मैथिली भाषा में मधुबनी के लाल उमा शंकर प्रसाद ने किया कमाल, सिविल सर्विसेज की परीक्षा में पाया 358वां रैंक
अपनी मातृभाषा मैथिली पर विश्वास कर सिविल सर्विसेज की परीक्षा देने वाले मधुबनी निवासी 28 वर्षीय उमा शंकर प्रसाद ने जबरदस्त सफलता प्राप्त की है। मातृभाषा मैथिली के साथ सिविल सर्विसेज में इनका यह प्रथम...
अपनी मातृभाषा मैथिली पर विश्वास कर सिविल सर्विसेज की परीक्षा देने वाले मधुबनी निवासी 28 वर्षीय उमा शंकर प्रसाद ने जबरदस्त सफलता प्राप्त की है। मातृभाषा मैथिली के साथ सिविल सर्विसेज में इनका यह प्रथम प्रयास था। उन्हें 358वां रैंक प्राप्त हुआ है। श्री प्रसाद ने बताया कि मैथिली मातृभाषा है। मिथिला के छात्र इसकी तैयारी अन्य विषयों की तुलना में काफी आसानी से कर सकते हैं। भाषा को समझना आसान होता है। उनका पैतृक घर बेनीपट्टी प्रखंड के परजुआइर डीह टोल बेनीपट्टी है। पिछले कुछ वर्षों से मधुबनी के लाखो बिंदा कैंपस चभच्चा मोड़ पर निजी आवास में रह रहे हैं। उनके पिता स्वर्गीय रामचंद्र महतो मिडिल स्कूल में शिक्षक थे। वे प्रधानाचार्य से सेवानिवृत्त हुए। माता श्रीमती शांति देवी गृहणी हैं। इनके दोनों बड़े भाई जय शंकर प्रसाद व रमा शंकर प्रसाद क्रमशः बैंकिंग सेवा व भारतीय वन सेवा में कार्यरत हैं। तीन भाइयों में सबसे छोटे उमा शंकर प्रसाद ने प्रारंभिक शिक्षा के बाद 2010 से 2015 तक आईआईटी खड़गपुर से केमिकल इंजीनियरिंग में बीटेक की पढ़ाई की। 2015 से 2018 तक हैदराबाद में डॉक्टर रेड्डी लैबोरेट्रीज में काम किया। कुछ कर गुजरने की तमन्ना दिल में संजोए हुए श्री प्रसाद ने वर्ष 2019 में भारतीय वन सेवा व भारतीय सिविल सेवा की परीक्षा दी। भारतीय वन सेवा में उन्हें 47वां रैंक मिला और सिविल सेवा में 358 अंक प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा कि मिथिला और मैथिली के छात्र मुख्य ऑप्शनल विषय मैथिली को लेकर सफलता प्राप्त कर सकते हैं। अपनी सफलता का श्रेय उन्होंने माता,पिता, दोनों बड़े भाई, गुरुजन के साथ प्रबंधन आईएएस के निदेशक सुरेंद्र राउत को देते हैं। उन्होंने कहा कि सतत प्रयास और बड़ों का आशीर्वाद हमेशा सफलता दिलाती है।