बिहार से अलग मिथिला राज्य बनाने के लिए पटना में प्रदर्शन, जानें कितनी जायज है मांग
मिथिला क्षेत्र उत्तर बिहार का इलाका है, जहां मैथिली भाषा बोली जाती है। यहां के लोग लंबे समय से मिथिला को अलग राज्य बनाने की मांग कर रहे हैं। रविवार को पटना में प्रदर्शन हुआ।
बिहार से अलग मिथिला राज्य बनाने की मांग फिर से उठ गई है। राजधानी पटना में रविवार को मिथिला स्टूडेंट यूनियन की ओर से मार्च निकाला गया। बड़ी संख्या में युवाओं ने राजभवन की ओर से कूच किया। प्रदर्शनकारियों ने हाथों में तख्तियां लेकर पटना के गांधी मैदान से राजभवन तक पैदल मार्च किया। इस दौरान पुलिस ने उन्हें जेपी गोलंबर के पास रोकने की कोशिश की, लेकिन बाद में जाने दिया। अलग से मिथिलांचल राज्य बनाने की मांग लंबे समय से चल रही है। उत्तर बिहार और झारखंड के कुछ हिस्से के लोग पहले भी इसे लेकर प्रदर्शन कर चुके हैं। आइए जानते हैं कि अलग से मिथिला राज्य बनाने की मांग के क्या मायने हैं और कौन-कौन से जिले इसमें शामिल हैं।
मिथिला क्षेत्र उत्तर बिहार का इलाका है, जहां मैथिली भाषा बोली जाती है। यहां के लोग लंबे समय से मिथिला को अलग राज्य बनाने की मांग कर रहे हैं। मिथिला स्टूडेंट यूनियन छात्र-छात्राओं का संगठन है, जो मिथिलांचल को अलग राज्य बनाने की मांग की वकालत करता है। यह यूनियन समय-समय पर सड़कों से लेकर सोशल मीडिया तक प्रदर्शन करके बिहार के विभाजन की मांग उठाता रहता है। रविवार को मिथिला स्टूडेंट यूनियन के बैनर तले बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स ने प्रदर्शन किया।
अलग मिथिलांचल के क्या मायने?
इतिहास के पन्नों को अगर पलटें तो अलग मिथिलांचल बनाने की मांग आजादी से पहले की है। 1912 में जब बंगाल से बिहार अलग हुआ था, तब भी मिथिला स्टेट बनाने की मांग उठी थी। आजादी के बाद यहां के लोग मैथिली भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने की भी मांग करते रहे। साल 2000 में जब बिहार से झारखंड अलग हुआ तो यह मांग और तेज हो गई। इसके बाद 2003 में केंद्र की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने मैथिली को 8वीं अनुसूची में शामिल करने की मंजूरी दी। अब यहां के लोग मिथिला राज्य बनाने की मांग पर जोर दे रहे हैं।
क्यों चाहिए अलग राज्य?
भारत में राज्यों का बंटवारा अमूमन भाषा के आधार पर हुआ है। मैथिली भाषी लोग भी इसी को आधार बनाकर अपने लिए अलग राज्य की मांग कर रहे हैं। मिथिला स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष आदित्य मोहन का कहना है कि मिथिला क्षेत्र के लोग अशिक्षा, बेरोजगारी, पलायन, गरीबी, बाढ़ जैसी समस्या से जूझता आ रहा है। ये समस्याएं तभी हल होंगी, जब मिथिला को अलग राज्य बनाया जाएगा।
मिथिला राज्य बना तो कौन-कौन से जिले इसमें शामिल होंगे?
मिथिला राज्य की मांग जब भी उठती है तो इसमें उत्तर और पूर्वी बिहार से लेकर सीमांचल और झारखंड के कुछ जिलों को भी इसमें शामिल करने की बात कही जाती है। इसमें बिहार के पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, शिवहर, मुजफ्फरपुर, वैशाली, समस्तीपुर, दरभंगा, मधुबनी, सुपौल, सहरसा, खगड़िया, बेगूसराय, लखीसराय, शेखपुरा, जमुई, मुंगेर, बांका, भागलपुर, कटिहार, पूर्णिया, अररिया और खगड़िया जिले हैं। साथ ही झारखंड के गोड्डा, साहिबगंज, दुमका, देवघर और पाकुड़ जिलों को भी अलग मिथिलांचल में शामिल करने की मांग है।