नहीं रहे गरीबों के मसीहा कहे जाने वाले डॉक्टर गजेंद्र नारायण झा, महज 10 रुपए फीस में करते थे इलाज
डॉक्टर गजेंद्र नारायण झा करीब 14 साल पहले समस्तीपुर सदर अस्पताल से रिटायर हुए थे। दरभंगा से MBBS करने के बाद बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग से जुड़े थे और करीब तीन दशक तक सेवाएं दीं।
बिहार के मधुबनी जिले में झंझारपुर के मशहूर डॉक्टर गजेंद्र नारायण झा नहीं रहे। दिल का दौड़ा पड़ने के बाद उन्हें पटना स्थित मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां मंगलवार दोपहर करीब 1:45 पर उन्होंने आखिरी सांस ली। बुधवार को उनके पैतृक गांव हैंठीबाली में दोपहर बाद अंतिम संस्कार किया जाएगा। वह अपने पीछे धर्मपत्नी को छोड़ गए हैं। 73 वर्षीय डॉक्टर गजेंद्र नारायण झा के निधन की सूचना मिलते ही पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ गई। बड़ी संख्या में लोग उनके आवास पर एकत्रित हो गए।
डॉक्टर गजेंद्र नारायण झा करीब 14 साल पहले समस्तीपुर सदर अस्पताल से रिटायर हुए थे। दरभंगा मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस करने के बाद बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग से जुड़े थे और करीब तीन दशक तक विभिन्न पदों पर अपनी सेवाएं दीं। झंझारपुर में रेलवे स्टेशन के पास उनका क्लीनिक 'गौरीशंकर सेवा सदन' गरीब मरीजों के लिए उम्मीद का ठिकाना था। 'नर सेवा नारायण सेवा' को अपना ध्येय बताने वाले गजेंद्र नारायण झा सर्वसुलभ चिकित्सक थे। आज के दौर में जब अधिकतर चिकित्सक 500 से 1000 रुपए फीस लेते हैं, डॉक्टर गजेंद्र नारायण झा महज 10 रुपये की फीस लेकर मरीजों का इलाज करते थे। कई मरीजों से तो वह फीस भी नहीं लेते और उन्हें निशुल्क दवा तक देते थे।
हर रविवार वह पैतृक गांव हैंठीबाली और जमुथरि स्थित गौरीशंकर धाम में आसपास के दर्जनों गावों से आने वाले सैकड़ों मरीजों को चिकित्सा परामर्श देते थे। विनम्र स्वभाव के धनी डॉक्टर गजेंद्र नारायण झा धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति थे। उन्होंने जमुथरि स्थित अति प्राचीन गौरीशंकर मंदिर को धाम और दर्शनीय स्थल के रूप में विकसित किया। वह गौरीशंकर धाम के ट्रस्टी थे। जिले में कई प्राचीन और जर्जर हो चुके मंदिरों-शिवालयों का पुनर्निर्माण कराया था, जिनमें महिनाथपुर स्थित दूधेश्वर महादेव, औंक्सी महादेव, सर्वसीमा में महादेव मंदिर, दलदैल में राधा कृष्ण मंदिर आदि शामिल हैं। निधन से पूर्व उन्होंने गौरीशंकर शंकर धाम में एक महीने तक संकीर्तन का आयोजन कराया।