Hindi Newsबिहार न्यूज़Once use knives and pistols smuggling weapons now teaching yoga as an RJ how prisoners of Beur Jail change

कभी चलाते थे चाकू-पिस्टल, बेचते थे हथियार; आज RJ बन सिखा रहे योग, बेऊर जेल के बंदियों में इतना बदलाव कैसे?

बेऊर जेल में बंदियों के सुधार और उनकी जीवनशैली में बदलाव लाने के लिये रेडियो स्टेशन खोला गया है। जेल प्रशासन ने इसे ‘रेडियो दोस्ती’ का नाम दिया है। सभी वार्डों में स्पीकर लगाकर जोड़ दिया है।

Sudhir Kumar अपूर्व वर्मा, पटनाFri, 7 June 2024 05:59 AM
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‘शुभ प्रभात दोस्तों, स्वागत है आपका रेडियो दोस्ती पर। मैं हूं जय शंकर। साथियों.. आज हम आपको बतायेंगे, योग कैसे जीवन में बदलाव लाता है। इसके साथ ही अलग-अलग बीमारियों के इलाज में किस योग का सहारा लें, इसकी जानकारी भी आज आपको मिलेगी’। हर रोज सुबह छह बजे के बाद बेऊर जेल के हरेक वार्डों में ये आवाज सुनाई देती है। यह जानकारियां किसी निजी रेडियो एफएम के जरिये नहीं बल्कि जेल में ही खुले रेडियो केंद्र से बंदियों को मिलती हैं। इसे रेडियो दोस्ती का नाम दिया गया है। हत्या, पेपर लीक, हथियार तस्करी जैसे संगीन अपराध के आरोपों में कैद बंदी बेऊर जेल में रेडियो जॉकी का काम कर रहे हैं। कोई योग की जानकारी देता है तो कोई जीवन को जीने के साकात्मक पहलुओं के बारे में बताता है। 

दरअसल, बेऊर जेल में बंदियों के सुधार और उनकी जीवनशैली में बदलाव लाने के लिये रेडियो स्टेशन खोला गया है। जेल प्रशासन ने इसे ‘रेडियो दोस्ती’ का नाम दिया है। जेल के सभी वार्डों में स्पीकर लगाकर उसे रेडियो दोस्ती केंद्र से जोड़ दिया गया है। बंदी अपनी कला का प्रदर्शन रेडियो दोस्ती केंद्र में जाकर करते हैं। उनकी आवाज सभी वार्डों के बंदियों तक पहुंचती है। सुबह के छह बजे से ही रेडियो केंद्र को खोल दिया जाता है। कुछ देर तक रेडियो चलने के बाद दोपहर फिर शाम के वक्त यहां से बंदी अपना प्रसारण करते हैं।

एमए पास महिला बंदी बनी रेडियो जॉकी

बीपीएससी की एक परीक्षा में धांधली के आरोप में तीन महीने से बंद एक महिला बंदी सौम्या हाल ही में बेऊर जेल में रेडियो जॉकी बन गई। वह अलग-अलग समय पर होने वाले कार्यक्रमों की जानकारी देती है। इसके अलावा सामान्य ज्ञान की बातों को बंदियों तक पहुंचाती है।

जीवन जीने का तरीका सिखा रहा

रेडियो केंद्र में एक बंदी ऐसा भी है जो रेडियो जॉकी के रूप में हर रोज अपनी बातों को रखता है। संतोष सिंह पिछले पांच सालों से हथियार तस्करी के आरोप में कैद है। वह जीवन जीने के साकारात्मक पहलुओं के बारे में बंदियों को रेडियो केंद्र से जानकारी देता है। परेशानी से उभरने और नाकारात्मक ऊर्जा को पास नहीं आने के बारे में संतोष बंदियों को बताता है।

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