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बिहार के इस अस्पताल में MBBS छात्रों ने ओपीडी में जड़ा ताला, इलाज ठप, 2500 मरीज लौटे; क्या है पूरा मामला?

जेएलएनएमसीएच के एमबीबीएस छात्रों ने मायागंज अस्पताल की ओपीडी के मुख्य द्वार पर ताला जड़ दिया और ओपीडी के बाहर धरने-प्रदर्शन पर बैठ गये। करीब ढाई हजार मरीजों को बिन इलाज वापस लौटना पड़ा।

Malay Ojha हिन्दुस्तान, भागलपुरMon, 4 Dec 2023 03:50 PM
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अपनी पांच सूत्री मांगों को लेकर जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज (जेएलएनएमसीएच) के एमबीबीएस छात्रों ने सोमवार को मायागंज अस्पताल की ओपीडी के मुख्य द्वार पर ताला जड़ दिया और ओपीडी के बाहर धरने-प्रदर्शन पर बैठ गये। जिससे यहां पर इलाज को आए करीब ढाई हजार मरीजों को बिन इलाज वापस लौटना पड़ा। वहीं हड़ताली छात्रों ने कहा कि हमारी मांगे मानने के बजाय मेडिकल कॉलेज प्रशासन ढुलमुल रवैया अपना रहा है। ऐसे में मंगलवार को हम ओपीडी बंद करेंगे। हालांकि सोमवार की शाम में अस्पताल अधीक्षक डॉ. उदय नारायण सिंह ने धरनारत छात्रों को समझाते हुए ओपीडी को खुलवाने का प्रयास किया, लेकिन छात्र नहीं माने। इसके बाद अस्पताल प्रशासन ने इस मामले की पूरी रिपोर्ट बनाकर अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत को भेज दिया।

दोपहर तक मरीज से लेकर डॉक्टर ओपीडी खुलने का करते रहे इंतजार
सोमवार की सुबह में ही मेडिकल कॉलेज के एमबीबीएस छात्र मायागंज अस्पताल पहुंच गये। इस दौरान जो भी डॉक्टर, नर्स या फिर कर्मचारी ओपीडी में मौजूद थे, सबको बाहर निकाल दिए और मुख्य गेट पर ताला जड़ दिए। इसके बाद ओपीडी के मुख्य गेट पर बैठकर धरना-प्रदर्शन करने लगे। एमबीबीएस छात्रों का कहना है कि उनकी पांच मांगों में से सबसे बड़ी मांग छात्रों को परेशान करने वाले जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के एनॉटामी विभाग के अध्यक्ष डॉ. आलोक शर्मा को उनके पद से हटाने को भी पूरा नहीं किया जा रहा है। उल्टे हम सभी छात्रों को कभी कॉलेज प्रशासन तो कभी जिले के अधिकारी धमकाने के लिए आ जा रहे हैं। वहीं ओपीडी बंद होने से यहां पर इलाज के लिए पहुंचे मरीज दोपहर बाद एक बजे तक ओपीडी खुलने की आस में खड़े रहे। सुबह दस बजे तक ओपीडी के बाहर करीब 1300 तो दोपहर 12 बजे तक करीब 2500 मरीज पहुंच चुके थे। इस दौरान डॉक्टर इमरजेंसी के आसपास तो नर्स व अन्य कर्मचारी ओपीडी के बाहर बैठे हुए थे। दोपहर बाद एक बजे तक ओपीडी नहीं खुला तो एक-एक करके सभी मरीज वापस चले गये। 

300 मरीज इलाज को पहुंचे सदर अस्पताल
मायागंज अस्पताल के ओपीडी में इलाज के दरवाजे बंद हुए तो तकरीबन 300 मरीज इलाज को सदर अस्पताल पहुंच गये। जिससे सदर अस्पताल के ओपीडी में इलाज के लिए पहुंचने वाले 800 से 850 मरीज की तुलना में सोमवार को ओपीडी में कुल 1173 मरीजों का इलाज हो गया। मरीजों की भीड़ उमड़ी तो सदर अस्पताल के रजिस्ट्रेशन काउंटर से लेकर ओपीडी रूम से लेकर एक्सरे, अल्ट्रासाउंड एवं पैथोलॉजी जांच पर मरीजों की लंबी कतार लग गई। यहां तक मरीजों से तकरीबन सूनी रहने वाली शाम की ओपीडी में भी 225 मरीजों का इलाज हो गया। 

मरीज बोले, इलाज भी नहीं हुआ और पैसा खर्च हुआ सो अलग
यहां पर इलाज को पहुंचे गोराडीह निवासी रामचंद्र मंडल ने बताया कि उनके घुटने में समस्या थी। सुबह नौ बजे मायागंज अस्पताल गये तो पता चला कि आज इलाज नहीं होगा। इसके बाद वे 100 रुपये में टोटो रिजर्व करके मायागंज अस्पताल से सदर अस्पताल आ गये। यहां पर दस बजे लाइन में लगे तो दोपहर बाद एक बजे तक जांच-इलाज हो पाया। वहीं बड़ी खंजरपुर की रहने वाली कंचन कुमारी ने बताया कि वे गर्भवती हैं और उनके पैर इन दिनों सूजे हुए हैं। वे सुबह साढ़े नौ बजे मायागंज अस्पताल पहुंची। लेकिन वहां पर इलाज नहीं हुआ तो पति के बाइक पर बैठकर सदर अस्पताल आ गई। यहां पर घंटों लाइन में लगने के बाद दोपहर 12:30 बजे महिला डॉक्टर ने देखा और खून की जांच कराने के लिए पैथोलॉजी भेज दिया। जांच घर में ज्यादा भीड़ थी तो निजी जांच घर में अब जांच कराने के लिए जा रही हूं। 

शाम को एमबीबीएस छात्रों से वार्ता कर उन्हें समझाने का प्रयास किया गया, लेकिन वे नहीं माने। इसकी पूरी रिपोर्ट बनाकर अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य विभाग को भेज दिया गया है।- डॉ. उदय नारायण सिंह, अधीक्षक, मायागंज अस्पताल भागलपुर

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