Hindi Newsबिहार न्यूज़In the changed situation Bihar CM Nitish Kumar to face challenges to take independent decisions

विश्लेषण: इस बार बिहार में बदले हैं हालात, नीतीश के सामने होगी स्वतंत्र फैसले लेने की चुनौती

सोमवार को शपथ ग्रहण करने के साथ नीतीश कुमार ने बिहार में सर्वाधिक बार मुख्यमंत्री बनने और सबसे अधिक समय तक गठबंधन सरकार चलाने का रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है। 2000 में छह दिन के सीएम बने। इस लिहाज से...

Shankar Pandit विनोद बंधु, पटनाTue, 17 Nov 2020 07:05 AM
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सोमवार को शपथ ग्रहण करने के साथ नीतीश कुमार ने बिहार में सर्वाधिक बार मुख्यमंत्री बनने और सबसे अधिक समय तक गठबंधन सरकार चलाने का रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है। 2000 में छह दिन के सीएम बने। इस लिहाज से इन्होंने असली पारी की शुरुआत 2005 में की। इसके बाद अब तक लगातार चार बार में तीन बार एनडीए और एक बार महागठबंधन इनके चेहरे पर चुनाव में उतरा और बाजी मारी। नीतीश कुमार की सबसे बड़ी खासियत रही कि उन्होंने हर कार्यकाल की शुरुआत साहसी और बड़े फैसलों से की। इस बार भी किसी बड़े फैसले की उम्मीद की जा सकती है। वैसे बिहार में समानांतर सरकारों और संगठित अपराधी गिरोहों पर लगाम कसना भी कम चुनौतीपूर्ण नहीं था।

यह भी उतना ही सच है कि भाजपा अब तक नीतीश कुमार के हर बड़े फैसले के साथ मजबूती से खड़ी रही है। लेकिन इस बार का परिदृश्य कुछ अलग है। नीतीश कुमार का दल जदयू एनडीए में सबसे बड़ा दल रहा है। इस बार जदयू का आकार छोटा हो गया है और भाजपा गठबंधन में सबसे बड़ा दल बनकर उभरी है। इतना ही नहीं पहली बार एनडीए चार दलों का गठबंधन है और सत्ता की चाबी एक तरह से दो छोटे दलों के हाथ में है। इसके अलावा भाजपा कोटे से एक उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी बनते रहे हैं। उनके और नीतीश कुमार के बीच एक अच्छी समझदारी भी रही। इस बार दो उप मुख्यमंत्री बनाए गए हैं। ये दोनों आने वाले दिनों में कैसा तालमेल रखने में यकीन करेंगे, यह भी अहम सवाल है। ऐसे में इस पारी में नीतीश कुमार स्वतंत्र होकर बड़े और साहसी फैसले किस हद तक कर पाएंगे, यह वक्त बताएगा।

दूसरी बार 2005 में सीएम बनने के बाद इनका पहला फैसला महिलाओं, महादलितों व अतिपिछड़ों के नाम रहा। 2006 में नीतीश कुमार ने त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं को एकल पदों पर भी 50 फीसदी जबकि अतिपिछड़ी जातियों को 20 फीसदी आरक्षण देने का फैसला लिया और उसे लागू किया। यह एक साहसी फैसला था। इस कार्यकाल में इन्होंने महिला सशक्तीकरण के एक के बाद एक ताबड़तोड़ अनेक फैसले लिए। मसलन शिक्षकों की बहाली में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण, बालिका साइकिल योजना, बालिका पोशाक योजना आदि।

इसी कार्यकाल में इन्होंने एक और साहसी कदम उठाया और बिहार विशेष न्यायालय अधिनियम 2009 पारित कराया। इस कानून पर राष्ट्रपति की मुहर आवश्यक थी, केन्द्र में यह काफी दिनों तक अटका रहा। इस कानून के तहत भ्रष्ट सरकारी सेवकों की आय से अधिक संपत्ति जब्त करने का प्रावधान किया गया। इस कानून के तहत राज्य के डीजीपी, प्रधान सचिव स्तर तक के अधिकारियों की आय से अधिक संपत्ति जब्त की गई और उनके मकान में स्कूल खोले गए। इसी कानून के तहत विशेष आर्थिक अपराध इकाई का भी राज्य में गठन किया गया। हालांकि बीते कुछ वर्षों से इस कानून की धमक कमजोर पड़ी है और नौकरशाही में बेलगाम भ्रष्टाचार से लोगों की परेशानी बढ़ी है।

बिहार एक कृषि प्रधान प्रदेश है। इसलिए आरंभ से नीतीश कुमार ने कृषि को प्राथमिकता में रखा और कृषि रोडमैप लॉन्च किया। आगे के सभी कार्यकाल में कृषि  रोडमैप तमाम जरूरी सुधारों के साथ लाते रहे। 2011 में 17 विभागों को जोड़कर कृषि कैबिनेट भी बनाई। बिहार के जीडीपी में आज कृषि क्षेत्र का योगदान देश में सर्वाधिक 16 फीसदी है। इतना ही नहीं इन्होंने दूसरे कार्यकाल में फसलों र्की ंसचाई के लिए बिजली का कृषि फीडर स्थापित करने और किसानों को अलग कनेक्शन देने का फैसला लिया। यह लक्ष्य भी पूरा हो चुका है। अब किसान खेतों र्की ंसचाई के लिए सस्ती दर पर कृषि के लिए बिजली कनेक्शन ले सकते हैं। इस कार्यकाल के लिए उन्होंने हर खेत को पानी का लक्ष्य रखा है।

