पीएमसीएच: इमरजेंसी की क्षमता 200 बेड का, इलाज हो रहा है 400 मरीज का
पीएमसीएच अभी मरीजों का सबसे बड़ा केन्द्र बन गया है। इस अस्पताल के मेडिसिन विभाग और सेंट्रल इमरजेंसी में मरीजों की इतनी संख्या बढ़ गयी है कि पैर रखने तक की जगह नहीं बची है। इमरजेंसी की आईसीयू समेत कुल...
पीएमसीएच अभी मरीजों का सबसे बड़ा केन्द्र बन गया है। इस अस्पताल के मेडिसिन विभाग और सेंट्रल इमरजेंसी में मरीजों की इतनी संख्या बढ़ गयी है कि पैर रखने तक की जगह नहीं बची है। इमरजेंसी की आईसीयू समेत कुल 200 बेड की सुविधा है लेकिन मरीज अभी प्रत्येक दिन 350 से 400 के बीच आ रहे हैं।
वहीं शुक्रवार के अपराह्न चार बजे तक 384 गंभीर मरीज इमरजेंसी में भर्ती हुए हैं। यानी दो गुना मरीजों की संख्या बढ़ने से मरीज, डॉक्टर, सिस्टर, नर्स और अस्पताल प्रशासन सभी परेशान हैं। सीमित संसाधनों पर मरीजों की संख्या भारी पड़ रही है। पिछले 10 से 18 अक्टूबर के बीच सिर्फ सेंट्रल इमरजेंसी में ही करीब 3483 मरीज भर्ती हुए हैं। इनमें सभी तरह के गंभीर मरीज शामिल हैं। यहां बेड नहीं होने का कारण बताकर मरीज को भर्ती होने से इनकार नहीं करना है। ऐसे में गरीब मरीजों के लिए पीएमसीएच के अलावा कोई दूसरा विकल्प भी नहीं बचा है।
अन्य अस्पतालों में पटना एम्स और आईजीआईएमएस में बेड खाली नहीं होने की बात कह मरीज को भर्ती करने से मनाही कर दी जाती है। पीएमसीएच में बेड खाली नहीं होने पर भी मरीजों को भर्ती करना है। अगर अस्पताल में मरीजों की भीड़ देख कोई स्वेच्छा से वापस चला जाए तो यह बात दूसरी है। अभी हालत यह है कि मरीजों को पीएमसीएच में जमीन पर बेड लगाकर इलाज किया जा रहा है। जैसे-जैसे बेड खाली होते हैं, उसके मुताबिक मरीजों को फर्श से बेड पर शिफ्ट किया जा रहा है।
पीएमसीएच के अधीक्षक डॉ. राजीव रंजन प्रसाद ने भी माना है कि अभी मरीजों की संख्या काफी बढ़ गई है। अस्पताल में संसाधन सीमित हैं। बावजूद इसके एक भी मरीज को वापस नहीं लौटाया जा रहा है। डेंगू वार्ड के दो नोडल अधिकारी और डॉक्टरों का स्पेशल रोस्टर भी तैयार है। डेंगू के मरीजों की संख्या जैसे-जैसे बढ़ेगी, उसके अनुसार बेडों की संख्या भी बढ़ाई जाएगी।