Hindi Newsबिहार न्यूज़Patna Sahib is the second main place in Sikhism these five things related to Guru Gobind Singh are still present here

सिख धर्म का दूसरा प्रमुख तख्त है पटना साहिब, गुरु गोबिंद सिंह जी से जुड़ी ये पांच चीजें यहां आज भी मौजूद

पटना साहिब गुरुद्वारा सिख समुदाय के सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है। इसी जगह पर सिखों के दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म हुआ था और उन्होंने अपने जीवन के दस साल बिताए थे।

Atul Gupta लाइव हिंदुस्तान, पटनाFri, 16 Dec 2022 06:04 PM
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हरमंदिर तख्त श्री पटना साहिब को पटना साहिब गुरुद्वारा के नाम से भी जाना जाता है। पटना साहिब गुरुद्वारा सिख समुदाय के सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है। गंगा के तट पर स्थित यह गुरुद्वारा सिखों के दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह की स्मृति में बनाया गया था।

पटना साहिब गुरुद्वारा सिख धर्म के सभी पांच तख्तों में से दूसरा स्वीकृत तख्त है। यहां हर रोज सुबह 5:45 बजे और शाम को 6:00 बजे शाम की प्रार्थना की जाती है, जिसे अरदास कहा जाता है। यहां सभी आगंतुकों को लंगर कराया जाता है। लंगर सेवाओं में स्वयंसेवक के तौर पर आगंतुक भी सेवा कर सकते हैं। प्रकाश पर्व या गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती पर हर साल दिसंबर ये गुरुद्वारा खास तौर पर सजाया जाता है।।

माना जाता है कि इसी जगह पर दसवें सिख गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म हुआ था और आनंदपुर जाने से पहले उन्होंने अपने जीवन के दस साल बिताए थे। गुरु गोबिंद सिंह की स्मृति में ये पटना साहिब गुरुद्वारे का निर्माण किया गया जो सभी पांच तख्तों में सबसे पवित्र माना जाता है।

पटना साहिब का निर्माण उन्नीसवीं शताब्दी में हुआ था जब गुरु नानक के एक महान भक्त सालिस राय जौहरी ने अपनी राजसी हवेली को धर्मशाला में बदल दिया था जहां गुरु तेग बहादुर भी रुके थे। यह वह जगह भी है जहां वर्तमान में पटना साहिब स्थित है। बाद में महाराजा रणजीत सिंह ने 1839 में आग से क्षतिग्रस्त हुई इस पवित्र जगह का पुनर्निर्माण किया।

पटना साहिब गुरुद्वारा के परिसर के अंदर एक संग्रहालय भी है जो मुख्य रूप से गुरु गोबिंद सिंह जी और सिख इतिहास से संबंधित कलाकृतियों को प्रदर्शित करता है। संग्रहालय में गुरु गोबिंद सिंह और गुरु तेग बहादुर के हुकुमनामा के रूप में जाने जाने वाले हस्तलिखित आदेश शामिल हैं जो एक किताब, एक पवित्र तलवार, हाथीदांत से बने सैंडल, चार लोहे के तीर और सोने की परत वाले स्टैंड के साथ एक पालने में संरक्षित हैं। 

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