अस्पताल नहीं जाते हैं डॉक्टर: तेजस्वी के बाद सीएम नीतीश बोले- नौकरी करना है तो ऐसे काम नहीं चलेगा
सीएम ने कहा है कि चिकित्सकों की अस्पतालों में नियमित उपस्थिति सुनिश्चित हो, इसका प्रबंध मुख्य सचिव करें। दरअसल मुख्यमंत्री के जनता दरबार में मधेपुरा से पीड़ित आए थे। उनकी शिकायत पर सीएम ने यह बात कही।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने डॉक्टरों की कार्यशैली पर बड़ा सवाल उठाया है। जनता दरबार में एक शिकायत आने के बाद उन्होंने कहा है डॉक्टर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में नहीं जाते हैं। यह बहुत बुरा हाल है। ऐसे कैसे चलेगा? नौकरी करनी है तो नियमित रूप से आना होगा। मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव को इस पूरे मामले की जांच पर सच्चाई पता लगाने के लिए जिम्मेदारी दी है।
सीएम ने कहा है कि चिकित्सकों की अस्पतालों में नियमित उपस्थिति सुनिश्चित हो, इसका प्रबंध मुख्य सचिव करें। दरअसल मुख्यमंत्री के जनता दरबार में मधेपुरा से पीड़ित आए थे । मधेपुरा मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल की एक शिकायत लेकर आए थे जिसमें उन्होंने कहा की अस्पताल में जाने पर इलाज के लिए डॉक्टर उपलब्ध नहीं होते हैं । कभी आते हैं तो देर सवेर आते हैं और मरीजों की कतार छोड़कर बीच में चले जाते हैं। पूछने पर कहते हैं कि टाइम हो गया
इस शिकायत को मुख्यमंत्री ने गंभीरता से लिया यह मैं उसी समय मुख सचिव और स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव को तलब किया और शिकायत के आलोक में दोनों अधिकारियों को निर्देश दिया।
इससे पहले डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव ने सरकारी अस्पतालों के 700 से ज्यादा ऐसे डॉक्टरों पर एक्शन लेने का ऐलान किया था जो 6 महीने से लेकर 12 साल से तैनाती वाले अस्पताल में ना ड्यूटी करने जाते हैं और ना किसी का इलाज करते हैं लेकिन हर महीने सरकारी खजाने से वेतन उठाते हैं। तेजस्वी यादव ने एक समाचार चैनल से कहा कि सरकार लगभग 705 डॉक्टरों पर कड़ी कार्रवाई करने जा रही है जो छह महीने से ज्यादा समय से अस्पताल नहीं आए हैं लेकिन सरकारी पैसा हर महीने उठा रहे हैं।
सीएम ने इंटर और स्नातक पास तक स लड़कियों को छात्रवृत्ति नहीं मिलने की शिकायत पर शिक्षा विभाग के अधिकारियों को भी तलब किया। सख्त निर्देश देते हुए सीएम ने उन्हें कहा कि जल्द से जल्द भुगतान सुनिश्चित किया जाए।
विश्वविद्यालयों के शैक्षणिक सत्र को पटरी पर लाने के लिए भी मुख्यमंत्री नेपाल की उन्होंने शिक्षा विभाग को निर्देश दिया। कहा कि जिन विश्वविद्यालय में सत्र विलंब से चल रहे हैं, उनकी मॉनिटरिंग करें। इसमें जो बात सामने आए उसके अनुकूल करवाई करें। आवश्यकता पड़े इसके लिए कोई नई नीति बनाने की भी पहल करें।