Hindi Newsबिहार न्यूज़High Court notice to the Election Department : Contract for giving photo agency photo list to three agencies without tender

हाईकोर्ट ने बिना टेंडर तीन एजेंसी को मतदाता सूची प्रकाशन का कांट्रेक्ट देने पर निर्वाचन विभाग को भेजा नोटिस

विधानसभा चुनाव के लिए राज्य भर में छपवाई जा रही फोटोयुक्त मतदाता सूची की प्रक्रिया पर सवाल खड़े हो गए हैं। बिना टेंडर ऊंची दर पर फोटोयुक्त मतदाता सूची छपवाने को लेकर हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर...

Abhishek Kumar मुजफ्फरपुर। कुंदन कुमार, Thu, 3 Sep 2020 10:20 AM
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विधानसभा चुनाव के लिए राज्य भर में छपवाई जा रही फोटोयुक्त मतदाता सूची की प्रक्रिया पर सवाल खड़े हो गए हैं। बिना टेंडर ऊंची दर पर फोटोयुक्त मतदाता सूची छपवाने को लेकर हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। इसपर हाईकोर्ट ने निर्वाचन विभाग को नोटिस जारी किया है। इसके आलोक में विभाग ने सभी जिलों को इस मामले में शपथ पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया है। सभी 38 जिला निर्वाचन अधिकारियों को इस मामले में शपथ पत्र देकर स्थिति स्पष्ट करनी है।

निर्वाचन विभाग की अपर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी रंजीता ने सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को निर्देश दिया है कि हाईकोर्ट में संबंधित केस में सभी अपना-अपना शपथ पत्र दाखिल करें। इस मामले में जनहित याचिका दाखिल करने वाले अधिवक्ता ने कहा है कि राज्य की 238 विधानसभा सीटों पर शीघ्र ही चुनाव होने जा रहे हैं। इसके लिए राज्य के सभी जिला निर्वाचन अधिकारी सह डीएम को फोटोयुक्त मतदाता सूची व वोटर आईडी कार्ड बनवाने का आदेश निर्वाचन विभाग ने दिया है। अधिवक्ता ने कहा है कि आश्चर्यजनक रूप से पूरे बिहार में तीन ही निजी एजेंसी को अलग-अलग शर्तों पर फोटोयुक्त मतदाता सूची व वोटर आईकार्ड बनाने का ठेका दिया गया।

गुपचुप तरीके से एजेंसी का चुनाव, ऊंची दर पर करार
जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि जिलों में फोटोयुक्त मतदाता सूची व वोटर आईकार्ड प्रकाशित करने की जो दर तय की गई, वह आसपास के कई राज्यों की दर से बहुत अधिक है। जनहित याचिका में यह आरोप भी लगाया गया है कि वोटर आईकार्ड व फोटोयुक्त मतदाता सूची के प्रकाशन के लिए सभी जिलों ने टेंडर भी प्रकाशित नहीं किया और गुपचुप तरीके से एजेंसी का चुनाव कर ऊंची दर पर करार कर लिया। जनहित याचिका में इसे सरकारी धन के दुरुपयोग का मामला बताते हुए पूरे राज्य में इसकी जांच कराने और दोषी पदाधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की गई है।

इन जिलों में तीन से पांच साल के बीच नहीं निकला टेंडर
जनहित याचिका में बताया गया है कि राज्य के औरंगाबाद, गया, बक्सर, मधुबनी, सुपौल, हाजीपुर, कटिहार, दरभंगा, पूर्वी चंपारण, नालंदा, जमुई, खगड़िया, पश्चिम चंपारण, अरवल, नवादा, रोहतास, बांका व गोपालगंज ऐसे जिले हैं, जहां तीन से पांच साल के बीच कोई टेंडर ही नहीं निकाला गया है। जबकि प्रत्येक अभियान में बाद मतदाता सूची व वोटर आईडी बनाने के लिए इन्हीं तीन कंपनियों को ठेका दिया गया है। अब अपर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी रंजीता के निर्देश के बाद सभी जिलों को फोटोयुक्त मतदाता सूची व वोटर आईकार्ड बनाने की प्रक्रिया की पारदर्शिता के संबंध में अपनी सफाई देनी है।

 

 

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