसान होगा। हम चुप नहीं रहेंगे।
मिथिलेश तिवारी ने कहा कि मांझी जी ने जिस विशेष जाति पर टिप्पणी की वह समाज के लोगों को एक साथ जोड़ता है। समाज को जोड़ने तथा संस्कृति की रक्षा के संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि शायद मांझी जी नहीं जानते हैं कि डाला पुजाई, मानर पुजाई के लिए, मिट्टी बर्तन के लिए, लकड़ी की आसनी के लिए, नौ ग्रह लकड़ी एवं मुंडन के लिए, गाय का दूध, दही, घी, मूत्र, गोबर के लिए, फूल के लिए, कपड़ा सिलाई के लिए, पूजा-पाठ में फल के लिए, मिठाई एवं चूल्हा पुजाई के लिए और पान-ताम्बूल के लिए अलग-अलग जातियों की आवश्यकता होती है। इन्हें जोड़ने वाले उस विशेष जाति के एक हाथ में शास्त्र तो दूसरे में शस्त्र होता है। आवश्यकतानुसार किसी को भी चंद्रगुप्त बनाना जानता है। यह महज जाति नहीं संस्कार है, धर्म का आधार है।
जीतन राम मांझी को शब्दों की मर्यादा का ध्यान रखना चाहिए : सुशील मोदी
भाजपा सांसद व पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि एक खास समाज के लिए जीतन राम मांझी की कथित टिप्पणी अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। संवैधानिक पदों पर रह चुके उनके जैसे वरिष्ठ व्यक्ति को अपने शब्दों की मर्यादा का ध्यान रखना चाहिए और ऐसा कुछ नहीं बोलना चाहिए, जिससे समाज का सद्भाव बिगड़े। उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकारों तक में मंत्री रहे स्व. राम विलास पासवान ने लंबे समय तक दलितों की सेवा की, लेकिन ऊंची जातियों के विरुद्ध उन्होंने कभी अपशब्द नहीं कहे। किसी समुदाय-विशेष का हितैषी होने के लिए दूसरों को आहत करना कोई लोकतांत्रिक आचरण नहीं है। लालू प्रसाद ने दलितों को पंचायतों में आरक्षण दिये बिना चुनाव कराये, जबकि एनडीए सरकार ने एससी-एसटी, पिछड़े-अति पिछड़े वर्गों को आरक्षण देकर इन समुदायों के लोगों को मुखिया-सरपंच बनने के अवसर दिये। एनडीए ने ही ऊंची जाति के गरीबों को 10 फीसदी रिजर्वेशन भी दिया। एनडीए ने सबका साथ, सबका विकास,सबका विश्वास और किसी का अपमान न करने की नीति पर काम किया।
मांझी के अपशब्द पर चुप क्यों हैं नीतीश : प्रेमचंद
जीतन राम मांझी द्वारा एक जाति विशेष को लेकर अपशब्दों का खुलेआम उपयोग किये जाने की निंदा करते हुए कांग्रेस विधान परिषद सदस्य प्रेमचंद मिश्रा ने इस मामले पर भाजपा नेताओं और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की चुप्पी पर आश्चर्य प्रकट किया है और पूछा कि इन्हें अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी। एक जाति समुदाय विशेष के प्रति ऐसी गंदी भाषा प्रयोग करने वाले मांझी अभी तक एनडीए में क्यों बने हुए हैं?
कटुता वाले बयान से बचें मांझी : नीरज
जदयू के प्रदेश प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि जीतन राम मांझी को कटुता वाले बयान से बचना चाहिए। श्री मांझी बड़े नेता है। उनके मुंह से गलत भाषा का प्रयोग सहीं नहीं लगता है। उन्हें ऐसी भाषा का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। सभी को डॉ. भीम राव आंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान का सम्मान करना चाहिए।
मांझी का बयान निंदनीय, एनडीए साफ करे स्थिति : राजद
राजद के प्रदेश प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने एनडीए के एक वरिष्ठ नेता द्वारा हिन्दू धर्म, भगवान सत्यनारायण और एक जाति विशेष के सम्बन्ध में की गई अमर्यादित टिप्पणी को घोर निन्दनीय कहा है। उन्होंने कहा है कि एनडीए और विशेषकर एनडीए सरकार के मुखिया को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। राजद प्रवक्ता ने कहा है कि यदि एनडीए सरकार के मुखिया द्वारा स्थिति स्पष्ट नहीं की जाती है तो इससे यही समझा जायेगा कि उनकी सहमति से ही एक जाति विशेष के साथ ही भगवान सत्यनारायण और एक धर्म विशेष के बारे में इस प्रकार का अमर्यादित बयान दिया गया है। किसी भी व्यक्ति को किसी जाति,धर्म और देवता के बारे में अमर्यादित टिप्पणी करना बहुत गलत है।
गरिमा गिरा रहे हैं जीतनराम मांझी: लोजपा(आर)
लोक जनशक्ति पार्टी(रामविलास) ने पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के ताजा बयान को विशेष जाति के साथ ही दलितों की मर्यादा को भी गिराने वाला बताया है। प्रवक्ता चंदन सिंह ने कहा कि खुद को चर्चा में रखने एवं राजनीति में अपनी प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए मांझी जी अपनी भी गरिमा गिरा रहे हैं। धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने वाली बात नहीं बोलनी चाहिए।