नीतीश कुमार ने पहले कार्यकाल में आरक्षण का साहसी फैसला लिया तो दूसरे कार्यकाल में बिहार लोक सेवाओं का अधिकार अधिनियम 2011 लेकर आए। दरअसल, अपने पहले कार्यकाल में इन्होंने जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम शुरू किया। इस कार्यक्रम में लोगों ने विभिन्न तरह की सेवाएं हासिल करने में परेशानियां बयां की। ऐसे तमाम फीडबैक को ध्यान में रखकर नीतीश कुमार ने यह अधिनियम पारित कराया। इसमें एक समय सीमा के अंदर जाति, आर्थिक, आय, आवासीय प्रमाण पत्र समेत 66 सेवाएं हासिल करने का अधिकार जनता को दिया गया है। हालांकि दलालों की सक्रियता और हर सेवा के लिए फीस की तरह निश्चित रकम की शर्त ने लोगों को इसके अपेक्षित लाभ से दूर भी किया।

तीसरे कार्यकाल की शुरुआत भी बड़े फैसलों से हुई। सबसे पहले बिहार लोक शिकायत निवारण अधिनियम- 2016 लागू किया। इसके तहत सरकारी सेवकों के लिए लोगों की शिकायतों का निपटारा एक समय सीमा में करना अनिवार्य किया गया। ऐसा नहीं होने पर जुर्माने का और अन्य सजा का प्रावधान किया गया। इसी कार्यकाल में सबसे चर्चित और साहसी शराबबंदी कानून 01 अप्रैल 2016 को लागू किया। शराबबंदी ने आम आदमी को सुकून पहुंचाया। एक दौर में राज्य में पैदल चलना भी मुश्किल सा हो गया था। लेकिन पुलिस की लापरवाही से शराब की महंगी दर पर अवैध बिक्री से लोगों में नाराजगी बढ़ी। शराबबंदी के बाद दहेज और बाल विवाह के खिलाफ अभियान भी समाज सुधार की दिशा में साहसी कदम ही रहा।

नीतीश कुमार ने ऐसी कई योजनाएं शुरू कीं जो देश-दुनिया के लिए नजीर बन गईं। इनमें स्थानीय निकायों में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण, बालिका साइकिल योजना, घर-घर बिजली कनेक्शन, हर घर नल का जल उल्लेखनीय हैं। इन तमाम योजनाओं को केन्द्र सरकार और दूसरे राज्यों की सरकारों ने अपना-अपना नाम देकर लागू किया। हर घर बिजली कनेक्शन को मोदी सरकार ने पूरे देश में सौभाग्य योजना के नाम से और घर-घर नल का जल योजना शुरू की। इसी तरह जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने के लिए बनी जल जीवन हरियाली योजना को भी मोदी सरकार ने पूरे देश में लागू करने का फैसला लिया।

नीतीश कुमार की सबसे बड़ी खासियत है कड़ी दर कड़ी आगे बढ़ने की। उन्हें पता होता है कि कौन सी योजना कहां से शुरू करनी है और इसका मुकाम क्या है। आधारभूत संरचना में ऊपर से नीचे की ओर और सामाजिक सुधार में नीचे से ऊपर की ओर वह कदम दर कदम आगे बढ़ाते हैं। बिजली में अगर सबसे पहले उत्पादन इकाइयां स्थापित कराने पर जोर रहा फिर फीडर से उपकेन्द्र तक की स्थापना, ट्रांसफार्मर, बिजली के खंभे और तार लगवाने के बाद घर- घर कनेक्शन। इसी तरह पहले प्रमुख सड़कें मसलन नेशनल और स्टेट  हाईवे, फिर अंतर जिला प्रमुख सड़कें, इसके बाद जिलों की प्रमुख सड़कें और अब 250 तक की आबादी के टोले तक सड़कें । शिक्षा और स्वास्थ्य में उन्होंने नीचे से ऊपर की ओर कदम बढ़ाए। दाखिला अभियान, शिक्षक बहाली, वर्ग कक्ष का निर्माण, स्कूलों के नए भवनों का निर्माण, सातवीं तक स्कूलों का उत्क्रमण, पंचायतों में माध्यमिक विद्यालय, पंचायतों में इंटर स्कूल, हर जिले में इंजीनिर्यंरग कॉलेज, हर अनुमंडल में आईटीआई और तमाम विश्वविद्यालय।

नीतीश कुमार ने 2015 के चुनाव में जाने से पहले अपने सात निश्चय की घोषणा की। ये निश्चय दरअसल आधारभूत संरचना की बुनियाद दुरुस्त करने के बाद महिलाओं, छात्रों, युवाओं और गावों तक सीधा लाभ पहुंचाने पर केन्द्रित थीं। इस बार चुनाव में जाने से पहले सात निश्चय पार्ट 2 की घोषणा भी दरअसल सात निश्चय पार्ट 1 की अगली कड़ी है। इस बार सबसे अहम वादा है हर खेत को पानी।  

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