6 महीने या उससे ज्यादा जेल हुई तो मुखिया, सरपंच की कुर्सी जाएगी; नहीं लड़ सकेंगे पंचायत चुनाव
बिहार पंचायती राज विभाग ने निर्देश जारी कर कहा है कि किसी व्यक्ति को अगर 6 महीने या उससे ज्यादा की जेल की सजा हुई तो वह पंचायत चुनाव नहीं लड़ सकेगा। ऐसे मुखिया-सरपंच की कुर्सी भी जाएगी।
अब 6 महीने से उससे अधिक जेल की सजा पाने वाले मुखिया, सरपंच, पंचायत प्रतिनिधि या पंचायत समिति सदस्य की कुर्सी चली जाएगी। ऐसे व्यक्ति पंचायत चुनाव भी नहीं लड़ सकेंगे। इस संबंध में पंचायती राज विभाग के अपर मुख्य सचिव मिहिर कुमार सिंह ने गुरुवार को जहानाबाद के जिला पदाधिकारी को पत्र भेजा है। जहानाबाद के डीएम ने न्यायालय द्वारा सजायाफ्ता व्यक्ति के वार्ड सचिव का चुनाव लड़ने के संबंध में पंचायती राज विभाग को 30 दिसंबर 2023 को पत्र लिखकर मार्गदर्शन मांगा था।
जहानाबाद डीएम को भेजा गया यह मार्गदर्शन पूरे राज्य के लिए मानक होगा। अपर मुख्य सचिव ने पत्र में कहा है कि पंचायती राज विभाग की राय है कि 6 महीने से ज्यादा की कारावास से दंडित कोई व्यक्ति चाहे वह पंचायत प्रतिनिधि का चुनाव लड़ना चाहता हो या ग्राम पंचायत के तहत स्थित किसी वार्ड के वार्ड सचिव का, लोक जीवन में शुद्धता बनाए रखने के उद्देश्य से ऐसे व्यक्ति को ताउम्र इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती है।
विभाग का कहना है कि वार्ड सचिव निर्वाचित वार्ड सदस्य के साथ और उसके अधीन काम करता है और वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति का पदेन सचिव होने के नाते राशि की निकासी में वार्ड सदस्य के साथ संयुक्त हस्ताक्षरी भी होता है, इसलिए सजायाफ्ता व्यक्ति को वार्ड सचिव के रूप में चुनाव लड़ने की योग्यता प्राप्त नहीं है। गौर हो कि राज्य की 8053 पंचायतों में 1 लाख 17 हजार वार्ड हैं। इनमें वार्ड सचिव का चुनाव होता है। प्रत्येक पंचायत में एक मुखिया, एक सरपंच निर्वाचित होते हैं।
निर्वाचित पंचायत सदस्य भी 6 माह से अधिक जेल में रहेंगे तो कुर्सी जाएगी
पंचायत प्रतिनिधि के रूप में निर्वाचित किसी व्यक्ति को कोर्ट से 6 महीने से अधिक की सजा होती है तो उनकी सदस्यता खत्म हो जाएगी। जेल जाने की स्थिति में मुखिया का काम उप मुखिया और इसी तरह अन्य प्रतिनिधि का काम भी दूसरे प्रतिनिधि करेंगे। कई बार शिकायत मिलती है कि 6 माह से अधिक सजा काट कर आने के बाद फिर अपने पद पर काम करने लगता है। प्रखंड और जिला स्तर के अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर सजायाफ्ता लाभ उठाते रहे हैं। अब इस मामले पर भी विभाग सख्त हो गया है।